Marriage Certificate : मैरिज सर्टिफिकेट विवाह का कानूनी सबूत है. पतिपत्नी के रिश्ते को प्रमाणित करने के लिए यह दस्तावेज सबसे जरूरी है. जब तलाक के लिए कोर्ट जाते हैं तो शादी के लिए कोर्ट जाने में कैसा हर्ज?

 

शादी के बाद मैरिज सर्टिफिकेट कानूनी अधिकारों, सामाजिक सुरक्षा और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए एक अहम दस्तावेज होता है. यह मैरिज सर्टिफिकेट लेना नवविवाहित जोड़े के लिए जरूरी होना चाहिए. विवाह के बाद कई जोड़े मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बनवाते हैं. खास कर जो शादियां हिंदू विवाह रीतिरिवाजों से होती है वह इस की जरूरत नहीं समझते हैं.

असल में  मैरिज सर्टिफिकेट एक कानूनी दस्तावेज है. यह विवाह का वैध प्रमाण होता है. मैरिज सर्टिफिकेट विवाह संबंधी अधिकारों की सुरक्षा भी करता है. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2006 में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से मैरिज सर्टिफिकेट को अनिवार्य घोषित किया.

इस के बाद भी अभी शतप्रतिशत शादीशुदा जोड़े मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बनवाते हैं. ऐसे में कोर्ट को यह करना चाहिए कि जिन जोड़ों के पास मैरिज सर्टिफिकेट न हो उन की शादी को रद्द कर देना चाहिए. तभी समस्याओं का समाधान हो सकेगा. आज के दौर में जो आधार कार्ड पर नाम है उस को बदलना सरल नही रह गया है. ऐसे में विवाह के बाद जो लड़कियां अपना सरनेम बदलना चाहती हैं उन के सामने परेशानी आती है. मैरिज सर्टिफिकेट इस में प्रमाण दे सकता है. यह दस्तावेज विवाह का कानूनी सबूत प्रदान करता है.

 

मैरिज सर्टिफिकेट से मुश्किलें होंगी हल

 

शादी के बाद विदेश में वीजा और इमिग्रेशन प्रक्रियाओं में पतिपत्नी के रिश्ते को प्रमाणित करने के लिए विवाह प्रमाणपत्र अनिवार्य होता है. बैंक जमा या जीवन बीमा खाते में नामांकन नहीं है तो पैसे निकालने में दिक्कत हो सकती है. पेंशन योजनाओं और अन्य वित्तीय लाभों का दावा करने के लिए भी यह सर्टिफिकेट आवश्यक है. यही नहीं तलाक, संपत्ति विवाद और उत्तराधिकार के मामलों में विवाह की वैधता साबित करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण साक्ष्य होता है. यदि पतिपत्नी के सरनेम अलग हैं, तो बच्चों की वैधता प्रमाणित करने में यह सहायक होता है.

 

मैरिज सर्टिफिकेट विवाह से संबंधित धोखाधड़ी और अवैध गतिविधियों से महिलाओं की रक्षा करता है और उन के अधिकारों को सुनिश्चित करता है. एक विवाहित व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद लाभ के लिए केवल अपनी पत्नी और बच्चों को नामांकित कर सकता है. बिना मैरिज सर्टिफिकेट के इन लाभों का दावा करना मुश्किल हो जाता है.

 

पति की मृत्यु के बाद उस की संपत्ति और पैतृक संपत्ति पर महिला के अधिकारों और हितों के दावे को सामान्यतः विवाह की वैधता के आधार पर चुनौती दी जाती है. मैरिज सर्टिफिकेट न होने की स्थिति में महिला अपने अधिकारों का दावा नहीं कर सकेगी. वैवाहिक विवादों या तलाक की स्थिति में मैरिज सर्टिफिकेट न होने के कारण विवाह को अमान्य घोषित किया जा सकता है. कई मामलों में, बिना रीतिरिवाजों के विवाह करने या धर्मस्थल में विवाह कर धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आती हैं. ऐसी स्थिति में शिक्षित होने के बावजूद, महिलाएं विवाह प्रमाणपत्र के अभाव में अपने अधिकारों से वंचित रह जाती हैं.

 

शादी के बाद कैसे बनता है मैरिज सर्टिफिकेट?

 

शादी के बाद मैरिज सर्टिफिकेट हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत होता है. विवाह हो जाने के 1 महीने बाद मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने के लिए औनलाइन और औफलाइन जैसे चाहे वैसे आवेदन कर सकते हैं. इस को बनवानेके लिए पति की आयु कम से कम 21 वर्ष और पत्नी की उम्र कम से कम 18 वर्ष या फिर इस से अधिक होनी चाहिए. नए मैरिज सर्टिफिकेट को बनवाने के लिए अगर किसी का पहले विवाह हो चुका है और अब तलाक हो जाने के बाद दोबारा विवाह कर रहे हैं तो तलाक प्रमाण पत्र भी इस्तेमाल करना होगा. इस के लिए दोनों विवाहित जोड़ों का अपनाअपना आधार कार्ड होना चाहिए.

 

आधार कार्ड के साथ शादी के निमंत्रण कार्ड और विवाहित जोड़ों का विवाह में खींचा गया फोटोग्राफ, शादी के समय उपस्थित दो गवाहों के हस्ताक्षर होते हैं. उन दोनों के निवास प्रमाण पत्र की भी आवश्यकता होती है. इन सभी के विवाह रजिस्टर पर हस्ताक्षर होते हैं. औनलाइन मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने के लिए राज्य के विवाह पंजीकरण के आधिकारिक पोर्टल का प्रयोग करना होता है. ‘अप्लाई फौर ए न्यू मैरिज सर्टिफिकेट’ पर क्लिक कर के जानकारी देनी होगी.

 

आवेदन में मांगी जा रही जानकारी को ध्यानपूर्वक भरना चाहिए. किसी भी जानकारी को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए. आवेदन फौर्म भरने के बाद जरूरी दस्तावेजों को भी वेबसाइट पर अपलोड करना होता है. आवेदन फौर्म भरने के बाद इस को ‘सबमिट’ करना होता है. जांच के बाद मैरिज प्रमाण पत्र जारी होता है. कचहरी में मैरिज औफिस होता है. वहां जा कर भी मैरिज सर्टिफिकेट बनवा सकते हैं. वहां एक मैरिज रजिस्ट्रेशन का आवेदन फौर्म भरना होता है. आवेदन फौर्म भरने के बाद डाक्यूमेंट की फोटोकापी लगानी पड़ती है. फार्म भरने के दूसरे दिन प्रमाणपत्र जारी कर दिया जाता है.

 

मैरिज सर्टीफिकेट सभी के बनने चाहिए. इस के लिए सरकार को सहूलियतें देनी चाहिए. इस का प्रचारप्रसार भी करना चाहिए. तलाक के समय इस प्रमाणपत्र को मान्य करना चाहिए. जब पंडेपुजारी तलाक कराने की जिम्मेदारी नहीं ले सकते तो उन को शादी कराने की जिम्मेदारी नहीं देनी चाहिए. हर शादी में मैरिज सर्टीफिकेट जरूरी होता है. तभी विवाह संबंधी विवादों को निपटारा आसानी से हो सकेगा.

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