Relationship Problem : पतिपत्नी के छोटेमोटे झगड़ों में भी कई बार लोग पुलिस और वकील के पास शिकायत ले कर चले जाते हैं. ऐसे में बात बनने की जगह पर बिगड़ जाती है. आजकल विवाद होते ही पत्नियां या ससुराल वाले 112 नंबर डायल कर पुलिस बुला लेते हैं. घरेलू झगड़ों में पुलिस को बुलाना समाजिक रूप से अपमान समझा जाता है. पुलिस दोनों पक्षों को बाद में थाने में बुलाती है. इस के बाद समझौता हो जाए तो ठीक, न हो तो मुकदमा कायम कर के जेल भेजने का कदम उठाया जाता है. जेल जाने के बाद समझौते के हालात खत्म हो जाते हैं.

पुलिस की ही तरह से कई बार नाराज पतिपत्नी वकीलों के पास पहुंच जाते हैं. छोटेछोटे झगड़ों में भी वकील तलाक का मुकदमा दाखिल करने की सलाह देते हैं. उन का समझाना होता है कि कोर्ट से नोटिस पर जब दूसरा पक्ष कोर्ट आएगा तो उस से बात कर के समझौता करा दिया जाता है. पुलिस की ही तरह से वकील के पास जाने के बाद भी विवाद सुलझने के बाद उलझ जाते हैं. बात बनने की जगह पर बिगड़ जाती है.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ बैंच की अधिवक्ता वेदिका द्विवेदी कहती हैं, ‘पतिपत्नी के संबंध बेहद संवेदनशील होते हैं. अगर कोई छोटामोटा विवाद होता है, जैसे पत्नी को समय न देना, बिना बताए घूमने जाना या पति को बिना बताए मायके चले जाना, किसी सहेली के साथ घूमने चले जाना तो उन को सब से पहले आपस में बात कर सुलझाना चाहिए. इस के बाद घर, परिवार और नातेरिश्तेदारों के बीच बात करनी चाहिए.

पतिपत्नी विवाद में पुलिस और वकील के आने के बाद बात बनने की जगह बिगड़ जाती है. एक बार थाना और कचहरी पहुंचने के बाद मसले खराब हो जाते हैं, संबंध सुधरने की हर गुंजाइश खत्म हो जाती है. पतिपत्नी संबंध बेहद निजी होते हैं. इन को बेहद निजता की जरूरत होती है.

झगड़े बढ़ जाते हैं तो एकदूसरे के सम्मान को चोट लगती है. यही कारण है की काननी मध्यस्थता में कोर्ट वकीलों को नहीं बुलाती है. वह चाहती है कि पतिपत्नी अपनी बात खुद कह सकें और खुद ही झगड़े को आपसी बातचीत कर के सुलझा सकें.

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