Bollywood New Movie : निर्देशक कनु बहल ने अपनी इस फिल्म को सही ढंग से डिस्पैच नहीं किया है, पटकथा में उस ने मांबहन की खूब गालियां दी हैं. उसे लगता है कि गालियों से फिल्म कूल बन जाएगी. मनोज वाजपेयी जैसे कलाकार को ले कर उस ने उसे एक कार में एक युवती के साथ पहले ही सीन में यौन संबंध बनाते दिखाया है और वह युवती भी मीठीमीठी सिसकारियां भरती आवाजें निकालती है.
इस से पहले कनु बहल ने ‘तितली’ जैसी क्लासिक फिल्म बनाई, मगर ‘डिस्पैच’ जैसी फिल्म बना कर कनु बहल को गालियों और सैक्स सीन की जरूरत नहीं थी. अच्छी फिल्म बनाने के लिए तो एक दमदार कहानी चाहिए होती है, दर्शकों को अपनी ओर खींचते किरदार चाहिए होते हैं जो दर्शकों को आसपास के बारे में सोचने पर मजबूर कर दें, मगर डिस्पैच में ऐसा नहीं है.
इन्वैस्टिगेटिव क्राइम ड्रामा
मनोज वाजपेयी की पिछली फिल्में ‘गुलमोहर’, ‘जोरम’ और ‘भैयाजी’ की सफलता पर ‘डिस्पैच’ ने पानी फेर दिया है. फिल्म एक इन्वैस्टिगेटिव क्राइम ड्रामा है. कहानी को ठीक से बुना नहीं गया है. फिल्म पत्रकारिता से जुड़ी दिक्कतों को सामने लाती है. कौरपोरेट हाउसेज के समाचारपत्र चलाने से कभी सही स्टोरी सामने नहीं आ पाती. फिल्म में ‘डिस्पैच’ एक अखबार का शीर्षक है. यह डिस्पैच अखबार कौरपोरेट भ्रष्टाचार, मीडिया की मिलीभगत का पर्दाफाश करता है और उस की तह तक में जाने वाले एक पत्रकार के संघर्ष को भी दिखाता है.
स्टोरी रिव्यू
फिल्म की कहानी एक क्राइम जर्नलिस्ट जौय बाग (मनोज वाजपेयी) की है. उस की खबरें ट्रैंडिंग में रहती थीं, मगर चैनल का हैड वर्षा नाम की रिपोर्टर को हैड बना देता है. जौय के लिए चैलेंज है कि वह चैनल के लिए बैस्ट स्टोरी लाएगा. उसे चैनल हैड, शेट्टी नाम के गुंडे की हत्या की पूरी स्टोरी लाने को कहता है. जौय बाग राजी हो जाता है.
जौय को अपनी बीवी पसंद नहीं थी, वह अपनी गर्लफ्रैंड प्रेरणा प्रकाश (अर्चिता अग्रवाल) से प्यार करता था, जौय और प्रेरणा एक कार में इंटीमेट हो रहे होते हैं, इतने में जीतू की एक कौल आती है. जीतू उसे बताता है कि शेट्टी को पप्पू सांगली ने मारा था. जौय जीतू को काफी पैसे देता है. जौय घर आता है. घर में बीवी श्वेता (शहाना गोस्वामी) के दोस्त आए हुए थे. जौय की श्वेता से अनबन हो जाती है, उस के बाद जौय पुलिस स्टेशन आता है और बताता है कि उस के पास शेट्टी के खूनी का पता है. थाने में स्मलगर पप्पू से जौय की झड़प हो जाती है और उसे चोट लगती है. जौय की मां उसे देख कर दुखी हो जाती है. जौय प्रेरणा को अपने मौमडैड से मिलवाता है.
जौय को पप्पू से पता चलता है कि जीडीआर ने कुछ समय पहले हजारोंकरोड़ का घोटाला किया था. इस केस का नाम 2 जी स्कैम है. जौय इस स्कैम के बारे में बौस को बताया है. वह इस स्कैम के पीछे के सभी गुनाहगारों का पता लगाता है. श्वेता जौय को जाने से रोकती है तो वह उसे धक्का मार कर चला जाता है.
जौय केस की इन्वैस्टिगेशन कर रहा होता है कि विजिलैंस वालों को पता चल जाता है कि यह कोई असली अफसर नहीं है. मगर जौय हिम्मत नहीं हारता और इस केस के सिलसिले में कई लोगों से मिलता है. वह जीडीआर की फाइल ले कर चैनल हैड के पास जाता है. तभी उसे पता चलता है कि चैनल हैड ही जीडीआर से मिला हुआ है. जौय वह फाइल ले कर भाग निकलता है, मगर गुंडे जौय को पकड़ लेते हैं और उसे मार डालते हैं. 2जी स्कैम का कभी पता जनता को नहीं चल पाता.
यह फिल्म नैरेटिव ज्यादा है, कहींकहीं कन्फ्यूज भी करती है. फिल्म में बेवजह गालियां डाली गई हैं. कई सीन भी बोल्ड हैं. मनोज वापजेयी का काम अच्छा है. शहाना गोस्वामी और अर्चिता अग्रवाल ने भी अपनेअपने अभिनय के साथ न्याय किया है. पार्श्व संगीत साधारण है. सिनेमेटोग्राफी अच्छी है. फिल्म वयस्कों के लिए है. लगता है कनु बहल भी अनुराग कश्यप की राह पर चल पड़ा है. जरूरत न होने पर भी उस ने पौर्न सीन डाल दिए हैं.