Unwanted Pregnancy : अनचाही प्रैग्नैंसी के चलते दंपती के लिए अबौर्शन की स्थिति बन ही जाती है. ऐसे में घबराए बिना अबौर्शन की सावधानियां समझते हुए फैसला लिया जाना गलत नहीं.

विवाहित जीवन में अबौर्शन की जरूरत करीबकरीब हर दंपती को पड़ती है. इस की वजह यह होती है कि कई बार न चाहते हुए पतिपत्नी के बीच बिना सुरक्षा के सैक्स संबंध बन जाते हैं. कई बार पति कंडोम का प्रयोग करने से बचते हैं या कंडोम का सही प्रयोग नहीं कर पाते हैं, कंडोम फट जाता है या कंडोम लगे रहने के बाद भी वीर्य का प्रवेश पत्नी की योनि में हो जाता है. ऐसे में गर्भ ठहर जाता है. पतिपत्नी दोनों ही अगला बच्चा चाहते नहीं हैं तब उन को अबौर्शन कराने के लिए डाक्टर से संपर्क करना पड़ता है.

हमारे समाज में आज भी गर्भ, अबौर्शन और सैक्स की बातें टैबू की तरह हैं. इन पर चर्चा करने से लोग बचते हैं. बहुत कम मामलों में पति पत्नी को ले कर डाक्टर के पास जाते हैं. पत्नी अपनी रिश्तेदार या सहेली के साथ डाक्टर से मिलती है. पति केवल दिखावे के लिए ही साथ रहता है. अधिक से अधिक वह डाक्टर की फीस और दवा का खर्च दे देता है. इस से अधिक उस का सहयोग मुश्किल होता है. कई बार पति की जगह पर ससुराल के लोग इस की जिम्मेदारी उठाते हैं.

क्या होता है अबौर्शन

अबौर्शन यानी गर्भ का मिसकैरेज होना. गर्भावस्था के पहले 20 हफ्तों में या गर्भावस्था के दौरान भ्रूण का खो जाना अबौर्शन कहलाता है. इस में भ्रूण या गर्भस्थ शिशु का विकास बंद हो जाता है. वह गर्भाशय से बाहर निकल जाता है.

कई बार जब लोग बच्चा नहीं चाहते तब वे औपरेशन के जरिए अबौर्शन कराते हैं. इस को डीएनसी यानी डायलेटेशन एंड क्यूरेटज कहते हैं. अगर सही तरह से अबौर्शन न कराया जाए तो इस में सैप्टिक हो सकता है. अबौर्शन के बाद कुछ समय तक योनि से रक्तस्राव होना सामान्य बात है.

अबौर्शन के बाद डाक्टर अल्ट्रासाउंड के जरिए गर्भाशय की जांच करते हैं. जिस से किसी तरह के संक्रमण का खतरा न रहे. अबौर्शन के बाद डाक्टर दवाएं भी देते हैं. जिस से अबौर्शन से होने वाले नुकसान की भरपाई जल्दी हो सके. डाक्टर विशाखा रावत कहती हैं, ‘‘जब पत्नी को बच्चा हो जाता है तो उस के बाद सैक्स संबंध बनाते समय सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए. लोग यह समझते हैं कि प्रसव के कुछ समय तक जब तक बच्चा ब्रैस्ट फीडिंग करता है दूसरा बच्चा नहीं हो सकता है. ऐसे में वे बिना सुरक्षा के संबंध बनाते हैं और गर्भ ठहर जाता है.’

अबौर्शन में होने वाला खर्च

अबौर्शन में होने वाले खर्चों में सब से प्रमुख डाक्टर की फीस, दवाएं, अस्पताल में रुकने का खर्च जैसी चीजें शामिल होती हैं. सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में यह अलगअलग होता है. प्राइवेट में इस की लागत 25 से 50 हजार रुपए तक हो सकती है. अबौर्शन गर्भावस्था के पहले 12 हफ्तों के भीतर किया जाता है. अबौर्शन के बाद की देखभाल और दवाएं भी खर्च में शामिल हो सकती हैं. अस्पताल या क्लिनिक के प्रकार के आधार पर लागत में अंतर हो सकता है. अबौर्शन के लिए सरकारी अस्पतालों में खर्च कम हो सकता है, जबकि निजी अस्पतालों में अधिक. कुछ मामलों में अबौर्शन का खर्च बीमा द्वारा कवर किया जाता है.

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