Tourism : अगर आप जीवन और समाज को समझना चाहते हैं तो पर्यटन से बड़ी कोई चीज नहीं हो सकती है. अगर पर्यटन नहीं होता तो दुनिया भर के तमाम देश एक दूसरे से जुड़ ही नहीं सकते थे.
पर्यटन का अंदाज बदल रहा है. पहले जहां लोग देश विदेश में घूमने और वहां खरीददारी करने को महत्व देते थे अब हाईपर लोकल ट्रेवल को बढ़ावा मिल रहा है. पर्यटकों के बदलते मूड को देखते हुए सरकारें भी अपनी योजना में बदलाव कर रही हैं. उत्तर प्रदेश की सरकार ने ओडीओपी योजना शुरू की है. इस के तहत हर जिले के खास उत्पाद को महत्व दे रही है. जैसे आगरा मे ताज महल देखने वालों को वहां का मशहूर पेठा बेचा जा रहा है. इसी तरह से बनारस की साड़ी, भदोही का कालीन और मेरठ की नान खटाई. इस तरह से पूरे प्रदेश के जिलों मे खास चीजों को महत्व दिया जा रहा है. पर्यटकों को इस तरफ जोड़ा जा रहा है.
हाइपर लोकल ट्रैवल का मतलब है, अपने आसपास के क्षेत्र में ही यात्रा करना और आसपास की घूमने वाली अच्छी जगहों को खोजना. इस के साथ ही साथ अगर दूर के पर्यटन वाले शहरों में घूमने जाए तो वहां के लोकल बाजारों में खरीददारी करें. साधारण होटल या होम स्टे में रुकें. वही की लोकल स्वाद वाली डिश का स्वाद लें. आजकल पर्यटकों के लिए कई शहरों में एयर बीएनबी जैसी तमाम कंपनियां होम स्टे का प्लान लेकर आ गई है. जहां घर जैसी जगह पर रुका जा सकता है. अपने हाथ से किचन में खाना बना कर खा सकते हैं.
बड़े होटलों के मुकाबले होम स्टे काफी सस्ता पड़ता है. खासकर जब आप ग्रुप में घूमने जा रहे हों तो यह बेहतर होता है. होम स्टे के लिए जगह का चुनाव करते समय सर्तक रहे. सीधे बुक न करें. किसी कंपनी के जरीए बुक करने से यह सुरक्षित होता है. जैसे सफर करते समय ओला उबर से टैक्सी बुक करना सुरक्षित होता है, लेकिन जब थोड़े से लालच में पड़ कर सीधे टैक्सी ड्राइवर से बुक किया जाता है तो खतरा बढ़ जाता है.
हाइपर लोकल ट्रैवल के लाभ
हाइपर लोकल ट्रैवल में पर्यटन के जरीए उन संस्कृति, कला, भोजन और पर्यटन स्थलों को बढ़ावा दिया जाता है, जो आप के घर के करीब होते हैं. इस से स्थानीय बाजार को भी बढ़ावा मिलता है. जैसे लखनऊ घूमने वाले यहां की चिकनकारी को पंसद करते हैं. चिकन से बने पहनने के कपड़े खरीददते हैं. बड़े होटलों में रुकने के बाद भी लोकल खाना खाना पसंद करते हैं. इस से घूमने वाले को तो तरह तरह के स्वाद मिलते ही है. स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलता है.
कई शहर पर्यटकों के लिए स्थानीय त्योहारों, समारोहों, और रीति-रिवाजों का आयोजन करते हैं. जिस में पर्यटक हिस्सा लेते हैं. वह उसी समय घूमने जाते हैं जब ऐसे आयोजन का समय होता है. जैसे गुजरात के कच्छ में रण उत्सव का आयोजन होता है. अधिकतर पर्यटक इसी समय यहां घूमने आते हैं. इस में स्थानीय कलाकारों, शिल्पकारों और उन की कलाकृतियों को नया बाजार मिलता है. पर्यटक मेले में स्थानीय रेस्तरां, कैफे और होटलों में पारंपरिक भोजन का स्वाद लेता है. साथ आस पास के ऐतिहासिक स्थलों, पार्कों, संग्रहालयों और अन्य दर्शनीय स्थलों को घूमता है.
इस तरह का पर्यटन स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है. जब लोग स्थानीय व्यवसायों और पर्यटन स्थलों पर जाते हैं, तो इस से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है. यहां की कला और संस्कृति को संरक्षण मिलता है. कम दूरी की यात्रा में पर्यटकों का खर्च कम होता है. जिस से कम बजट में पर्यटक अधिक से अधिक जगहो को घूम लेता है. असल में पर्यटन के शौकीन लोग अपना खर्च कम से करना चाहते हैं. ऐसे में मंहगे होटल में रूकने से पर्यटन का असल मजा नहीं मिलता है. जब किसी बड़े होटल में रुकते हैं तो खाने का स्वाद एक जैसा मिलता है. क्योंकि बड़े होटलों में रैसेपी एक जैसी होती है.
बाजार के बदलते दौर में अब फाइव स्टार होटलों में भी लोकल स्वाद वाले भोजन तैयार किए जाते हैं. इन में वह स्वाद नहीं मिलता जो ढाबे पर मिलता है. ढाबे और होटल के खाने के बजट में अंतर होता है. यह किसी शहर या क्षेत्र को एक नए तरीके से देखने और अनुभव करने का अवसर देता है. इस तरह का पर्यटन पूरी दुनिया में मशहूर हो रहा है.
क्या कहते हैं आंकड़े ?
2024 में बुकिंग डौट काम की रिपोर्ट में बताया गया है कि 75 फीसदी पर्यटकों ने कहा कि उन को हाइपर लोकल ट्रैवल पसंद है. इस को ‘जीवन दर्शन’ या ‘पर्यटन दर्शन’ भी कहा जाता है. अमेरिकन एक्सप्रेस की 2024 की वल्र्ड टूर रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यटकों को घूमने वाले शहरों में लोकल बजारों से सामान खरीदने में अच्छा लगता है. यही नहीं वह होटलों की जगह वहां रुकना पंसद करते हैं जहां पर उन को घर जैसा अनुभव हो सके. वह अपने करीबी दोस्तों के साथ वक्त गुजारना अच्छा समझते हैं. पर्यटन के प्रति बदलती सोच ने पर्यटन विभाग को उस के हिसाब से योजनाए बनाने के लिए विवश कर दिया है.
वियना टूरिस्ट बोर्ड के सीईओ नोर्बर्ट केटनर ने कहा ‘पर्यटक लोकल लाइफ स्टाइल को पंसद करने लगे हैं. ज्यादातर पर्यटक भीड़भाड़ से दूर सकून भरी जगहों को पंसद करने लगे हैं. इस कारण ही लोगों ने अपने घरों के दरवाजे पर्यटकों के लिए खोल दिए हैं. पर्यटक पुराने शहरी इलाकों की तरफ जाने लगे हैं. फोकस राइट और द आउटलुक फोर ट्रैवल एक्सपीरियंस ने यूरोप और अमेरिका में 4,000 से अधिक यात्रियों का सर्वेक्षण किया. जिस में 42 फीसदी यात्रियों का कहना था कि यात्रा करते समय बड़े पर्यटक शहरों के मुकाबले छोटे शहरों में घूमने में उनको ज्यादा अच्छा लगा.
ट्रैवल प्लानर हिना शिराज जैदी कहती है ‘घूमना लोग पंसद करने वाले लोग चाहते हैं कि उन के टूर प्लान में बड़े शहर और मौल के साथ छोटे शहर और लोकल मार्केट को भी शामिल किया जाए. पहले लोग बड़े शहरों तक सीमित रहते थे. अब छोटे शहर भी विकसित हो गए हैं. वहां भी सुरक्षा और विकास हो गया है. किसी तरह का खतरा और असुविधा नहीं रह गई है. हिना कहती है ‘बड़े शहर जाना मजबूरी जैसा हो गया है. क्योंकि इन की अपनी पहचान हो गई है. इस के बाद भी लोग छोटे शहर और बाजार पसंद करने लगे हैं. सोशल मीडिया के जमाने में नए और पुराने पर्यटक स्थलों का अंतर खत्म हो गया है.’
पर्यटक जब किसी शहर घूमने जाता है. तो यादगार के रूप में कोई न कोई सामान खरीद कर लाता है. भले ही वह कुछ दिन में खराब हो जाए. इस से उस को याद रहता है वह कहां घूमने गया था. पहले लोग बड़े शहर जाते थे तो वहां से कपड़े, मेकअप का सामान और बहुत कुछ खरीद कर लाते थे. अब हर शहर में बड़ी कंपनियों के सामान मिलते हैं. ऐसे में वहां से लोकल सामान ही ले कर आएं. यह सस्ते भी मिलते हैं और इन की खरीददारी से लोकल लेवल के कारीगरों को लाभ होता है. घूमने वाले को उस शहर से जोड़ती भी है.
किस तरह के शहर घूमना पंसद करते है लोग
आमतौर पर पर्यटक विभिन्न प्रकार के शहरों में घूमना पसंद करते हैं, जिन में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक सुंदरता और आधुनिकता वाले शहर शामिल हैं. कुछ पर्यटक पहाड़ या समुद्र तटों जैसे शांत और प्राकृतिक स्थानों में घूमना पसंद करते हैं. वहीं कुछ लोगों को बड़े शहरों की आधुनिकता पसंद होती है. ऐतिहासिक शहर भी घूमने वालों को बहुत पंसद आते हैं. भारत के दिल्ली, जयपुर, आगरा, वाराणसी और उदयपुर जैसे शहर खास हैं. लोग इन शहरों में ऐतिहासिक स्मारकों, संग्रहालयों, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं. इसी तरह नेचर को पंसद करने वाले पर्यटकों को मनाली, शिमला, लद्दाख, नैनीताल, कश्मीर, केरल, उदयपुर जैसे शहरों की प्राकृतिक सुंदरता, जैसे पहाड़, झीलें, समुद्र तट, या जंगल पंसद आते हैं. इन शहरों में ट्रेकिंग और वाटर स्पोर्ट्स का भी आनंद लेते हैं
आधुनिक शहरों में मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहर पसंद आते हैं. यह शहर अपनी आधुनिक वास्तुकला, शौपिंग मौल, रेस्तरां, और नाइटलाइफ के लिए जाने जाते हैं. लोग इन शहरों में आधुनिक जीवनशैली, मनोरंजन, और खरीदारी का आनंद लेते हैं. शांत और छोटे शहरों में शांत वातावरण, कम भीड़भाड़, और स्थानीय संस्कृति को लोग पंसद करते हैं. इन शहरों में शांति, सुकून, और स्थानीय जीवनशैली का अनुभव करते हैं. कुछ लोगों को एक ही यात्रा में विभिन्न प्रकार के शहरों का अनुभव करना पसंद होता है, जबकि कुछ लोगों को एक ही प्रकार के शहर में बारबार जाना पसंद होता है.
अगर आप जीवन और समाज को समझना चाहते हैं तो पर्यटन से बड़ी कोई चीज नहीं हो सकती है. अगर पर्यटन नहीं होता तो दुनिया भर के तमाम देश एक दूसरे से जुड़ ही नहीं सकते थे. हम एकदूसरे की कला और संस्कृति को समझ ही नहीं पाते. ऐसे में पर्यटन समाज के विकास के लिए भी बेहद जरूरी होता है. नई नई जगहों की खोज करना ही असल पर्यटन होता है. हाइपर लोकल ट्रैवल इसमें एक बड़ी भूमिका निभा रहा है. इस में कम खर्च में घूमने अधिक आंनद मिलता है. मेले ठेले में जुटने वाली भी इसी तरह के पर्यटन के जरीए अपना मनोरंजन करती है.