तेलंगाना राज्य के निर्मल कस्बे में एक रेस्तरां में खाना खाने के बाद विद्यालय की 19 वर्षीय महिला कर्मचारी की मृत्यु हो गई और साथ ही 4 कर्मी बीमार हो गए. यह घटना हमें खाद्य विषाक्तता के खतरे की ओर ध्यान दिलाती है. खाद्य विषाक्तता अर्थात फूड पायजनिंग एक गंभीर समस्या है जो लापरवाही के कारण आम है.

यह समस्या न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि यह आर्थिक और सामाजिक रूप से भी हमारे समाज को प्रभावित करती है.

दरअसल,खाद्य विषाक्तता के कई कारण हो सकते हैं. इन में से कुछ प्रमुख कारण हैं-

दूषित और संक्रमित खाद्य पदार्थ, खराब भंडारण और परिवहन, अनुचित पकाने की विधि, भोज्य पदार्थों में मिलावट.

इन कारणों से खाद्य पदार्थों में हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस और अन्य जीवाणु प्रवेश कर जाते हैं. और ये जीवाणु हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं. दूषित खाद्य के लक्षण अनेक हो सकते हैं. इन में से कुछ प्रमुख लक्षण हैं:

उल्टी, दस्त, पेट दर्द, बुखार, सिरदर्द.

इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. यदि आप को इन में से कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.

बावजूद- घटना दर घटना

ऐसी अनेक घटनाएं हमारे आसपास घटित होती जाती हैं इस में जागरूकता के साथसाथ आपसी समझदारी की भी आवश्यकता है. शायद ही ऐसा कोई दिन होता हो जब फूड प्वाइजनिंग की घटना घटित न होती हो. लिए कुछ घटनाओं के परिपेक्ष में हम इस की गंभीरता को समझने का प्रयास करें.

प्रथम घटना – हाल ही में मध्य प्रदेश में दूषित खाद्य खा कर 50 लोग बीमार हो गए. एक शादी समारोह था जहां खाना खाने के बाद 50 व्यक्ति अचानक बीमार हो गए. पता चला कि खाद्य विषाक्तता के कारण यह बीमारी हुई.

द्वितीय घटना – छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटोरी नगोई में खाद्य विषाक्तता से 20 स्कूली बच्चे बीमार हो गए. स्कूल में मिड-डे मील खाने के बाद 20 बच्चे बीमार हो गए. जांच में पता चला कि दूषित खाद्य के कारण बच्चे बीमार हो गए.

तृतीय घटना- उत्तर प्रदेश में खाद्य विषाक्तता से 10 लोगों की मौत हो गई. एक गांव में खाना खाने के बाद 10 लोगों की मौत हो गई. जांच में पता चला कि दुषित खाद्य के कारण मौत हुई.

इन घटनाओं से पता चलता है कि खाद्य विषाक्तता के मामलों में कितनी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. सरकार और समाज को मिल कर खाद्य विषाक्तता के खतरे को कम करने के लिए काम करना होगा.

स्वच्छता और स्वच्छता का ध्यान

खाद्य पदार्थों का सही भंडारण और परिवहन खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई और सख्त करनी होगी.

सरकार और समाज को मिल कर दूषित खाद्य के खतरे को कम करने के लिए जागरुकता प्रसार का प्रयास करना चाहिए. हमें अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जागरूक और सावधान रहना चाहिए.

दूषित खाद्य के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव भी बहुत गहरे हो सकते हैं. इन में से कुछ प्रमुख प्रभाव हैं.

स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि,उत्पादकता में कमी,आर्थिक नुकसान, सामाजिक तनाव इन प्रभावों को कम करने के लिए हमें इस के खतरे को गंभीरता से लेना होगा.

खाद्य विषाक्तता एक गंभीर समस्या है जो हमारे देश में आम है. यह समस्या न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि यह आर्थिक और सामाजिक रूप से भी हमारे समाज को प्रभावित करती है.

कानून दर कानून

भारत में दूषित खाद्य के मामलों में कई कानूनी प्रावधान हैं. इन में से कुछ प्रमुख कानून हैं:

बिलासपुर हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बीके शुक्ला के मुताबिक इस संदर्भ में पहले से ही नियम कायदे और कानून हैं जो कुछ इस प्रकार हैं-

1. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006
2. खाद्य सुरक्षा और मानक नियम, 2011
3. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986

अधिवक्ता बीके शुक्ला के मुताबिक इन कानूनों के तहत, खाद्य विषाक्तता के मामलों में दोषी पाए जाने पर:

– जुर्माना तक 10 लाख रुपये
– 6 महीने से 7 साल तक की जेल
– खाद्य लाइसेंस रद्द करना

इस के अलावा, सरकार ने खाद्य विषाक्तता के मामलों में जागरूकता फैलाने के लिए कई अभियान चलाती रहती हैं. इस के बावजूद घटनाएं घटित हो रही है इस का मतलब यह है कि जागरूकता की कमी और लापरवाही इस का प्रमुख कारण है.

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