Parenting Tips : मौम, डैड आप हमेशा से दीदी से ज्यादा प्यार करते हो, उन्हें हर बात में इंपौर्टेन्स देते हो, कहीं जाना हो तो आप उन से ही पूछते हो, क्या खाना है- इस के लिए भी दीदी की चौइस पूछते हो, वो आप की फेवरेट और बेस्ट हैं, आप ने उन्हें हमेशा उन के बड़े होने का फायदा दिया है, दीदी जितना मरजी गलत करें वो कभी गलत नहीं होतीं, आप उन्हें कुछ नहीं कहते, हमेशा मुझे ही गलत कहते हो. आखिर, आप ऐसा क्यों करते हो?
ऊपर लिखे डायलौग्स वो हैं जो अकसर उन युवाओं के मुंह से सुनने को मिलते हैं जिन्हें बचपन से मन ही मन में यह लगता है कि उन के पेरैंट्स उन के सिबलिंग और उन में भेदभाव करते हैं. और वे ये डायलौग्स कभी मजाक में, कभी शिकायत में, कभी रो कर, कभी हंस कर तो कभी गुस्सा हो कर बोलते हैं और युवावस्था तक आतेआते उन का अपने पेरैंट्स के साथ रिश्ता इतना खराब हो जाता है कि कई बार वे अपने पेरैंट्स के साथ डिस्टेंस तक बना लेते हैं. उन्हें विश्वास नहीं होता कि पेरैंट्स अपने ही 2 बच्चों के साथ ऐसा भेदभाव कैसे कर लेते हैं.
हमेशा पेरैंट्स ही होते हैं कल्प्रिट
पेरैंट्स का काम होता है अपने बच्चों के बीच प्यार और अपनापन बनाए रखना. लेकिन पेरैंट्स अपने फायदे के लिए एक बच्चे को अच्छा दूसरे को बुरा, एक को सही दूसरे को गलत बोलबोल कर न केवल दोनों बच्चों के बीच कभी न टूटने वाली दीवार खड़ी कर देते हैं बल्कि अपने लिए भी बच्चे के मन में जहर भर देते हैं जो बचपन से ले कर पूरी ज़िंदगी बच्चे को अंदरअंदर खोखला कर देता है.
गुप्ताजी के 2 बेटे हैं रोहन और राजीव. (प्राइवेसी के चलते चरित्र के नाम बदल दिए गए हैं) रोहन बचपन से ले कर उस के खुद के बच्चे बड़े होने तक अपने पेरैंट्स के साथ रहा. उन के हर सुखदुख में साथ खड़ा रहा. अपनी, अपने बच्चों, वाइफ की इच्छाओं को कभी इंपौर्टेन्स नहीं दी. वहीं, दूसरा बेटा राजीव 12वीं कक्षा पास करने के बाद से अलग रहा. शादी के बाद भी अलग रहा. साल में एकदो बार मेहमान की तरह आता, पेरैंट्स की तरफ कभी कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई लेकिन राजीव सदा गुप्ताजी का लाड़ला और फेवरेट बना रहा.
बचपन से गुप्ताजी ने राजीव को रोहन से अधिक प्यार, केयर, इंपौर्टेन्स दी. रोहन को कभी उस के हिस्से का प्यार, सम्मान नहीं दिया और आखिर में भी अपने फेवरेट बेटे राजीव के नाम अपनी पूरी प्रौपर्टी कर दी. गुप्ताजी के बचपन से चले इस फेवरेटिज्म के गेम के चलते आज रोहन ने पिता से रिश्ता तोड़ लिया है, भाई राजीव से उस की कोई बोलचाल नहीं है. आज रोहन के मन में अपने पिता के लिए जहर भरा हुआ है और वह अपनी स्थिति के लिए अपने पिता को कल्प्रिट यानी अपराधी मानता है.
इन सिग्नल्स से जान जाएं कि पेरैंट्स आप के साथ भेदभाव कर रहे हैं-
- आप के सिबलिंग को ‘मेरा शोना, मेरा बच्चा’ और आप को आप के नाम से पुकारना इस बात का सिग्नल है कि आप के पेरैंट्स आप में और आप के सिबलिंग में भेदभाव करते हैं.
- अगर आप के पेरैंट्स हमेशा आप से पहले आप के सिबलिंग को खाना खाने की कोई चीज औफर करते हैं तो यह संकेत है कि वे आप के और आप के सिबलिंग के बीच फेवरेटफेवरेट का गेम खेल रहे हैं.
- सिर्फ एक ही बच्चे से बारबार घर के हर काम कराना, उसे ही काम के लिए आवाज लगाना भेदभाव का संकेत होता है.
- घर में कुछ भी गलत काम होने, जैसे कुछ सामान टूट जाने, कुछ सामान नहीं मिलने पर बिना जाने व बिना पता लगाए कि गलती किस की है, हमेशा एक ही बच्चे को डांटना, गलत काम के लिए ब्लेम करना इस बात का संकेत है कि पेरैंट्स आप के साथ भेदभाव कर रहे हैं.
- अपने बच्चे की सफलता और उपलब्धियों के बारे में बात करना सामान्य बात है लेकिन अगर कोई पेरैंट्स सिर्फ अपने किसी एक बच्चे के बारे में ही हमेशा बात करते हैं तो यह किसी भी पेरैंट्स का फेवरेटफेवरेट गेम खेलने का संकेत है.
- अगर आप के पेरैंट्स आप के सिबलिंग के साथ ज्यादा समय बिताते हैं, उस के साथ रह कर ज्यादा खुश रहते हैं, उस के साथ अपनी सारी बातें शेयर करते हैं तो यह आप के पेरैंट्स की तरफ से आप के साथ भेदभाव होने का संकेत है.
संभल जाएं पेरैंट्स वरना होंगे निम्न परिणाम
कुछ महीने पहले पुणे की एक लड़की ने आत्महत्या कर ली और अपने पेरैंट्स के लिए एक नोट छोड़ा जिस में लिखा था कि उस के पेरैंट्स उस से प्यार नहीं करते हैं, उस के सिबलिंग को ज्यादा प्यार करते हैं. जांच अधिकारी ने बताया कि जांच से पता चला कि उस के मातापिता ने लड़की को अनदेखा कर दिया था क्योंकि वे उस के छोटे भाई पर अधिक ध्यान देते थे. उस के सुसाइड नोट से भी यही बात सामने आई कि उस के मातापिता ने उस की उपेक्षा की है.
इस दुखद घटना से यह बात साबित होती है कि पेरैंट्स का अपने किसी एक बच्चे के प्रति ज्यादा ध्यान, लाड़प्यार दूसरे बच्चे के मन पर कितना गहरा असर करती है जिसे पेरैंट्स सामान्य बात समझते हैं. पैरेंट्स के लिए उन के सभी बच्चे एकसमान होने चाहिए और उन्हें अपने बच्चों में फेवरेट्स का गेम नहीं खेलना चाहिए वरना आगे चल कर यह उन्हें बहुत महंगा पड़ सकता है. आप का यह व्यवहार न केवल 2 भाई या बहन के रिश्ते को बिगाड़ेगा बल्कि आप के लिए उन का प्यार और सम्मान हमेशा के लिए कहीं खो जाएगा.
न खड़ी करें दोनों बच्चों के बीच इनविजिबल दीवार
22 वर्षीया रिया और उस की छोटी बहन सिया में 2 साल का अंतर है. रिया सिया से बहुत प्यार करती थी लेकिन जब धीरेधीरे उसे महसूस होने लगा कि उस के पेरैंट्स सिया से ज्यादा प्यार करते हैं, हर बात में सिया को इंपौर्टेंस देते हैं तो वह मन ही मन सिया से नफरत करने लगी, नफरत भी इस हद तक कि वह कई बार गुस्से में उस की कोई ड्रैस या उस का कालेज का प्रोजैक्ट तक खराब कर देती. वह अपने पेरैंट्स को तो कुछ कह नहीं पाती थी, इसलिए अपना गुस्सा और चिड़चिड़ाहट सिया का नुकसान कर के निकालती. सोचिए जिन 2 बहनों को एकदूसरे का सपोर्ट सिस्टम होना चाहिए था, आज पेरैंट्स के फेवरेटिज्म के कारण उन दोनों के बीच कड़वाहट की दीवार खड़ी हो गई.
सिबलिंग बनें एकदूसरे की ताकत
आज के समय में जब परिवार सिकुड़ते जा रहे हैं, ऐसे में फेमिली में सिबलिंग का होना बहुत बड़ी बात है क्योंकि पेरैंट्स के जाने के बाद सिबलिंग ही होते हैं जो एकदूसरे के सुखदुख के साथी होते हैं. जरूरत पड़ने पर वे दूसरे की ताकत बन सकते हैं. अगर एक सिबलिंग इस बात को समझता है कि उस के पेरैंट्स उस में और उस के सिबलिंग में भेदभाव करते हैं तो उन्हें न केवल एकदूसरे को सपोर्ट करना चाहिए बल्कि उन्हें पेरैंट्स से मिल कर इस भेदभाव के खिलाफ लड़ना भी चाहिए ताकि उन्हें उन की गलती का एहसास हो.
जब भी पैरेंट्स बच्चों में भेदभाव करते हैं तो कई बार कुछ युवा कुछ कह नहीं पाते लेकिन उन का नाजुक मन यह भेदभाव अपने दिल में महसूस करता है और इस का असर कुछ इस तरह दिखाई पड़ता है-
इंफीरिऔरिटी कौम्प्लैक्स का आना
जब पेरैंट्स अकसर ही अपने एक बच्चे को अच्छा व सही और दूसरे को बुरा व गलत बताते रहते हैं तो उस के मन में हीनभावना यानी इंफीरिऔरिटी कौम्प्लैक्स पैदा हो जाता है. उस के मन में अकेलेपन की भावना घर कर जाती है. ऐसे में वह तनाव में आ सकता है जो उस के विकास में एक बड़ा बाधक बन सकता है.
बदले की भावना
भेदभाव होने की फीलिंग के चलते बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं और वे पेरैंट्स की बातों को इग्नोर कर, उन की बातें न मान कर और कभीकभी तो पेरैंट्स के कहने के ठीक उलटा कर के वे अपना बदला लेते हैं.