Hindi satire : गरीबों के लिए तो सरकार कई योजनाएं बनाती है लेकिन गरीबों का उद्धार करने वाले अमीरों को क्यों वंचित किया जाए उन के लग्जरी जीवन को और बेहतर बनाने से. समानता का अधिकार तो भई सभी वर्गो के लिए होना चाहिए.
गरीबी उन्मूलन व कल्याण की अनेक योजनाएं स्वतंत्रता मिलने के बाद से ही सरकार द्वारा चलाई जाती रही हैं. यह अलग बात है कि इस से गरीब को क्या हासिल हुआ. एक प्रधानमंत्री तो बोल गए कि दिल्ली से चला एक रुपया गरीब तक पहुंचतेपहुंचते 15 पैसे ही रह जाते हैं.
अनुसूचित जाति/जनजाति, किसानों-मजदूरों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, युवाओं, बुजुर्गों, दिव्यांगों, विद्यार्थियों सब के लिए खासी योजनाएं हैं. यदि किसी वर्ग के लिए योजना का अकाल है तो वह अमीर वर्ग है. यह हमारे संविधान की समानता की भावना के विपरीत है. जो समाज या देश अमीरी को नहीं पूजता उसे फिर गरीबी का महिमामंडन करना ही होता है.
इसलिए सरकार ने ‘सब का साथ सब का विकास व सब का विश्वास’ की मूल भावना के मद्देनजर देश के अमीरों व उन की अमीरी के संवहनीय संरक्षण व संवर्धन के लिए एक योजना का खाका तैयार किया है. जैसे कि परीक्षाओं के प्रश्नपत्र खोखा के दम पर लीक हो जाने की हमारे यहां पुनीत परंपरा है वैसे ही इस का प्रारूप आमजन के सु झाव आमंत्रित करने के पूर्व ही पुनीत रूप से लीक हो कर गंगाधर के व्हाटसऐप पर मौजूद है. प्रारूप के चंद महत्त्वपूर्ण अंश आप के अवलोकनार्थ हैं-
भूमिका
देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद से ही सरकार ने गरीबों व अन्य कमजोर वर्गों, किसानों, मजदूरों के लिए असंख्य योजनाओं को शुरू किया. देश में गरीबों की संख्या में काफी कमी आई लेकिन दूसरी ओर देश की अमानत अमीरों की तादाद उस अपेक्षित दर से नहीं बढ़ी. यदि फौर्ब्स की अमीरों की सूची में एक भी भारतीय का नाम न हो तो कितना बैड फील होगा. उपेक्षित अल्पसंख्यक अमीर वर्ग की अमीरी के संरक्षण व संवर्धन के लिए एक डैडिकेटेड योजना की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी.
उद्देश्य
इस का प्राथमिक उद्देश्य अमीर वर्ग और अमीर बनें, उन की अमीरी पर कोई आंच न आए रहेगा. तमाम तरह की कठिनाइयों, जैसे हैवी करारोपण, हवाला द्वारा फंड डायवर्जन आदि से उन की नैट वर्थ में आने वाली कमी को दूर करने पर योजना मुख्यतया फोकस करती हैं. योजना का द्वितीय उद्देश्य आगामी 5 वर्षों में अमीरों की नैटवर्थ दस गुनी करना व फौर्ब्स की विश्व के अमीरों की सूची में कम से कम एकतिहाई भारतीयों को लाना है. इस के विज्ञापन की पंचलाइन होगी- ‘अमीर व अमीरी का संरक्षण समय की मांग है.’
योजना के प्रमुख बिंदु
शेयर बाजार की उठापटक या अन्य दीगर कारणों जैसे कि रुपए के स्वभावगत डौलर को देखते ही नीचे को झुक दंडवत सलाम करने, औद्योगिक घपलों आदि कारणों से यदि किसी अमीर की नैटवर्थ में 20 प्रतिशत से अधिक की कमी आती है तो योजना की ‘कमी लिंक्ड भरपाई सब्सिडी उपयोजना’ इस के 50 प्रतिशत की भरपाई तुरंत ही कर देगी.
योजना सुनिश्चित करेगी कि कोई भी खरबपति कभी गिर कर अरबपति व अरबपति गिर कर करोड़पति न हो जाए. यदि ऐसा कहीं भी पाया जाता है तो सरकार अपने कदमों द्वारा उन के कदम उन के मूल क्षेत्र में ही वापस खींच देगी. इस के लिए यदि आम आदमी की घींच को करारोपण के माध्यम से और खींच उसे मरणासन्न करना पड़े तो सरकार बिलकुल नहीं हिचकिचाएगी.
जीएसटी का युक्तियुक्तकरण अमीर व अमीरेआजम श्रेणी के लोगों के लिए किया जाएगा. निजी जेट व लग्जरी याट तथा 5 करोड़ रुपए से अधिक की कारों की खरीदी दर पर मात्र 2 प्रतिशत रखी जाएगी ताकि अमीर व्यक्ति की लग्जरी याट व निजी जैट बरकरार रहें. ये सरकार के नुमाइंदों के भी काम आते ही हैं न, इसलिए यह कदम तो एक तरह से सरकार के हित में ही होगा. इस क्रांतिकारी कदम से राजस्व में जो कमी आएगी उस की पूर्ति साइकिल व दोपहिया वाहनों पर दर बढ़ाने के साथ कर ली जाएगी. अर्थात, बजटीय घाटे को सरकार दृढ़ता से नहीं बढ़ने देगी.
योजना यह भी सुनिश्चित करेगी कि किसी भी अमीर की छोटीमोटी हरकतों, जैसे बैंकों का हजारपांचसौ करोड़ रुपए हजम कर जाना, उद्योग खड़ा करने के लिए नाममात्र दर पर सरकारी भूमि के बड़े हिस्से का व्यवसायीकरण कर देना आदि पर एनफोर्समैंट एजेंसी द्वारा तुच्छतुच्छ तरीकों से पूछताछ, एफआईआर इत्यादि से तंग नहीं किया जाएगा.
सरकार इस दुष्प्रचार को बिलकुल बरदाश्त नहीं करेगी कि गरीब व अमीर के बीच विद्यमान चौड़ी खाई इस योजना से और चौड़ी हो जाएगी. आखिर अमीर ही गरीब को रोजगार देता है. अमीर के लिए छाता योजना होगी तो गरीब के लिए धूप खाने की योजना पर धूप से जब विटामिन डी बनेगा तो फिर यह अमीर के हिस्से में पहले जाएगा.
आलोचक हमेशा की तरह कहेंगे कि इस योजना से सामाजिक संतुलन बिगड़ेगा. लोग यह क्यों भूल जाते हैं कि समानता तो सपनों में होती है, असमानता हकीकत है.
गरीबों को तो सरकार ने 3 करोड़ से अधिक मकान बना कर दे दिए हैं. सो संवैधानिक समानता की भावना की कद्र करते सरकार एक शाइनिंग आवास योजना देश की शान हाई नैटवर्थ व्यक्तियों के लिए भी लाएगी. एक रुपए की नाममात्र की दर पर सरकारी प्राइम लैंड इस के लिए चिह्नित की जाएगी. प्रत्येक बंगला कम से कम एक एकड़ का होगा. छत पर हैलिपैड होगा. हवाईपट्टी भी यहां पर होगी. प्रत्येक हवेली में 2 स्विमिंग पूल होंगे. यहां सातसितारा क्लबहाउस होगा. बिजली, इंटरनैट, पानी यहां बिलकुल मुफ्त होगा. अमीरेआजम यदि इस कदम से प्रसन्न हो गए तो सोचिए, वे नएनए उद्योग, बेशक सरकारी अनुदान के दम पर स्थापित करेंगे. इस टाउनशिप की खासीयत यहां के वह फुटपाथ होंगे जिन पर अमीरों के होनहार किशोर व युवा अपनी इम्पौर्टेड व महंगी एसयूवीज से भविष्य में गरीबों को कुचलने का अभ्यास सुकून से करेंगे.
सरकारी मिड्डे मील योजना की तर्ज पर अमीरों के दून जैसे स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के लिए ‘डिनर इन द स्काई’ योजना लौंच की जाएगी. गरीब को मुफ्त राशन की तरह अमीरों के लिए मुफ्त निवेश योजना लौंच की जाएगी. गरीब का भूखा रहना तो बरदाश्त किया जा सकता है पर अमीर को काजू व महंगी व्हिस्की रोज न मिले, यह देश के सम्मान के विपरीत होगा. जिन राज्यों में मद्यनिषेध लागू है वहां भी अमीर को पीने की इजाजत देना सरकार की इज्जत बढ़ाना होगा.
बैंकों पर लगाम लगाने का भी इस में प्रावधान होगा. यदि किसी अमीर उद्योगपति ने किसी बैंक के दोचार हजार करोड़ रुपए की रकम का डिफौल्ट कर दिया हो तो इस के लिए अमीर को इतना प्रताडि़त न किया जाए कि वह मातृभूमि छोड़ने को मजबूर हो जाए. एक विधेयक लाया जाएगा कि एक हजार करोड़ तक के डिफौल्ट पर कोई भी कानूनी कार्यवाही न कर मध्यस्थता द्वारा निबटारा किया जाए. जो बड़ी रकम जुगाड़ कर बड़े उद्योग लगाएगा उस से डिफौल्ट भी बड़े ही होंगे. जैसे कि साइकिल व बीएमडब्लयू से हुए ऐक्सिडैंट में खरोंच व जान जाने जैसा अंतर होता है. इसलिए सरकार यह निर्णय लेती है कि लाखों करोड़ में पंहुच गई एनपीए में सैकड़ोंहजारों करोड़ का डिफौल्ट करने वाले बड़े उद्योगपतियों के नाम डिस्क्लोज नहीं किए जाएंगे पर दोपांच या दस लाख रुपए का ऋण लेने वाले यदि डिफौल्ट करेंगे तो उन के नाम उजागर करने में देरी नहीं की जाएगी.
सरकार इरादा रखती है कि वह उच्च व सर्वोच्च न्यायालयों में एकदो न्यायाधीश नामित कर सके. यदि वह इस में कभी सफल हो गई तो कम से कम इन में से एक नामित अमीर व्यक्ति होगा. इस से यह लाभ होगा कि अमीरों के हित को संरक्षित करने का पुनीत कार्य वह कर सकेगा.
जितने भी आयोग व कमीशन हैं (वैसे यह सरकार को भी पता नहीं है, उन की गिनती के लिए शीघ्र ही एक आयोग बनाया जा रहा है), उन के विधान में परितर्वन कर प्रत्येक में अब एक अमीर, जिस की कि नैटवर्थ कम से कम 1,000 करोड़ रुपए हो, को नामित किया जा सकेगा.
रिजर्व बैंक औफ इंडिया को अमीरों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए इस के बोर्ड में भी एक ‘अपने वाले’ धनीधोरी को नामित किया जाएगा. संसद में 5 सीटें 5 सब से अमीरों के लिए आरक्षित करने के लिए अगले सत्र में विधेयक लाया जाएगा.
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तरह अमीरों को गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस पर सम्मानित किया जाएगा. आखिर वे भी तो हमें आर्थिक गुलामी से आज नहीं तो कल आजाद करवाएंगे.
एक अमीर जन आयोग भी बनाया जाएगा. इस का चेयरमैन देश के सब से अमीर व्यक्ति को बनाया जाएगा. इस की अनुशंसाएं मानने को सरकार बाध्य होगी. इसे परिसीमन आयोग के निर्णयों की तरह किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी. योजना में वेटेड वोटिंग के बारे में भी जिक्र है. इस के अंतर्गत जो जितना अमीर, उस के वोटों की संख्या उतनी अधिक होगी, जैसे करोड़पति के 10 वोट, अरबपति के सौ वोट व खरबपति के 1,000 वोट. जो फौर्ब्स की सूची में आ कर देश को गौरवान्वित करने का कार्य करेगा उस के एक लाख वोट होंगे.
कुल मिला कर गिद्दों व अमीरों दोनों का संरक्षण सरकार करेगी. अमीरों की नजर सार्वजनिक संसाधनों पर गिद्द की तरह ही होती है तभी तो वे अमीर हैं. लोकतंत्र का 5वां सब से मजबूत खंबा अमीर ही हैं. लग्जरी वस्तुओं को करारोपण से मुक्त करने पर भी प्रावधान आगामी चुनाव में अमीरों के चंदे की मात्रा पर मुख्यतया आधारित होगा.
उपसंहार
आशा है लंबे समय से उपेक्षित अमीर वर्ग को कुछ राहत उक्त अभिनव योजना से मिलेगी तो वे सरकार व समाज के साथ कदमताल कर अपनी नैटवर्थ को अल्प समय में कई गुना कर सकेंगे.
फलस्वरूप, ट्रिकल डाउन थ्योरी के अनुसार कुछ लाभ नीचे वालों को भी अवश्यंभावी मिलेगा. नीचे वाले इतने में ही खुश होने के आदी पहले ही बना दिए गए हैं.