Drone Attack : वर्तमान युद्ध, सेना के आकार और पैसे से नहीं, बल्कि तकनीक और बुद्धिमत्ता से लड़े जा रहे हैं, जिस में ड्रोन युद्ध के मैदान का ऐसा खतरनाक शिकारी बन गया है जिस का निशाना अचूक है और नुकसान भयानक.
एक समय था जब भारीभरकम टैंक और तोपें दो देशों के बीच युद्ध का परिणाम तय करती थीं. एकएक टैंक के पीछे करोड़ों की लागत लगती थी. इन का मजबूत कवच और भारी मारक क्षमता युद्ध के मैदान में दुश्मन को छठी का दूध याद दिला देती थी. पर इन को ऊंचीऊंची पहाड़ियों पर चढ़ाना, ऊबड़खाबड़ रास्तों से निकालना भारी मशक्कत का काम था.
पहाड़ी या दलदली भूमि पर फंसने पर मोटीमोटी रस्सियों से बांध कर इन्हें खींचा जाता था. इस के लिए टैंकों के साथ पैदल सेना भी चलती थी. कई बार दुश्मन की तरफ से फेंका गया गोला टैंक समेत चालक और सहायक जवानों को भी ढेर कर देता था. तब लड़ाई आमनेसामने की होती थी, पर आज ड्रोन जैसे छोटे से खिलौनेनुमा उड़नयान ने युद्ध का तरीका ही बदल दिया है.
वर्तमान युद्ध सेना के आकार और पैसे से नहीं, बल्कि तकनीक और बुद्धिमत्ता से लड़े जा रहे हैं, जिस में ड्रोन युद्ध के मैदान का ऐसा खतरनाक शिकारी बन गया है जिस का निशाना अचूक है और नुकसान भयानक.
हाल ही में यूक्रेन ने रूस में 5000 किलोमीटर भीतर घुस कर ड्रोन हमले किए और उन के कई एयरबेस तबाह कर दिए. इन हमलों में लो कौस्ट ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. यूक्रेन ने अपने सैकड़ों ड्रोन को चुपके से एक ट्रक में भर कर रूस के भीतरी भागों तक पहुंचाया और निश्चित जगह पहुंच कर ट्रक की ऊपरी छत रिमोट कंट्रोल द्वारा हट गई और उस में से अनेक ड्रोन तिलचट्टों के माफिक निकलने लगे. बिना चालक वाले इन ड्रोन ने निश्चित स्थानों पर जबरदस्त बमवर्षा की और भारी तबाही मचाई. रिमोट कंट्रोल से 100 से ज्यादा ड्रोन एक साथ उड़ाए गए, जिन का निशाना बने रूस के वे एयरबेस जहां परमाणु हथियार ले जाने वाले बमवर्षक तैनात थे. इस हमले को नाम दिया गया – “स्पाइडर वेब औपरेशन”.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के इस ड्रोन हमले से हतप्रभ रह गए. यूक्रेन ने साफ कर दिया कि अब रूस के वे इलाके, जिन्हें अब तक पूरी तरह ‘सुरक्षित’ माना जाता था, वहां भी खतरा पहुंच सकता है और उसे रोक पाना आसान नहीं होगा. सिर्फ 3 लाख के FPV ड्रोन ने 300 करोड़ के TU-95 बौम्बर को ढेर कर दिया. साफ है कि आने वाले समय में युद्ध शक्ति, पैसा, संख्या से नहीं बल्कि टैक्नोलौजी से जीता जाएगा.
FPV ड्रोन यानी “फर्स्ट पर्सन व्यू” ड्रोन, आज युद्ध के मैदान का सब से खतरनाक हथियार है, जिसे हजारों किलोमीटर दूर बैठ कर संचालित किया जाता है. ये बौम्बर्स हजारों किलोमीटर दूर तक जा कर परमाणु बम गिरा सकते हैं. रूस व यूक्रेन युद्ध को ढाई साल होने को आ रहे हैं.
तमाम कोशिशों के बावजूद दुनिया की महाशक्ति रहा रूस छोटे से यूक्रेन पर विजय हासिल नहीं कर पा रहा है. यह अत्याधुनिक हथियारों की वजह से है. वर्ष 2025 की शुरुआत में यूक्रेन ने दावा किया था कि वह हर महीने करीब 2 लाख ड्रोन तैयार कर रहा है. इन ड्रोन में 4–5 किलो तक विस्फोटक लगाए जा सकते हैं और इन्हें टैंक, आर्टिलरी, कमांड पोस्ट या स्ट्रैटेजिक बौम्बर्स तक को निशाना बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा है.
पिछले दो सालों में ये ड्रोन यूक्रेन की जंग की ताकत का सब से बड़ा सहारा बन गए हैं. पिछले साल यूक्रेनी सरकार ने देश में ही 10 लाख FPV ड्रोन तैयार करने का लक्ष्य तय किया था. इन ड्रोन में छोटे वारहेड होते हैं, लेकिन ये टैंकों और अन्य हाईटेक सैन्य उपकरणों को तबाह करने में पूरी तरह सक्षम हैं. लंदन स्थित डिफैंस और सिक्योरिटी थिंक टैंक RUSI की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस के नुकसान पहुंचाए गए या नष्ट किए गए सैन्य सिस्टम में करीब 70 फीसदी हिस्सेदारी ड्रोन की है.
यूक्रेन में इस्तेमाल हो रहे R18 औक्टोकाप्टर, जिसे ‘Aerorozvidka’ नाम की संस्था ने बनाया है, खासतौर पर रात में मिशन के लिए तैयार किया गया है. इस में थर्मल कैमरा लगा होता है और ये 13 किमी तक उड़ सकता है. इस के अलावा ‘बाबा यागा’ जैसे लो कौस्ट लेकिन हाई इम्पैक्ट ड्रोन भी बड़ी संख्या में इस्तेमाल किए जा रहे हैं.
FPV तकनीक तो नई है, लेकिन ड्रोन से हमला कोई आज की बात नहीं. 1944 में, अमेरिकी नौसेना की एक सीक्रेट यूनिट STAG-1 ने जापानी सेना के खिलाफ रेडियोकंट्रोल “TDR-1” ड्रोन का इस्तेमाल किया था. वह भी किसी आधुनिक गेम की तरह थर्ड पर्सन व्यू में औपरेट होता था. तब से अब तक, तकनीक ने युद्ध की शक्ल ही बदल दी है.
आज का युद्ध पैसा और संख्या से नहीं, टैक्नोलौजी और इनोवेशन से जीता जाएगा. FPV ड्रोन इस का सब से बड़ा उदाहरण हैं जो छोटे, सस्ते, मगर बेहद घातक हैं. एक साधारण FPV ड्रोन की लागत महज $500–$1000 यानि 40 हजार से 1 लाख रुपए है. इस में भी आधुनिक $4,000 यानि 3-4 लाख रुपए का आता है. जबकि एक रूसी T-72 टैंक की कीमत $3–4 मिलियन यानि 34 से 40 करोड़ रुपए होती है.
यूक्रेन ने जिस तरह से रूस पर ड्रोन हमले कर तबाही मचाई है इस से भारत को सीख लेने की आवश्यकता है. इन हमलों से पता चलता है कि भारत को अपने ड्रोन सिस्टम को कितना मजबूत करने की जरूरत है. सीमा पर काउंटर ड्रोन सिस्टम की तैनाती के बावजूद, देश के अंदरूनी हिस्सों में भी सुरक्षा बढ़ाना जरूरी है. अब सिर्फ जमीनी निगरानी से काम नहीं चलेगा, हमें अपनी आंखें आसमान में भी गड़ा कर रखनी होंगी.
भारत में ड्रोन वारफेयर एक नई चुनौती के रूप में बीते दो वर्षों में उभरा है. पहलगाम हमले के बाद जम्मू से ले कर पंजाब तक के क्षेत्र में पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है. यह ड्रोन भारत की सुरक्षा के लिए नई चुनौती है. यह सेना को जमीन पर निगरानी के बाद अब आसमान पर भी पैनी नजर बनाए रखने के लिए विवश करती है. बिना किसी दुश्मन सैनिक के एक डिवाइस किस तरह हमारी पूरी सुरक्षा प्रणाली में सेंध लगा सकती है इस का उदाहरण यूक्रेन सामने रख चुका है.