Bollywood : अपने बेटे जुनैद खान की अद्वैत चंदन के निर्देशन में बनी फिल्म ‘लवयापा’ के प्रमोशन के दौरान मिस्टर परफैक्शनिस्ट यानी कि अभिनेता आमीर खान ने प्रण लिया था कि अगर उन के बेटे जुनैद खान की फिल्म ‘लवयापा’ बौक्स औफिस पर सफल हो गई, तो वह हमेशा के लिए सिगरेट पीना छोड़ देंगें. अपने बेटे की फिल्म ‘लवयापा’ को सफल बनाने के लिए आमीर खान व उन की पीआर टीम ने काफी मशक्क्त की. पर शायद आमीर खान भूल गए कि सोशल मीडिया पर हंगामा मचाने मात्र से किसी भी फिल्म को दर्शक मिलने से रहे.
फिल्म के प्रमोशन के लिए आमीर खान ने राज ठाकरे सहित कुछ राजनेताओं से उन के घर जा कर उन से मुलाकात की, राजनेताओं से मुलाकात करने से फिल्म देखने दर्शक सिनेमाघर में आते हैं, यह बात हमें पता नहीं थी. बहरहाल, आमीर खान के बेटे जुनैद खान की फिल्म ’लवयापा’ 7 फरवरी को सिनेमाघर पहुंच चुकी है. मगर आमीर खान के लिए खुश होने की बात है कि उन्हें सिगरेट छोड़ने की जरुरत नहीं पड़ेगी.
फिल्म ‘लवयापा’ इतनी बेतुकी फिल्म है कि पहले दिन यानी कि 7 फरवरी को 50 करोड़ की लागत में बनी यह फिल्म बौक्स औफिस पर महज एक करोड़ रूपए ही एकत्र कर सकी. इतनी बड़ी नाकद्री दोदो नेपोकिड की फिल्म का. जी हां! इस फिल्म में आमीर खान के बेटे जुनैद खान के साथ श्रीदेवी व बोनी कपूर की बेटी तथा जान्हवी कपूर की बहन खुशी कपूर हैं. यह दोनों इस से पहले क्रमशः महाराज और आर्चीज में भी नजर आ चुके हैं.
फिल्म ‘लवयापा’ की कहानी दिल्ली की है. जहां 24 साल के गौरव सचदेवा (जुनैद खान) और बानी शर्मा (खुशी कपूर) एकदूसरे से प्यार करते हैं. दोनों एकदूसरे को बानी बू और गुच्ची बू के नाम से बुलाते हैं. दोनों ही दिनरात मोबाइल पर लगे रहते हैं और एकदूसरे को अपने बारे में पलपल की जानकारी देते रहते हैं. इन दोनों को लगता है कि यह एकदूसरे को बहुत बेहतर समझते हैं. उन के बीच विश्वास की कभी न टूटने वाली डोर है. लेकिन विश्वास कब अविश्वास में बदल जाए, इस की गारंटी तो ईश्वर भी नहीं दे सकते.
हर वक्त फोन पर चिपके रहने वाली आदत से गौरव की मां (गृशा कपूर) बहुत चिढ़ती है. उन्हें लगता है कि घर में गौरव की बहन किरण (तनविका पार्लिकर) की शादी उस के मंगेतर डाक्टर अनुपम (कीकू शारदा) होने वाली है और गौरव का पूरा ध्यान फोन पर है.
उधर बानी के पिता अतुल कुमार शर्मा (आशुतोश राणा) ठहरे अति सख्त पिता. खुद बानी और उन की छेाटी बहन अपने पिता से डरती है. बानी, गुच्ची से उपहार में मिला मोबाइल फोन मौल में हुए कंपटीशन में जीता हुआ बताती है, पर उन के पिता समझ जाते हैं कि वह झूठ बोल रही है. वह सितार अच्छा बजाते हैं. साथ में शुद्ध हिंदी में बातें करते हैं. बानी के पिता उस की शादी के लिए लड़का देख रहे हैं.
एक दिन वह फोन पर गौरव और बानी की प्यार भरी बातें सुन लेते हैं. अब मजबूरन अतुल कुमार शर्मा के आदेश पर बानी को अपना हाथ मांगने के लिए गौरव को अपने पिता के सामने लाना पड़ता है. बानी के पिता गौरव और बानी की शादी से पहले एक शर्त रखते हैं कि उन्हें 24 घंटे के लिए एकदूसरे के साथ अपना फोन एक्सचेंज करना पड़ेगा और उस के बाद ही उन की शादी का फाइनल डिसिजन होगा. मगर जैसे ही वे दोनों फोन एक्सचेंज करते हैं, उन के बीच विश्वास की दीवार ढहने लगती है.
गौरव और बानी को एकदूसरे के बारे में ऐसीऐसी बातें पता चलने लगती हैं, जिस के बारे में उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी. बानी के फोन से गौरव को पता चलता है कि वह इस से पहले किन लड़कों से किस तरह की चैट करती रही है, किन के साथ उस का लव अफेयर रहा है. किस लड़के के साथ वह लंबी ड्राइव पर जा चुकी है आदि. तो वहीं बानी को पता चलता है कि गौरव किस तरह की नीच हरकतें करता रहा है.
बानी व गौरव के फोन की अदलाबदली के बाद दोनों की रिश्तों में में आए तूफान का असर गौरव की बहन किरण और होने वाले जीजा डा. अनुपम (कीकू शारदा) के रिश्ते पर भी पड़ता है. अब एकदूसरे के फोन में छिपी सच्चाई का पता लगने के बाद गौरव और बानी का रिश्ता किस करवट बैठेगा, इस के लिए तो फिल्म ही देखनी पड़ेगी.
फिल्म ‘लवयापा’ के निर्देशक अद्वैत चंदन है, जो कि पिछले तीस वर्षों से आमीर खान के साथ निजी सहायक के रूप में जुड़े हुए हैं. आमीर खान अभिनीत पिछली फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ का निर्देशन कर अद्वैत चंदन ने आमीर खान को भी घर पर बैठा दिया था. ‘लाल सिंह चड्ढा’ बौक्स औफिस पर इस कदर असफल हुई कि आमीर खान ने अभिनय से दूरी बना ली थी और अब वह सिर्फ बतौर निर्माता आगे आ रहे हैं. इस के बाद भी उन्होंने अपने बेटे जुनैद खान की फिल्म के लिए निर्देशक के रूप में अद्वैत चंदन को ही क्यों चुना, इस की वजह तो आमीर खान ही बेहतर बता सकते हैं. लेकिन कड़वा सच यह है कि ‘लवयापा’ एक वाहियात फिल्म है. पटकथा तो गड़बड़ है ही साथ में इस के कुछ संवाद भी बहुत ही ज्यादा घटिया हैं. मसलन आशुतोष राणा का एक जगह संवाद है ’हिसाब और पेशाब बराबर होना चाहिए’ इतना ही नहीं अद्वैत चंदन, जुनैद खान और खुशी कपूर दोनों से अभिनय नहीं करवा सके.
फिल्म ‘लवयापा’ एक मलयालम फिल्म ‘लव टुडे’ का हिंदी रीमेक है. मगर मलयालम में यह फिल्म सिर्फ 5 करोड़ में बनी थी, जबकि ‘लवयापा’ का बजट 100 करोड़ से ऊपर बताया जा रहा है. दूसरी बात इस फिल्म से दोदो नेपोकिड लौंच हुए हैं. ऐेसे में कहानी व विषय वस्तु पर ध्यान देना निहायत जरुरी था. वर्तमान समय में बच्चे से ले कर बूढ़े तक के लिए उन का मोबाइल बहुत अहम है. सभी अपना मोबाइल सीने से लगा कर रखते हैं. जबकि फिल्म की कहानी का आधार ही 24 घंटे के लिए प्रेमी व प्रेमिका के मोबाइल की अदलाबदली है.
वर्तमान समय में जेन जे की नई पीढ़ी अपना मोबइल की अदलाबदली करने से रही तो लोगों को यह कौंसेप्ट ही गले नहीं उतरा जब लोग मूल कथानक के साथ ही रिलेट नहीं कर पा रहे हैं तो वह फिल्म के साथ कैसे रिलेट कर पाएंगे? इसी के साथ फिल्मकार ने इस फिल्म में डीपफेक, बौडीशेमिंग जैसे मुद्दे भी जबरन ठूंस दिए हैं और तो और फिल्म के दूसरे नायक किकू शारदा का किरदार अपने मोबाइल को अपनी मंगेतर से छिपा कर रखने की जो वजह बताता है, वह भी किसी की भी समझ में नहीं आती.
पटकथा लेखक स्नेहा देसाई और निर्देशक अद्वैत चंदन यह भी भूल गए कि आज की नई पीढ़ी का प्यार काफी डे से शुरू और काफी डे पर खत्म हो जाता है. आज की पीढ़ी अपने फोन पर बहुत कुछ चैट करती रहती है, कई बार महज दूसरों को चिढ़ाने के लिए भी. और तो और अब प्रीवेडिंग फोटोशूट का जमाना है और हम प्रीवेडिंग फोटो शूट के कुछ दिन बाद दोनों के अलग होने की खबरें सुन कर चौंकते नहीं हैं. जेन जी के रिश्तों की उलझनों को और गइराई से दर्शाया जाना चाहिए था, पर लेखक व निर्देशक बुरी तरह से चूक गए.
माना कि फिल्म कई जगहों पर कौमेडी और रोमांस का कौम्बो पेश कर मनोरंजन करती हैं. कीकू शारदा और तन्विका पार्लिकार और गौरव के दोस्तों का ट्रैक दिलचस्प है. फिल्म में पेरैंट्स बने गृशा कपूर और आशुतोष राणा के चरित्रों के जरिए आज की जनरेशन को संदेश देते हैं, ‘रिपेयर करना सीखो, रिप्लेस नहीं.’ गुच्ची की मां का किरदार निभा रही ग्रुशा कपूर भी सलाह देते हुए कहती हैं, ’बेटा सेल फोन हर दो साल में बदले जाते हैं, रिश्ते नहीं..’ पर आज की पीढ़ी किसी से भी संदेश नहीं लेना चाहती.
निर्देशक अद्वैत चंदन की इस बात के लिए तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने अपनी फिल्म ‘लवयापा’ में यह दिखाने का साहस किया कि ‘लड़का’ और ‘लड़की’ दोनों के फोन में रहस्य छिपे होते हैं, जो कि उन के बीच के रिश्तों को उथलपुथल कर सकते हैं.
फिल्मकार अद्वैत चंदन ने जेन जेड की छीछालेदर व उन का अपमान करने में अपनी तरफ से कोई कसर बाकी नहीं रखी. मगर क्या उन्हें नहीं पता कि तमाम बुजुर्ग के मोबाइल में पोर्न क्लिप मौजूद होती हैं, जिन्हें वह अपने व्हाट्सएप ग्रुप में शेअर करते रहते हैं. स्कूल व कालेज में पढ़ाई के दौरान लड़के व लड़कियां अनजाने व नासमझी में अपने दोस्तों के साथ मस्ती में कई कारनामे ऐसे करते रहते हैं, जिन्हें उचित नहीं ठहराया जा सकता. लेकिन इस का यह अर्थ नहीं है कि आप रिश्तों की बलि चढ़ा दें. फिल्म इस संबंध में चुप्पी साध जाती है.
लेखकों व निर्देशक को तो यह भी पता नहीं कि हर रिश्ते में अंततः समाज आता ही है. दूसरी बात क्या आज की युवा पीढ़ी इतनी मूर्ख है कि वह पूर्व प्रेमी को साथ ले कर वर्तमान प्रेमी से मिलेगी? फिल्म में बौडी शेमिंग का भी मुद्दा उठाया गया है, जिस पर अतीत में कई फिल्में बन चुकी हैं. अभी कुछ समय पहले ही सोनाक्षी सिन्हा की भी इस सब्जेक्ट पर फिल्म आई थी. बौडीशेमिंग को ले कर उपदेशात्मक लंबाचौड़ा कीकू शारदा का भाषण कहानी के प्रवाह में खलल डालने के साथ ही बोर करता है.
एडिटर ने इस फिल्म को एडिटिंग टेबल पर ठीक से कसा ही नहीं. इंटरवल से पहले फिल्म बहुत गड़बड़ है. फिल्म का संगीत भी दोयम दर्जे का है तो वहीं कलाकारों का घटिया अभिनय भी इस रीमेक फिल्म की कमजोर कड़ियों में से एक है.
जुनैद खान के अभिनय में धार की कमी है. इस फिल्म से बेहतर व ‘महाराज’ में नजर आए थे. जुनैद खान के पास न तो आकर्षक स्क्रीन्स प्रजेंस है और न ही उन्हें अच्छे लहजे में बात करना आता है. उन की आवाज गड़बड़ है. वह हंसते ज्यादा हैं, बात कम करते हैं. खुशी कपूर तो अभिनय के लिए तैयार ही नहीं है. खुशी कपूर ओटीटी पर नैटफिलक्स की सीरीज ‘आर्चीज’ से अभिनय जगत में कदम रख चुकी है, इसलिए उम्मीद थी कि कैरियर की दूसरी फिल्म में वह कुछ अच्छा अभिनय कर सकेंगी, पर ऐसा नहीं हुआ.