Movie Review : हमारे देश में 2010 के बाद से बुजुर्गों की संख्या में बेहद बढ़ोत्तरी हुई है. यह अनुमान लगाया गया है कि 2046 में भारत में बुजुर्गों की आबादी 0-14 वर्ष के बच्चों की आबादी से अधिक होगी और 15 से 19 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों की संख्या में गिरावट आएगी.
आज का युवा भारत आने वाले दशकों में तेजी से वृद्ध होते समाज में बदल जाएगा. 20-36 तक वृद्धों की संख्या वृद्धि दर 15 प्रतिशत (लगभग 22.7 करोड़) हो जाने का अनुमान लगाया गया है. 2050 तक यह संख्या 34.7 करोड़ हो जाने की संभावना है.
बुजुर्गों के विषय अब बौलीवुड से गायब कर दिए गए हैं. फिल्में युवा पीढ़ी केंद्रित हो गई हैं और वृद्ध कहीं किनारे खिसका दिए गए हैं जो सिर्फ अपने बच्चों को उपदेश देने लायक ही बचे हैं. जैसे घर में कोई कुरसी या मेज है वैसे ही बुजुर्ग बना दिए गए हैं. लेकिन उन की निजी जिंदगी कुरसी सरीखी है या उन की कोई अहमियत है. इस सवाल को यह फिल्म उठाने की कोशिश भर करती है.
यह फिल्म 69 साल के एक बुजुर्ग की व्यथा को बयां करती है, जो इस फिल्म का नायक है. विजय मैथ्यू का किरदार अनुपम खेर ने निभाया है. हाल ही में उन्होंने फिल्म ‘सिग्नेचर’ में एक बुजुर्ग की भूमिका बखूबी अदा की थी. इस से पहले भी वे कई फिल्मों में बुजुर्ग की भूमिकाएं निभा चुके हैं.
‘सारांश’ फिल्म में उन्होंने कमाल ही कर दिया था, वे खुद 69 साल के हो गए हैं. इस फिल्म में उन पर कई डायलौग्स फिल्माए गए हैं. ‘मैं 69 साल का हो गया हूं तो क्या सपने देखना बंद कर दूं, 69 का हूं तो सुबह अखबार पढ़ूं, सिर्फ वाक पर जाऊं, सिर्फ दवाइयां खा कर सो जाऊं और एक दिन मर जाऊं?’ फिल्म के ये डायलौग्स हमें बुजुर्गों की जिंदगी के बारे में सोचने पर मजबूर कर देते हैं. निर्देशक अक्षय ओबेराय ने बुजुर्गों की आकांक्षाओं, चाहतों के बारे में दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन