Bollywood : हमारा देश आज आजाद है. इस देश में रहने वाले खुद को आजाद समझते हैं. तभी तो बौलीवुड की फिल्मों में हमेशा आजादी की बातें होती रहती हैं. मगर यहां आजादी देश के कुछ नेताओं को रास नहीं आ रही. तभी तो आएदिन आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत देश के संविधान पर हमला बोल देते हैं.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर हमला बोला है. उन्होंने भागवत के बयान पर कहा कि यह देशद्रोह है और संविधान का अपमान है. राहुल गांधी ने कहा कि मोहन भागवत हर 2-3 दिनों में देश को यह बताते हैं कि वे स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान के बारे में क्या सोचते हैं. यह कहना कि 1947 में भारत को आजादी नहीं मिली, हर भारतीय का अपमान है.
शीर्षक के मुताबिक इस फिल्म को देशभक्ति पर आधारित होना चाहिए था, मगर ‘आजाद’ की कहानी साल 1920 के समय की है. यह कहानी मध्य भारत के एक गांव की है. इस फिल्म को देशभक्ति पर बनाने की कोशिश की गई है, मगर निर्देशक अजय देवगन इस में सफल नहीं हो पाया है. फिल्म देशभक्ति की भावना नहीं जगाती. फिल्म में आजाद एक घोड़े का नाम है. यह घोड़ा मशहूर डाकू विक्रम सिंह (अजय देवगन) का है. फिल्म एक घोड़े और इंसान के बीच के रिश्ते को बेहतरीन तरीके से दिखाती है.
इस फिल्म से रवीना टंडन की बेटी राशा ठडानी और अजय देवगन के भांजे अमन देवगन ने डैब्यू किया है. गोविंद (अमन) अपने पिता के साथ शाही परिवार का अस्तबल संभालता है. वहीं उस की मुलाकात नायिका जानकी (राशा थडानी) से होती है और दोनों में प्यार हो जाता है.
इस शाही परिवार में एक डाकू विक्रम सिंह (अजय देवगन) भी है. वह अंगरेजों के जुल्मों से गरीबों को बचाता है. उस के पास एक खूबसूरत घोड़ा भी है जिस का नाम आजाद है. एक बार गलती होने पर उसे गांव से भागना पड़ता है. उस की मुलाकात आजाद से होती है. आजाद डाकू विक्रम सिंह का साथी बन जाता है. आजाद अपने सरकार के अलावा किसी और इंसान को अपने आसपास भी फटकने नहीं देता. तभी गांव वालों पर अंगरेजों के जुल्म होने लगते हैं, मगर विक्रम सिंह गांव वालों को अंगरेजों के जुल्म से बचाता है और कर्जे भी माफ करवाता है.
इस कहानी में ऐसा नया कुछ नहीं है जो दर्शकों को अपनी ओर खींच सके. अभिषेक कपूर ने इस से पहले ‘रौक औन’ फिल्म बनाई जो चल न सकी. अजय देवगन के भांजे अमन देवगन ने मेहनत तो खूब की है परंतु संवाद अदायगी में मात खा गया है. राशा ठडानी निराश करती है. अजय देवगन ने कैमियो रोल किया है. डायना पेंटी और पीयूष मिश्रा ने अपनेअपने किरदारों को असरदायक बनाया है. घोड़े का काम इंसानों से अच्छा है. पटकथा कमजोर है. फर्स्टहाफ बोरिंग है. फिल्म में रोमांटिक एंगल गायब है. गाने अच्छे हैं. राशा और अजय की कैमिस्ट्री फीकी है. जमींदारों के जुल्मों पर इस से पहले कई फिल्में आ चुकी हैं, इसलिए इस में नया कुछ नहीं है. सिनेमेटोग्राफी अच्छी है.