Health Update : गिरना वैसे तो आम बात है मगर गिरने के बाद यदि किसी प्रकार की बड़ी चोट लग जाए तो चिंता की बात है. कुछ लोग छोटेमोटे गिरने से ही चोटिल हो जाते हैं इस की बड़ी वजह गिरने वाले व्यक्ति में ही छुपी है, पढ़िए.

75 वर्षीय सुहासी पिछले 5 सालों से बेड पर हैं क्योंकि उन की कमर की हड्डी बाथरूम में गिरने की वजह से टूट चुकी है. उन्होंने कई डाक्टरों से जांच करवाई और दवाइयां लीं, लेकिन वह फिर से चल नहीं पाई. डाक्टर्स का कहना है कि उन की हड्डियों में ताकत नहीं है, इसलिए वह खड़ी नहीं हो सकतीं. बेड पर ही उन्हें सबकुछ करना पड़ता ह. बेड पर बैठ कर बड़ी मुश्किल से वह सिर्फ खाना खा सकती हैं, लेकिन उठ कर थोड़ी देर के लिए किसी कुर्सी पर बैठना उन के लिए संभव नहीं.

पिछले 5 साल से वह अपनी अवस्था को ले कर परेशान हैं, लेकिन आगे इलाज संभव नहीं ऐसा मानकर उन की जिंदगी अब उन के बेटे और हाउस मेड पर निर्भर है. कभी एक पेट्रोल पम्प की मालकिन रह चुकीं एक्टिव सुहासी की ये दुर्दशा कम उम्र में खुद को सही तरह से देखभाल न करना है, क्योंकि उन की हड्डियां अब खोखली हो चुकी हैं जो उन के शरीर का भार वहन नहीं कर पा रही हैं. आज उन की ये दशा उन के और परिवार के लिए एक बोझ बन चुकी है.

यह सही है कि बढ़ती उम्र के साथ वयस्कों का कई बार गिरना आम बात है, जिस में उन की हड्डियां कमजोर होने की वजह से जल्दी टूट जाती हैं, जिस से वे अपाहिज हो जाते हैं और इस का असर पूरे परिवार पर पड़ता है. परेशान हो कर कई बार परिवार उन्हें ओल्ड ऐज होम मे भी डाल आते हैं, जैसा मधुसूदन के साथ हुआ.

व्यवसायी परिवार के मधुसूदन पूरी लाइफ काम करते हुए बिताया, लेकिन एक दिन वे फिसल कर कमरे में ही गिरे और उन के सिर पर चोट लगी और एक क्लाट सिर के अंदर बन गया. उन की उम्र को देखते हुए डाक्टर ने औपरेशन से मना कर दिया. अब उन की यादाश्त धीरेधीरे कमजोर होती गई. वे हर बात को भूलने लगे. उन का काफी इलाज उन की बेटियों ने करवाया, लेकिन वे ठीक नहीं हुए. उन्होंने खाना खाया या नहीं, नहाया या नहीं, सब भूलने लगे. अंत में उन्हें नवी मुंबई की एक अच्छे ओल्ड एज होम में बेटियों ने रहने का इंतजाम किया, क्योंकि दोनों बेटियां जौब करती हैं और घर पर देखने वाला कोई नहीं. ओल्ड एज होम में रखने के लिए उन्होंने एक बड़ी रकम दी है, ताकि उन के पिता की अच्छी देखभाल हो सके.

भारत में वयस्कों के गिरने की संख्या अधिक होने के कई कारण हैं, जिन में वयस्कों की जनसंख्या में वृद्धि, मैडिकल व्यवस्था की वजह से अधिक उम्र तक जीवित रहना और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी का होना, जिस से वे खुद की देखभाल अच्छी तरह नहीं कर पाते और उम्र होने पर कमजोर होते जाते हैं.

क्या कहती है आंकड़े

आंकड़े बताते हैं कि भारत में वयस्कों के गिरने की संख्या पहले से बहुत अधिक बढ़ चुकी है और ये लगातार बढ़ती ही जा रही है, जबकि जापान, चीन, यूरोप और अमेरिका में इस की संख्या काफी कम है. भारत में लोग अधिकतर अपने परिवार के साथ रहते हैं, जबकि विदेशों में अकेले रहने वाले वयस्कों की संख्या बहुत अधिक है, फिर भी उन के गिरने की संख्या कम है. भारत में वयस्कों के गिरने की संख्या 14 प्रतिशत से 51 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका में 30 प्रतिशत और जापान में 13.7 प्रतिशत है.

कम उम्र से शुरू करें एक्सरसाइज

इस बारे में मुंबई की जीनोवा शाल्बी हौस्पिटल के इंटरनल मैडिसिन एक्सपर्ट डा. उर्वी माहेश्वरी कहती हैं कि विदेशों में गिरने की संख्या कम होने की खास वजह डाइट और एक्सरसाइज़ है, क्योंकि विदेशों में लोग खानपान पर खास ध्यान देते हैं, जिस में वे प्रोटीन, विटामिन्स का सेवन नियमित करते हैं. साथ ही वे नियम से एक्सरसाइज भी करते हैं, जो हमारे देश में लोग नहीं करते, इसलिए बहुत कम उम्र में उन की तोंद बाहर निकल आती है. कम उम्र में किया गया व्यायाम बड़ी उम्र में भी व्यक्ति को संभालना है. अगर आप कम उम्र में सेहत का ख्याल नहीं करेंगे, तो तकलीफ मिलना लाजमी है. जब से व्यक्ति चलना शुरू करता है, तभी से उसे व्यायाम करने की जरूरत होती है.

वयस्क स्त्रियों के गिरने की संख्या अधिक

इस के आगे उर्वी कहती हैं कि “हमारे देश में औरतें घरेलू हो या कामकाजी, परिवार को देखने में अपना पूरा समय खराब करती हैं, खुद पर ध्यान नहीं देतीं. इसलिए यंग एज में एक्सरसाइज न करने पर बुढ़ापे में हड्डियां, नसें और मसल्स कमजोर होने लगती हैं जबकि वैस्टर्न कंट्रीस में शुरू से ही वे खुद पर अधिक ध्यान देते हैं. उस के बाद उन के घरपरिवार का नंबर आता है. इतना ही नहीं वे खानपान पर भी अधिक ध्यान देते हैं, रेगुलर एक्सरसाइज करते हैं, इस से वे फ्रेश रहते हैं.

“साथ ही वे 5 दिन जमकर काम करते हैं, दो दिन आराम करते हैं, जो यहां के लोग कभी नहीं करते, जिस का परिणाम उन्हें अधिक उम्र में सहना पड़ता है. उन्हें हड्डियों का फ्रैक्चर होने के साथसाथ कई प्रकार की बीमारियों से रिकवरी के चांसेस भी कम हो जाते हैं, जिस से व्यक्ति तब डिप्रेशन में चला जाता है. इस के अलावा गिरने की समस्या पुरुषों से अधिक स्त्रियों में होती है, क्योंकि स्त्रियां अपने शरीर का ध्यान अधिक नहीं रखतीं, वे पूरा समय अपने परिवार पर लगा कर खुद को धन्य मानती हैं.”

कमजोर हड्डियां, अधिक फ्रैक्चर

डाक्टर कहती हैं कि 60 साल के बाद अधिकतर वयस्कों को शुगर और ब्लड प्रेशर की बीमारी रहती है और लोंग टर्म शुगर वाले को हार्ट अटैक, किडनी का डैमेज होना, पेरालैसिस आदि कई बीमारियां होने का रिस्क रहता है. सब से अधिक फ्रैक्चर होता है, क्योंकि हड्डियां कमजोर होने लगती है और थोड़ा भी धक्का लगने पर तुरंत फ्रैक्चर हो जाता है. कमर, हिप, हाथपैर आदि हर जगह फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है. इस के अलावा इस उम्र में ओस्टोअर्थराइटिस की बीमारी भी बहुत अधिक होता है, जिस में घुटने की हड्डियां घिसने लगती हैं क्योंकि एक उम्र के बाद हड्डियों में से कोलाजन कम होने लगता है, जिस की वजह से हड्डियां घिसने लगती हैं और डाक्टर उन्हें नी रिप्लेसमेंट की सलाह देते हैं. इस के अलावा कम सुनने की बीमारी, दांतों का अचानक गिरने लगना आदि कई होते रहते हैं.

खुद से करें अपना काम

इस के आगे डा. उर्वी कहती हैं कि “हमारे देश में पुरुष 60 साल के बाद रिटायर हो जाते हैं, वे कामकाज पूरी तरह से छोड़ कर आराम करने लगते हैं, जबकि स्त्रियां घर में बहू बेटी पर निर्भर हो जाती हैं. एक गिलास पानी भर कर भी पीना नहीं चाहतीं, ये आलसपन उन्हे मोटापा और कई बीमारियों की तरफ ले जाती है. जितना आलसपन उन्हें घेरेगी, उतना ही उन के शरीर को नुकसान होता जाएगा. जब तक इंसान जिंदा है, उसे शारीरिक और मानसिक तौर पर ऐक्टिव रहने की जरूरत है, ताकि उन के मसल्स और हड्डियां मजबूत रहें. दूसरों पर जो काम हम थोपते हैं, मसलन पानी ले कर आओ, चाय बना दो, खाना परोस दो आदि. ऐसे सभी काम खुद करते रहें, जरूरत पड़े तो झाड़ू भी खुद लगा लें, ताकि मसल्स आप का हमेशा साथ देते रहे.

घर के इंटीरियर में करें बदलाव

अगर किसी के घर में वयस्क हैं तो घर के इंटीरियर में कुछ बदलाव अवश्य करने चाहिए, जिस से अगर वे फिसलते भी हैं तो वे कुछ पकड़ कर खुद को गिरने से बचा सकते हैं जो निम्न है,

• अगर आप के घर में इंडियन बाथरूम है, तो उसे बदल कर वैस्टर्न बाथरूम बनाएं, ताकि घुटने की हड्डी घिसे नहीं.

• बाथरूम के बगल में हैंडल का प्रावधान रखें, ताकि वे उसे पकड़ कर उठ सकें.

• बाथरूम और कमरे में हर जगह सही लाइटिंग होने की जरूरत है, ताकि वयस्कों को चलने में हर चीज साफसाफ दिखे.

• रात में डिम लाइट वयस्कों के रहने के स्थान से बाथरूम, किचन, पैसेज आदि स्थानों पर जला कर रखें, ताकि वे जरूरत के अनुसार ववहां आ और जा सकें, क्योंकि कई बार उन्हे अंधेरे में स्विच बटन दिखाई नहीं पड़ते हैं, जिस से वे गिर जाते हैं या स्लिप हो जाते हैं.

• इस के अलावा अगर उन का बैलेंसिंग ठीक नहीं है, तो घर में, हौल में या किचन में थोड़ीथोड़ी दूर पर हैन्डल लगा सकते हैं जिसे पकड़पकड़ कर वे कही भी जा सकते हैं.

• हर वयस्क को 40 से 45 मिनट तक डेली एक्सरसाइज करने की जरूरत होती है, जिस में 25 मिनट वाक करना और बाकी बचे समय में हल्का वेट लिफ्टिंग करना सही रहता है, ताकि हड्डियां मजबूत रहें.

ले संतुलित आहार

डाक्टर कहती हैं कि डाइट हमेशा संतुलित और हैल्दी लेना है, जिस में एक कटोरी दाल, एक कटोरी सब्जी, सलाद आदि दिनभर में लेना है. नशे और जंक फूड को अवौइड करें, तेल और मसालेदार खाना कम खाएं, रोज एक गिलास दूध पिए, एक फल, थोड़े ड्राइ फ्रूट अवश्य लें. उम्र के साथसाथ प्रोटीन कंटेन्ट को बढ़ा कर फैट कंटेन्ट कम कर देना चाहिए.

रखे ध्यान बैलेंस का

उम्र के साथ बैलेंस लोगों में कम हो जाता है, जिस के लिए एक्सरसाइज बहुत जरूरी है, लेकिन फिर भी आप की बैलेंस खराब है तो आप न्यूरोलोजिस्ट की सलाह अवश्य लें, ताकि समय पर उस का इलाज हो सके. इस के अलावा फिजियोंथेरैपी का भी सहारा ले कर बैलेंस को कई बार ठीक किया जा सकता है.

गिरते वक्त खुद को सम्हालने के कुछ सुझाव

अगर किसी वयस्क व्यक्ति की सबकुछ ठीक है, तो गिरते वक्त खुद को अधिक चोट लगने से बचा सकते हैं, जिसे उन्हें खुद ही करना पड़ता है. डा. उर्वी कहती हैं कि गिरते वक्त सिर को बचाना सब से अधिक जरूरी होता है, उम्र के साथ सिर के नस का फटना बहुत आम हो जाता है, क्योंकि सिर की नसे उम्र के साथसाथ मुलायम हो जाती है.

गिरने की वजह से सबडीयूरल हिमेटोमा (subdural hematoma) फार्म होने लगता है और न्यूरोसर्जरी की जरूरत पड़ती है, इसलिए सिर पर चोट लगने से बचना चाहिए. दूसरा उम्र के साथसाथ कमर की हड्डी और हिप बोन काफी कमजोर होने लगता ह. ऐसे में जब व्यक्ति गिरता है, तो कमर या हिप बोन का फ्रैक्चर होना आम होता है.

कभी भी हाथ पर प्रेशर न दें, क्योंकि चेस्ट की तरफ से गिरने पर थोड़ा सही रहता है, लेकिन हाथ पर प्रेशर देने से, हाथ के फ्रैक्चर होने का खतरा रहता है, जिस में अधिकतर हड्डियां चूरचूर हो जाती हैं, इसलिए इसे बचा कर रखना बहुत जरूरी होता है.

डाक्टर की सलाह से लें दवाइयां

अधिक दवाइयां कभी भी न लें, अधिक कैल्शियम लेने से किडनी स्टोन बन सकता है, इसलिए एक दिन कैल्शियम और एक दिन विटामिन की गोली डाक्टर की परामर्श से ले सकते हैं. ओवरडोज कभी न लें ताकि आप के शरीर को नुकसान न पहुंचाएं.

विटामिन डी की गोली हफ्ते में एक दिन 3 महीना हर साल का कोर्स कर सकते हैं ताकि विटामिन डी की कमी शरीर में न हो, इस के अलावा कुछ दवाइयां हड्डियों में जेल भरने वाली आती है, हौर्मोन की दवाइयां भी कई बार दी जाती है, लेकिन उन्हें खुद से कभी नहीं लेना चाहिए, टेस्ट और वैल्यूस के अनुसार डाक्टर की सलाह से लेना आवश्यक होता है.

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