Social Media : सोशल मीडिया भी गजब पाठशाला है चाहे जिसे पलभर में बदल देता है. कोई मीर है तो कोई गालिब कोई परसाई तो कोई प्रेमचंद. पर असल में कौन क्या है कोई नहीं जानता.

हम लोग अपने घर, दुकान, बाजार, स्कूल या औफिस में मिलें न मिलें, लेकिन इंस्टाग्राम व फेसबुक पर हरेक आधे घंटे पर मिल ही जाते हैं. जब हम अपना बहुमूल्य समय मेटा को समर्पित कर रहे हैं तो जाहिर है इंस्टा भी हमेशा हर मेटावासी के फेस पर स्माइल बुक करने की जुगत में लगा ही रहता है. विभिन्न रूपों में इंस्टा की बहुआयामी उपयोगिता और फेसबुकवासियों की आस्था के संदर्भ में ही आज चर्चा और चिंतन करने वाले हैं.

खुशफहमी : इंस्टाग्राम व फेसबुक सांता क्लौज की तरह खुशियां बांटने का काम करता है. इंस्टा पर 60 साल का बूढ़ा भी 25 साल की उम्र वाला प्रोफाइल बना कर तथा कम उम्र की महिला मित्र बना कर फिर से अपनी जवानी जी लेता है. घरघर पानी सप्लाई करने वाला लड़का भी अपने प्रोफाइल में खुद को किसी कंपनी का मैनेजिंग डायरैक्टर घोषित कर देता है. सब से बड़ी बात, इंस्टा व एफबी की वजह से व्यक्ति साल में 2 बार जन्मदिन भी मना लेता है. एक तो वास्तविक जन्मदिन, दूसरा इंस्टा बर्थडे. मजे की बात यह है कि इंस्टा बर्थडे पर बिना ट्रीट/पार्टी दिए झोलाभर बधाई संदेश हासिल हो जाते हैं.

ईगो डैवलपर के रूप में : बंदा भले ही वास्तविक जीवन में दब्बू/मुंहधप्पा क्यों न हो, लेकिन फेसबुक व इंस्टा पर पूरे टशन में रहता है. हर पोस्ट पर बंदे का एटीट्यूड कूटकूट कर भरा रहता है. महल्लेभर का ताना बटोरने वाले निठल्ले, आवारागर्द युवक के मनोबल को इंस्टा हाई बनाए रखता है. पौकेट मनी के नाम पर पिता से घुड़कियां अर्जित करने वाला बंदा भी हनी सिंह स्टाइल में पोज देते हुए स्वाभिमान से ओतप्रोत स्टेटमैंट के साथ सैल्फी को इस प्रकार शेयर करता है, मानो किसी स्टेट का प्रिंस या इंटरनैशनल सैलिब्रिटी हो.

चिकित्सक के रूप में : सोशल मीडिया के इस प्लेटफौर्म पर इंसान लैंगिक कृतित्व को चुटकियों में चुनौती दे सकता है. इंस्टा व एफबी अस्पताल में जैंडर बदलने की पूर्ण आजादी होती है. मसलन, कोई भी मेल बंदा महिला बन कर अपनी प्रोफाइल बना सकता है और चला सकता है. यानी बिना चिकित्सकीय संलिप्तता के कोई भी पुरुष जब चाहे नारी बन सकता है और नारी, नर के रूप में कन्वर्ट हो सकती है.

वास्तविक जीवन का लालो पासी इंस्टा प्रोफाइल पर किसी भी हीरोइन/महिला की तसवीर चिपका लिली प्रेयसी बन मर्दों को लुभा सकता है. प्रोफाइल में पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बननेभर की देर है, फिर तो हमेशा ही दर्जनों मेल फ्रैंड रिक्वैस्ट पैंडिंग में पड़ी रहती हैं.

समाजसेवी प्रमाणपत्र प्रदाता के रूप में : इंस्टा फेसबुक छुटभैया नेताओं के लिए दूरदर्शन की तरह कार्य करता है. मसलन, नेताजी यदि अपने कार्यकर्ता के साथ किसी अस्पताल में मरीजों के बीच प्रति मरीज 2 पीस केला वितरण कर दिए हों तो मरीज के हाथों में केला सौंपते हुए उन की तसवीर एफबी पर अपडेट करना उसी तरह मैंडेटरी होता है जिस प्रकार सत्यनारायण की कथापूजन के बाद आरती.

इंस्टा में तो हीरो स्टाइल रील बनाने का क्रेज है. नेताजी किसी की मय्यत में शरीक हों या किसी के मुंडन समारोह में, किसी स्थान पर धरना दिए हों या कोई विरोध जुलूस निकाला हो तो उन परिस्थितियों में उपस्थिति वाली तसवीरें या सैल्फी इंस्टा पर चेंप कर अपने समाजसेवी होने का प्रमाणपत्र प्राप्त कर लेते हैं.

साहित्य व कला के संवर्धक : इंस्टा व एफबी के कारण घरघर सुकरात, गालिब, मीरा बाई, हरिशंकर परसाई पैदा होने लगे हैं, जो इंस्टा पर फौरवर्ड की हुई सूक्तियों, दोहों, व्यंग्य आदि का रायता हर घंटे फैलाने को व्यग्र रहते हैं. एफबी पर बाथरूम सिंगर भी विभिन्न ऐप के माध्यम से इंडियन आइडल सदृश माहौल प्राप्त कर लेता है.

कान में हैडफोन लगा कर राग आलाप कर तथाकथित गवैया भी प्लेबैक सिंगर सा अनुभव प्राप्त करता है. कौमेडी वीडियो बना कर खुद को कपिल शर्मा, सुनील ग्रोवर के समकक्ष मान सकता है या फिर डायलौग मार कर अक्षय कुमार, अजय देवगन को चुनौती दे सकता है.

औकात प्रदर्शनी मंच : बंदे ने किस रैस्टोरैंट में क्या खाया, बंदा सैर पर झुमरीतलैया गया है या होनोलूलू, बंदे ने नई कार खरीदी या टैंपो, किस महंगे होटल में ठहरा या किस मल्टीप्लैक्स में मूवी देख रहा है आदि सबकुछ इंस्टा पर शेयर किया जाता है. इस प्रकार इंस्टा लोगों की औकात, स्टैंडर्ड या सामाजिक स्टेटस को शोऔफ करने का बेहतरीन माध्यम भी है.

ज्ञानप्रसार केंद्र : फोड़ाफुंसी से खूनी बवासीर, बालतोड़ से कैंसर तक के घरेलू या आयुर्वेदिक इलाज का ज्ञान, टोनाटोटका, वास्तुदोष, कारण व निवारण, महान विभूतियों के कथन, वचन, गीता, कुरान के उपदेश आदि इंस्टा पर हमेशा विचरण करते रहता है. एफबी भक्त या एफबी उपभोक्ता इन फेसबुकिया ज्ञान को बांचते भी हैं और आत्मसात भी करते हैं. इंस्टा पर 16 से 20 सैकंड की ज्ञान से ओतप्रोत रील बना डालते हैं.

परिपक्व पाठशाला : इंस्टा समय से पहले बच्चों को परिपक्व बना रहा है. पहले 18 पार का युवा दिस-दैट वीडियो या मूवी देखने के लिए मौर्निंग शो या लास्ट नाइट शो में गांव वालों से छिपछिपा कर बायोलौजी का ज्ञान हासिल करता था. आज 12-14 साल का बच्चा घर वालों से नजर बचा कर उसी बायोलौजी क्लास को इंस्टा पर पूरा कर रहा है. एफबी की ही महिमा है कि अल्पवयस्क भी बिना दवाईइंजैक्शन के समय से पहले परिपक्व और जानकार हो रहा है.

खुन्नस निष्कासन मंच : जब किसी मित्र से आप का मनमुटाव हो जाए, तो आप उसे अपनी पोस्ट पर जबरन टैग करें या मैसेंजर में बारबार अपनी ऊलजुलूल रचनाएं भेज कर अप्रत्यक्ष रूप से उसे प्रताडि़त कर सकते हैं और अपनी खुन्नस निकाल सकते हैं.

समानता का पैरोकार : भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त समता और समानता से अधिक प्रभावी समभाव इंस्टा पर देखने को मिल रहा है. इंस्टा वह प्लेटफौर्म है, जहां आपसी भेदभाव नहीं है. सभी लोगों के बीच एक ही रिश्ता कायम है और वह है मैत्री संबंध. सासबहू, पितापुत्र, अधिकारीचपरासी, 18 साल अथवा 81 साल का हर मानव आपस में सिर्फ और सिर्फ मित्र (एफबी फ्रैंड) हैं. भले ही सास घर में बहू से दिनभर मुंह फुलाए हुए हो लेकिन इंस्टा व फेसबुक पर लाइक व कमैंट्स करने से गुरेज नहीं करती.

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