Social Issue : एकदूसरे के लिए प्रेम दर्शाना गलत नहीं है, लेकिन पब्लिक प्लेस में कई लोग अश्लीलता की हद पार कर देते हैं, जिस से आसपास के लोग अनकंफर्टेबल हो जाते हैं. ऐसे में लड़कियों को खास ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि पब्लिक प्लेस में ऐसी हरकतों के वीडियोज सैकंड्स में वायरल हो सकते हैं या वीडियोज बना कर उन लोगों को ब्लैकमेल किया जा सकता है.

हालही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो को देख कर यह बहस फिर से छिड़ गई कि आखिर पब्लिक प्लेस पर प्रेम प्रदर्शन के क्या माने हैं. इस वीडियो में देखा जा सकता है कि एक छात्र और एक छात्रा नोएडा की किसी यूनिवर्सिटी में एक सुनसान जगह पर किस कर रहे हैं. दोनों किस करने में इतने मशगूल हो गए हैं कि उन्हें होश ही नहीं रहा कि कोई उन का वीडियो भी रिकौर्ड कर रहा है.

इस वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए. कुछ लोग तो इसे देख कर लड़कियों के कालेज व यूनिवर्सिटी की पढ़ाई न करवाने की वकालत करते नजर आए.

इस तरह का एक और मामला जनवरी 2023 में भी सामने आया था. लखनऊ की सड़कों पर स्कूटर की सवारी करते हुए रोमांस कर रहे एक युवा जोड़े का अश्लील और आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. पुलिस ने स्कूटी चला रहे 23 साल के युवक विक्की शर्मा को हिरासत में लिया था, जिस ने अपनी महिला मित्र को अपनी बाइक के आगे पालथी मार कर बैठाया हुआ था.

खुलेआम प्रेमी जोड़े के रोमांस का वीडियो सड़क पर किसी के द्वारा शूट किया गया और सोशल मीडिया पर साझा किया गया था. पुलिस ने स्कूटर के नंबर से पता लगाया और युवक को गिरफ्तार कर उस पर आईपीसी की धारा 294 और 279 के तहत सार्वजनिक रूप से अश्लील हरकतें करने व लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले दर्ज किए थे, जबकि लड़की के नाबालिग होने पर उसे समझाइश दे कर छोड़ दिया था.

माना कि बौडी आप की है और उस पर हक भी आप का है और प्रेम करना भी गुनाह नहीं है, मगर पब्लिक प्लेस पर इस तरह प्रेम का इजहार एक तरह से पब्लिसिटी के अलावा कुछ नहीं है. इस तरह खुलेआम प्रेमी जोड़े का प्रेम प्रदर्शन सामाजिक तानेबाने को प्रभावित करता है.

युवा प्रेमी जोड़े अधिक रोमांटिक होते हैं, उन्हें जब एकांत स्थान नहीं मिल पाता तो वे पब्लिक प्लेस में भी अपने पार्टनर के प्रति इंटिमेसी व्यक्त करने से नहीं चूकते. अकसर पब्लिक प्लेस या किसी गार्डन में प्रेमी जोड़े एकदूसरे को चूमते, गले लगाते और हाथों में हाथ डाल कर चलते हुए नजर आते हैं.

इन जोड़ों का प्रेमालाप आसपास के लोगों को कई तरह से प्रभावित करता है. दरअसल पब्लिक प्लेस पर बच्चे, फैमिली, बुजुर्ग सभी तरह के लोग मौजूद होते हैं. एकदूसरे के लिए प्रेम दर्शाना कोई गलत बात नहीं है, परंतु हर जगह प्रेम दर्शाने का अलगअलग तरीका भी होता है.

कई देशों में पब्लिक डिस्पले औफ अफैक्शन को लीगल माना जाता है, परंतु बात यदि भारत की करें तो पब्लिक डिसप्ले औफ अफैक्शन तब तक दंडनीय नहीं है जब तक कि यह अश्लीलता में न बदल जाए और दूसरों की भावनाओं को किसी प्रकार से ठेस न पहुंचे. प्रेम प्रदर्शन की सीमारेखा अपने आसपास के माहौल को देखते हुए आप को खुद तय करनी होगी.

पब्लिक प्लेस पर अपने पार्टनर के प्रति प्रेमस्नेह जाहिर करने के और भी तरीके हैं जिन्हें शारीरिक गतिविधियों से परे भावनात्मक प्रेम कह सकते हैं. पब्लिक प्लेस में मौजूद व्यक्ति कई बार इस तरह की प्रतिक्रिया को देख कर अनकंफर्टेबल हो जाते हैं.

जब पब्लिक प्लेस पर स्नेह जताने का तरीका जिस्मानी हो जाता है, जैसे कि एकदूसरे को लंबे समय तक चूमते रहना, अमान्य रूप से इधरउधर टच करना, लंबे समय तक एकदूसरे को बांहों में लिए रहना तो आसपास मौजूद लोग असहज हो जाते हैं. ये गतिविधियां आसपास मौजूद लोगों की स्वेच्छा के बगैर की जाएं तो इस के अनुरूप आप के ऊपर कानूनी कार्रवाई और फाइन चार्ज किया जा सकता है.

सीमारेखा न लांघें

जवान लड़कियां लड़कों की बातों में आ कर प्रेम और वासना के बीच के अंतर को समझ नहीं पातीं. इसी वजह से वे अपना सबकुछ न्योछावर कर देती हैं. पार्टनर के साथ प्रेम करने या सैक्स करने की वीडियो बनाने की बेवकूफी कभी न करें, क्योंकि ब्रेकअप होने पर लड़के आप को ब्लैकमेल करने से गुरेज नहीं करते.

मध्य प्रदेश में पिछले माह एक युवती का वीडियो और व्हाट्सऐप चैट वायरल हुई थी, जिस में वह अपने प्राइवेट पार्ट को अपने पार्टनर को दिखा रही है. बताया जाता है कि युवक युवती से वीडियो कौल के दौरान अपने प्राइवेट पार्ट को दिखाने की डिमांड करता है और युवती सहमति से यह सब करती रही. बाद में जब किसी बात को ले कर दोनों में मतभेद हो गए तो युवक ने वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. पूरे शहर में युवती की बदनामी हुई और अब उस के घरवालों को उस के लिए रिश्ते खोजने में परेशानी हो रही है.

छोटे शहरों से ले कर महानगरों में आजकल एक नई तरह का ट्रैंड चल रहा है. बाइक पर पति या प्रेमी के साथ सवार पत्नी या प्रेमिका अपना हाथ पार्टनर के प्राइवेट पार्ट पर रख बेशर्मी के साथ भीड़भाड़ वाले इलाकों में घूमती है. पब्लिक प्लेस पर यह कर के आखिर वे किस तरह का प्रेम कर रहे हैं. खासतौर पर लड़कियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रेमालाप के दौरान किसी ऐसी जगह का चयन करें जहां उन दोनों के अलावा कोई तीसरा न हो.

मोबाइल में वीडियो बनाने की गलती कभी न करें क्योंकि यह एक तरह का सुबूत होता है. युवा जोड़े जब आपस में मिलते हैं तो जोश में आ कर मर्यादा की सीमा लांघ जाते हैं और फिर समाज में उन की बदनामी होती है.

युवकयुवतियां अकसर फिल्मों या टैलीविजन सीरियल्स में दिखाए जाने वाले दृश्यों से ज्यादा प्रभावित रहते हैं. फिल्मों में नायिका नायक द्वारा प्रेम का सार्वजनिक रूप से इजहार करने पर खुश होती है वहीं असल जिंदगी में इस का असर ठीक विपरीत होता है. ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन के बाद लोगों को प्रेम के इजहार के लिए जगह चुनने में सावधानी बरतने की सलाह दी गई है.

वैबसाइट एमएसएन द्वारा 2,000 लोगों के मध्य किए गए एक सर्वेक्षण में 28 प्रतिशत लोगों ने माना कि सार्वजनिक स्थानों पर और दूसरे लोगों की मौजूदगी में प्रेम का इजहार उन्हें असहज करता है. करीब एकचौथाई ब्रिटिश युवतियां सार्वजनिक स्थानों पर गले लगने और यहां तक कि हाथ थामने में झिझक महसूस करती हैं जबकि हर 10 में से एक महिला ऐसे पुरुषों का साथ पसंद नहीं करती जो सार्वजनिक स्थानों पर भी प्रेम का इजहार करने से बाज नहीं आते.

अपनी बौडी किसी दूसरे को सौंपने से पहले दस बार सोचें कि ऐसा करने से कोई नुकसान तो नहीं है. कई दफा इस तरह के वीडियो की वजह से पुलिस भी प्रेमी जोड़े को परेशान करती है. कानूनी कार्यवाही के नाम पर पुलिस पैसा ऐंठती है या फिर यौनशोषण करती है. कमोबेश यही हालत सोसाइटी में रहने वाले लोगों की भी है.

अगर हम सोसाइटी में रह रहे हैं तो उस के कुछ कायदेकानून मानने भी जरूरी हैं. कहीं ऐसा न हो हमारी एक गलती हमें सोसाइटी में मुंह दिखाने लायक न छोड़े. बंद कमरे और एकांत जगह आप में बिंदास हो कर एकदूसरे को प्यार करें, मगर पब्लिक प्लेस पर खुल्लमखुल्ला प्यार से परहेज करना फायदेमंद साबित न होगा.

लचीला कानून

भारत में अश्लीलता विरोधी कानून बना हुआ है, जिस का उद्देश्य अश्लील सामग्री के वितरण को रोकना या प्रतिबंधित करना है. आईपीसी की धारा 292 इस का विवरण करती है कि किन मानकों को अश्लील माना जाएगा या नहीं जिस के आधार पर अपराधी को सजा भी हो सकती है. अश्लीलता शब्द उन शब्दों में से एक है जिस का अर्थ हमारे भारतीय कानून में स्पष्ट नहीं है.

लचीले कानून की वजह से अश्लील सामग्री है या नहीं, यह पूरी तरह से वकीलों और न्यायाधीशों पर निर्भर करता है और वे अश्लील शब्द की व्याख्या कैसे करते हैं. अश्लीलता की परिभाषा समयसमय पर बदलती रही है. हम जानते हैं कि कानूनों को समयसमय पर बदलना पड़ता है लेकिन अश्लीलता को सही तरीके से परिभाषित करने की आवश्यकता है. वर्तमान समय में यह उल्लेख करना बहुत महत्त्वपूर्ण है कि फिल्मों, वैब शो, कला, छवियों या चित्रों, साहित्य में अश्लीलता को अभी तक हमारे देश में परिभाषित नहीं किया गया है.

आईपीसी की धारा 294 को भारतीय न्याय संहिता में धारा 296 में बदला गया है, जिस के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि जो कोई दूसरों को क्षोभ पहुंचाने के लिए किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अश्लील कार्य करेगा या किसी सार्वजनिक स्थान पर या उस के निकट कोई अश्लील गीत, गाथा या शब्द गाएगा, सुनाएगा या बोलेगा, उसे 3 महीने की सजा या 1,000 रुपए जुरमाना या दोनों से दंडित किया जाएगा.

सरकार ने कानून की किताब और धाराओं को तो बदल दिया है लेकिन अश्लीलता को सही ढंग से न तो परिभाषित किया है और न ही इस के लिए कोई कड़ी सजा का प्रावधान किया है. यही वजह है कि कानून का खौफ न होने से स्वच्छंदता बढ़ रही है और युवा जोड़े खुलेआम अश्लीलता फैला रहे हैं.

कानूनी फैसले नामचीन लोगों के पक्ष में

भारत में अश्लीलता से संबंधित कई मामले हैं. कई अन्य अवधारणाओं और परंपराओं की तरह अश्लीलता का अर्थ भी हर मामले में बदलता रहता है. अभिनेता और मौडल मिलिंद सोमन ने अपने ट्विटर हैंडल पर अपनी एक तसवीर पोस्ट की थी, जिस में वह अपने जन्मदिन के अवसर पर गोवा बीच पर नग्न अवस्था में दौड़ रहे हैं और कैप्शन में लिखा है, ‘हैप्पी बर्थडे टू मी, 55 एंड रनिंग.’

इस मामले में गोवा पुलिस ने उन्हें सार्वजनिक स्थान पर अश्लील कृत्य को बढ़ावा देने के लिए आईपीसी की धारा 294 और सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री के प्रकाशन के लिए आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत गिरफ्तार किया था, लेकिन उन के अनुसार, वे अपनी फिटनैस को बढ़ावा दे रहे थे.

2018 में अश्लीलता से जुड़ा एक मामला सामने आया था, जिस में फिल्म स्टार रणवीर सिंह, अर्जुन कपूर, दीपिका पादुकोण और मशहूर फिल्म निर्देशक करण जौहर जैसी कई बौलीवुड हस्तियों और कई अन्य लोगों पर अश्लीलता के मामले में आरोप लगाए गए थे.

अवीक सरकार बनाम पश्चिम बंगाल राज्य के मामले में एक जरमन पत्रिका ने एक प्रसिद्ध टैनिस खिलाड़ी बोरिस बेकर की एक तसवीर प्रकाशित की, जिस में वे अपनी मंगेतर बारबरा फेल्टस, एक अभिनेत्री, के साथ नग्न अवस्था में उस के स्तनों को अपने हाथ से ढक रहे थे. यह तसवीर फेल्टस के पिता ने ली थी. जिस लेख में यह फोटो थी, उसे भारतीय समाचारपत्र और पत्रिका में दोबारा से प्रकाशित किया गया.

इस के बाद आईपीसी की धारा 292 के तहत अखबार के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई. लेकिन भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सामुदायिक मानक परीक्षण लागू करने के बाद फैसला सुनाया कि बोरिस बेकर की अपनी मंगेतर के साथ अर्धनग्न तसवीर अश्लील नहीं थी, क्योंकि यह यौन जनून को उत्तेजित नहीं करती है या लोगों के दिमाग को भ्रष्ट नहीं करती है.

रणजीत डी उदेशी बनाम महाराष्ट्र राज्य 1964 मामले में दिए गए फैसले पर गौर करना जरूरी है. उस समय लेडी चैटरलीज लवर्स नाम की एक किताब थी, जिसे प्रतिबंधित कर दिया गया था क्योंकि पुस्तक में कुछ अश्लील सामग्री थी. उन के पास पुस्तक की कुछ प्रतियां मिलीं, जिस से वे आईपीसी की धारा 292 के तहत दोषी माने गए.

उच्चतम न्यायालय में अपनी अपील में उन्होंने तर्क दिया कि यह धारा शून्य थी क्योंकि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत गारंटीकृत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती थी. भले ही धारा वैध थी, पुस्तक में अश्लील सामग्री नहीं थी. वादी द्वारा यह बताया जाना चाहिए कि उस ने खरीदार को भ्रष्ट करने के इरादे से पुस्तक बेची.

विरोधाभास

अश्लीलता को ले कर कानून के साथसाथ धर्म और समाज में विरोधाभास साफतौर पर देखा जाता है. भारतीय कानून में किसी प्राचीन संस्मारक या पुरातात्विक अवशेष पर रेखांकित, साहित्य कलाकृति, रंगचित्र, मूर्ति, कोई भी कलाकृति आदि का होना अश्लीलता का अपराध नहीं है. खजुराहो के मंदिर में बड़ी संख्या में उकेरी गई मैथुन करती मूर्तियां, जिन्हें हजारों की भीड़ देखती है, अश्लीलता के दायरे में नहीं हैं, परंतु कालेज, यूनिवर्सिटी या सड़क पर लड़केलड़कियों का किस करना समाज में अश्लीलता फैलाता है.

कानून के अनुसार, अगर कोई ऐसी रचना है जिस में विवाहित जोड़ों को अपने यौन संबंधों को नियंत्रित करने की गंभीर जानकारी दी जाती है तो भले ही उस में यौन संबंधों का विस्तार से वर्णन क्यों न हो, वह अपराध नहीं मानी जाती. उदाहरण के तौर पर, ‘कामसूत्र’ जैसी किताब अश्लील नहीं मानी जाती. लेकिन यह समझना मुश्किल है कि समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में छपी अर्धनग्न तसवीरें कैसे अश्लीलता को बढ़ावा देती हैं.

पौराणिक काल से ले कर समाज में पितृसत्तात्मक व्यवस्था आज भी हावी है. पुरुषों की सोच स्त्री को केवल भोग की वस्तु समझने की है. यही कारण है कि महिलाओं के कपड़ों पर टीकाटिप्पणी की जाती है और उन पर होने वाले रेप व छेड़छाड़ के लिए उन्हें ही दोषी ठहराया जाता है. महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न पर पुरुषों को दोषी मानने के बजाय महिलाओं को चरित्रहीन समझा जाता है.

यह वही समाज है जो नवरात्र पर सजीधजी महिलाओं को कामुक नजरों से देखता है और अष्टमी, नवमी पर कन्यापूजन और भंडारे का आयोजन करता है. मौका मिलते ही नाबालिग लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाता है. प्रेम करने वाली लड़कियों के चरित्र पर भी समाज सवालिया निशान लगाता है. लड़कियों को ऐसे दौर में यह आवश्यक हो जाता है कि वे स्थानीय परिवेश के अनुसार अपने रहनसहन और पहनावे को प्राथमिकता दे कर प्रेम के दिखावे से बचें और लोगों की छींटाकशी का शिकार होने से बचें.

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