Childless Women : कुसुम की शादी को दूसरा साल बीत रहा था, मगर अभी तक वह कंसीव नहीं कर पाई थी. कुसुम की सास ने तो शादी के दिन ही पोतेपोतियों की फरमाइश कर दी थी. साल भर तो वह चुप रही, मगर दूसरे साल से ही वह बचा पैदा करने के लिए बहू के पीछे पड़ गई. रिश्तेदारों से फ़ोन पर बात करती तो बस यही बात ले कर बैठ जाती कि बहू की गोद अभी तक सूनी है. कुछ और समय बीता तो वह कुसुम को बांझ होने का दोष देने लगी. सुबह शाम के उलाहनों से कुसुम का जीना दूभर हुआ जा रहा था. एक दिन उस ने झुंझला कर सास से कह दिया, ‘अब बच्चा नहीं ठहर रहा तो मैं क्या करूं. जब होना होगा तब हो जाएगा.’
मगर सास कहां चुप बैठने वाली थी. बेटे को समझा बुझा कर उस ने कुसुम को एक तांत्रिक के पास ले जा कर झाड़फूक कराने को कहा. मां की जिद के आगे बेटा भी झुक गया. कुसुम से बोला, ‘जैसा मां कहती हैं करो. वह अनुभवी हैं. हमारा बुरा नहीं चाहती हैं.’
कुसुम पढ़ीलिखी थी, फिर भी परिवार के दबाव में तांत्रिक के पास जाने को राजी हो गई. तांत्रिक ने 16 शनिवार लगातार आने और एक घंटे की पूजा का मंतर सुनाया. इस सब में अब हर शनिवार उन के 1000 रुपए से ज्यादा खर्च होने लगे. 501 रुपए तो वह अपनी दक्षिणा ले लेता और बाकी हवन सामग्री के नाम पर ऐंठता था. चार शनिवार तो कुसुम की सास उस के साथ गई मगर बाद में कुसुम अकेले ही जाने लगी. एक दिन तांत्रिक ने कुसुम से कहा कि तुम्हारा पति योग्य नहीं है. तुम उस के साथ समय नष्ट कर रही हो. बच्चा चाहो तो मैं तुम्हें दे सकता हूं. सब गोपनीय रहेगा.
इतना सुनना था कि कुसुम ने आव देखा ना ताव एक झन्नाटेदार थप्पड़ तांत्रिक के गाल पर बजा दिया और एक झटके में वहां से बाहर निकल गई. घर आ कर उस ने पति को सारी बात बताई. वह सारी बात सुन कर हक्काबक्का रह गया. मां से कुछ कहते तो वह उलटे बहू को ही दोष देने लगतीं. लिहाजा मां को कुछ बताए बगैर अगले शनिवार दोनों एक गाइनेकोलौजिस्ट से मिले.
कुसुम के कुछ टेस्ट होने के बाद पता चला कि उसके यूट्रस में फाइब्राइड्स हैं जो गर्भ नहीं ठहरने दे रहे हैं. फाइब्राइड्स, जिन्हें मायोमा या लियोमायोमा भी कहा जाता है, गर्भाशय में होने वाले गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर होते हैं. ये मांसपेशियों और रेशेदार ऊतक से बने होते हैं. इन के कारण निषेचन के पश्चात बना भ्रूण बच्चेदानी की दीवार से चिपक नहीं पाता और नष्ट हो कर शरीर से बाहर चला जाता है. ये फाइब्राइड्स बांझपन को तो बढ़ाते ही हैं, अधिक रक्तश्राव के कारण महिलाएं एनिमिक भी हो जाती हैं. इस के अलावा बारबार पेशाब आना, कब्ज, पीठ और पैर में दर्द जैसी परेशानियों से भी जूझती हैं.
अब कुसुम के फाइब्रायड का इलाज चल रहा है. डाक्टर ने कहा है कि फाइब्राइड्स ख़त्म होने पर वह कंसीव कर पाएगी. यदि फिर भी गर्भ ना ठहरे हो वह आईवीएफ पद्धति से बच्चा पा सकती है जो आजकल बहुत नार्मल बात है.
कुसुम समझदार है इसलिए तांत्रिक के चक्कर से जल्दी निकल गई. मगर देश में आएदिन हजारों औरतें तंत्रमंत्र झाड़फूंक से बच्चा पैदा करने के मोह में तांत्रिकों और बाबाओं की आपराधिक साजिशों का शिकार हो कर अपना सबकुछ गंवा रही हैं. हर दिन अखबारों में किसी ना किसी महिला से बलात्कार और बाबा के कुकर्मों की खबर छपती है.
ग्वालियर शहर के थाटीपुर इलाके में रहने वाली एक महिला को शादी के 5 साल बाद भी संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ. बच्चे की चाह में महिला एक तांत्रिक के चंगुल में फंस गई. तांत्रिक ने पहले तो महिला को घर छोड़ दूसरे मकान में रहने की सलाह दी. कहा कि पुराना घर संतान उत्पत्ति में बाधा पैदा कर रहा है. पतिपत्नी तांत्रिक की बातों में आ कर अपना पुराना घर छोड़ किराए के मकान में रहने लगे. तांत्रिक वहां आ कर प्रतिदिन तंत्र क्रियाएं करने लगा. फिर एक दिन तांत्रिक एक बड़े संत से मिलवाने के बहाने महिला को चुपचाप अपने साथ दिल्ली ले गया और वहां पर 3 दिन होटल के कमरे में दुष्कर्म किया. वहां से राजस्थान ले गया. जैसेतैसे भाग कर आई महिला ने आरोपी के खिलाफ ग्वालियर में मामला दर्ज कराया. ये मामला सितम्बर 2023 का है.
उत्तर प्रदेश के कासगंज में बेटी को बच्चा नहीं होने से परेशान एक महिला को तांत्रिक ने अपने झांसे में ले कर 20 लाख रुपए की ठगी कर ली. इतना ही नहीं, उस ने महिला के अश्लील फोटो खींच लिए. फिर वह उसे ब्लैकमेल करने लगा. पीड़िता ने एसपी से मामले की शिकायत की.
कासगंज शहर की रहने वाली इस महिला का कहना है कि उन की बेटी की शादी को कई वर्ष हो गए थे, लेकिन बेटी को बच्चा नहीं हो रहा है. इस वजह से उस के ससुराल वाले उस को परेशान करते हैं. बेटी के लिए वह प्रभात नामक तांत्रिक के संपर्क में आई और उस के कहे अनुसार करती चली गई.
प्रभात ने कहा कि बुरी आत्माओं का साया होने के कारण उस की बेटी को बच्चा नहीं हो रहा है. तांत्रिक प्रभात ने महिला को बताया कि उन की बेटी के हाथ में संतान रेखा भी सही नहीं है. इस के लिए कुछ तंत्र क्रिया करनी होगी तो सब सही हो जाएगा. तंत्र विद्या करने के बहाने वह उस महिला के घर आने लगा और एक दिन उस ने महिला के कुछ आपत्तिजनक फोटो उस वक्त खींच लिए जब वह अपने बाथरूम में नहा रही थी. बाद में वह उन फोटो को वायरल करने की धमकी दे कर उसे ब्लैकमेल करने लगा. तांत्रिक को पैसे देने के लिए महिला ने अपने जेवर तक बेच दिए. यह मामला दिसंबर 2024 का है.
बरेली में शादी के बाद बच्चा न होने पर एक शख्स अपनी पत्नी को तांत्रिक के पास ले गया. जहां तांत्रिक ने तंत्रमंत्र की आड़ में पति की मौजूदगी में ही महिला को नशीला पेय पिला कर उस के देवरों से उस का रेप कराया. नशा उतरने पर युवती को जब अपने साथ हुए दुष्कर्म का भान हुआ तो उस ने स्थानीय थाने पर जा कर तांत्रिक, पति, दोनों देवरों और अन्य ससुरालियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया और तुरंत ससुराल छोड़ मायके आ गई. युवती की शादी जून 2023 में हुई थी और शादी के बाद से ही उस के ऊपर बच्चा पैदा करने का दबाव ससुरालियों की तरफ से था. बाद में सास ने बेटेबहू को तांत्रिक के पास जाने की सलाह दी थी. यह घटना 3 जून 2025 को मीरगंज क्षेत्र के आमजपुर की है.
पिछले दिनों लखनऊ के किंग जौर्ज मैडिकल कालेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग और लोहिया संस्थान के ओब्स एंड गायनी विभाग ने एक साल में बांझपन की शिकार 200 महिलाओं की काउंसलिंग से जो तथ्य जुटाए उन से पता चलता है कि निसंतान 60% महिलाएं इलाज से पहले तांत्रिकों के फेर में फंसती हैं.
काउंसलिंग के दौरान 60 फीसदी महिलाओं ने इलाज से पहले तांत्रिक और झाड़फूंक के उपाय अपनाने की बात कबूल की. कामयाबी न मिलने पर 20 प्रतिशत महिलाओं ने जड़ीबूटी और दूसरी पैथी का सहारा लिया. बाकी 20 फीसदी महिलाओं ने दिक्कत को भांपा. एक से दो साल तक संतान सुख के लिए इंतज़ार किया और सफलता न मिलने पर डाक्टर की सलाह पर इलाज शुरू किया.
जानीमानी गायनेकोलौजिस्ट डा. नीना बहल कहती हैं, ‘25 से 30 साल की उम्र परिवार बढ़ाने का सब से उपयुक्त समय है. 35 साल की उम्र के बाद महिलाओं में बांझपन की आशंका बढ़ जाती है. समय पर इलाज हो जाए तो गोद भरने की उम्मीद बहुत ज्यादा होती है. कई बार महिलाओं की फेलोपियन ट्यूब ब्लौक होती है जिसे आसानी से खोला जा सकता है. कुछ महिलाओं को फाइब्राइड की समस्या होती है. कुछ में हार्मोनल असंतुलन होता है, वहीं अधिक उम्र में शादी, पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, मोटापा, यौन संचारित संक्रमण जैसे कई कारण होते हैं, जिस से गर्भ नहीं ठहरता है. इन का इलाज अब काफी आसान है. कई बार पुरुष में शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम होती है अथवा उन की क्वालिटी अच्छी नहीं होती है. इन सब का इलाज एलोपैथी में है. बहुत से दंपत्ति तांत्रिक बाबा, भूतप्रेत और दूसरी मान्यताओं में अपना कीमती समय गंवा देते हैं. जब कहीं से कोई फायदा नहीं होता तब एलोपैथी में इलाज ढूंढने आते हैं, मगर तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.
डाक्टर की मानें तो गर्भ ना ठहरने के अनेक कारण होते हैं. यह स्त्री और पुरुष दोनों की वजह से हो सकता है मगर उस का समय से इलाज जरूरी है. महिलाओं में जहां 35 की उम्र के बाद प्रजनन क्षमता घटने लगती है वहीं पुरुष के शुक्राणुओं की क्वालिटी भी 40 की उम्र के बाद अच्छी नहीं रहती. ऐसे में तांत्रिकों और बाबाओं के चक्कर में समय खराब करने की बेवकूफी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इलाज सिर्फ एलोपैथी में है और कहीं नहीं.
डाक्टर के मुताबिक महिलाओं में गर्भ न ठहरने के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे – अनियमित ओवुलेशन, पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, थायरौइड गड़बड़ी (हाइपो या हाइपरथायरौइडिज़्म), समय से पहले रजोनिवृत्ति, फैलोपियन ट्यूब की रुकावट, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिज़ीज, पुराने यौन संक्रामण (जैसे क्लैमाइडिया, गोनोरिया), एंडोमेट्रियोसिस, गर्भाशय की समस्याएं – गर्भाशय में फाइब्राइड्स, पोलीप्स या असामान्य बनावट, एंडोमेट्रियल परत की गड़बड़ी, हार्मोनल असंतुलन – प्रोलैक्टिन का अधिक स्तर या इंसुलिन असंतुलन आदि.
आधुनिक जीवनशैली भी महिलाओं में बांझपन को बढ़ा रही है. अब महिलाएं भी पुरुषों की तरह घर से बाहर निकल कर नौकरियां कर रही हैं. औफिस और घर के बीच संतुलन न बैठने पर या काम का अधिक बोझ होने पर अत्यधिक तनाव में रहना, मोटापा या बहुत कम वजन, धूम्रपान, शराब या किसी अन्य तरह के नशे की लत, औटोइम्यून या जेनेटिक समस्याएं बांझपन को बढ़ाती हैं.
पुरुषों में भी अनेक समस्याएं होती हैं जो उन्हें संतान सुख से दूर रखती हैं. जैसे – शुक्राणुओं की गुणवत्ता या मात्रा में कमी – कम स्पर्म काउंट, कम गतिशीलता, असामान्य आकार आदि. इस के अलावा अंडकोष की समस्याएं भी अवरोध पैदा करती हैं. जैसे वैरिकोसील, संक्रमण, चोट या सर्जरी, हार्मोनल असंतुलन, टेस्टोस्टेरोन की कमी आदि. कुछ पुरुषों में शीघ्रपतन की समस्या होती है तो कुछ में इरैक्टाइल डिसफंक्शन जो शुक्राणुओं को उन के गंतव्य तक नहीं पहुंचने देता है. जीवनशैली भी इस में महत्वपूर्ण रोल अदा करती है. अधिक गरमी (जैसे गर्म पानी से स्नान) शुक्राणुओं को पैदा करने में बाधक है, वहीं धूम्रपान, शराब, स्टेरौइड्स का इस्तेमाल भी नपुंसक बनाता है.
बांझपन का इलाज समय रहते करा लेना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि समय के साथ पुरुष और महिला दोनों की प्रजनन क्षमता कम हो सकती है. अगर शादी के एक साल बाद भी नियमित प्रयासों के बावजूद गर्भ न ठहरे, तो डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए. क्योंकि उम्र बढ़ने से अंडाणु और शुक्राणु की गुणवत्ता घटती है. कई बार कारण मामूली होते हैं जिन्हें समय रहते ठीक किया जा सकता है. देर होने पर मानसिक तनाव बढ़ता है, जो और ज्यादा असर डालता है.
अगर प्राकृतिक रूप से गर्भ ठहरने में कठिनाई हो रही है और अन्य उपचार (जैसे दवाएं या आईयूआई) से भी फायदा नहीं मिल रहा है तो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक आम और प्रभावी विकल्प है. आजकल यह तकनीक बहुत आम हो गई है. इस में देर नहीं करनी चाहिए क्योंकि जितनी देर होती जाएगी होने वाले बच्चे को स्वास्थ समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाएगी.
आधुनिक तकनीक की मदद से आईवीएफ की सफलता दर पहले से कहीं बेहतर हो गई है. इसे सामाजिक स्वीकार्यता भी मिल चुकी है. अब लोग खुल कर आईवीएफ के बारे में बात करते हैं और इसे अपनाने में हिचक महसूस नहीं करते. भारत सहित कई देशों में आईवीएफ क्लीनिक हर छोटेबड़े शहर में उपलब्ध हैं. बढ़ती उम्र और तनाव भरे जीवन में जब प्राकृतिक रूप से गर्भधारण मुश्किल होता है, तो आईवीएफ एक उम्मीद की किरण बनता है.