Hindi Poem : मैं कब घर आंगन सम्भालने लगी गुड़िया से हो गयी मां
मां शब्द जब सुना मैं हो गयी सम्पूर्ण नारी
अब मां की ज़िम्मेदारी निभाती
अपनी गुड़िया को अपने आंगन में लाड लाडती
और मन में सोच रही
पता नहीं चलेगा, समय दौड़ जायेगा
मैं मां बन जाउंगी
मन ही मन मैं कहती मैं भी मां की तरह
हो जाउंगी सम्पूर्ण नारी
नारी तुम शाक्ति हो
नारी तुम आदि अनंत हो

लेखिका : रमा सेठी

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...