आप ने ‘डिजिटल अरैस्ट’ की कई घटनाएं हालफिलहाल में सुनी होंगी. मतलब अब डिजिटल तांत्रिक भी चर्चा में आने लगे हैं. हालांकि, ‘डिजिटल तांत्रिक’ के बारे में आप ने शायद ही सुना हो, लेकिन इस से जुड़ा एक हैरान करने वाला मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से आया है, जहां एक डिजिटल तांत्रिक ने काले जादू का डर दिखा कर एक शेयर कारोबारी से 65 लाख रुपए हड़प लिए. इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है.

जानकारी के मुताबिक, हेमंत कुमार राय नाम के एक व्यापारी ने नुकसान का सामाधान तलाशने के लिए एक तांत्रिक से औनलाइन बात की.

इंटरनैट पर तलाशने पर प्रिया बाबा के बारे में जानकारी मिली, जिस पर चैटिंग होने के बाद प्रिया बाबा ने हेमंत कुमार राय को बताया कि उस पर काला जादू का साया है, जिस के लिए कुछ क्रियाएं करानी पड़ेंगी.

हेमंत कुमार राय के मुताबिक, क्रिया के नाम पर शुरुआत में तकरीबन 11,000 रुपए तांत्रिक को दिए गए. पर प्रिया बाबा के सुझाई गई क्रियाओं से हेमंत को कोई फायदा नहीं हुआ. बाबा ने कभी उन की ग्रह दशा को खराब तो कभी किसी और वजह को उन की दिक्कतों की वजह बताया.

साथ ही, तांत्रिक ने पीड़ित को बताया कि तंत्र क्रियाओं को पूरा होने तक नहीं छोड़ना है. अगर बीच मे तंत्र बंद हुआ, तो इस का उलटा असर दिखना शुरू हो जाएगा.

परेशानी से उबारने के लिए बताए गए उपायों को पूरा करने के लिए हेमंत कुमार राय ने तांत्रिक प्रिया बाबा को समयसमय पर रुपए दिए. आरोप है कि धीरेधीरे कर के साइबर तांत्रिक ठग ने 65 लाख रुपए समाधान की आड़ में ले लिए. इस के बाद भी जब वह रुपयों की मांग करता रहा, तब परेशान हो कर पीड़ित ने हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया.

इस से पहले भी लखनऊ से साइबर ठगी के मामले सामने आ चुके हैं. हाल ही में ठगों ने एक डाक्टर को अपना शिकार बनाया था. अलीगंज के रहने वाले डाक्टर अशोक सोलंकी का विकास नगर में अपना क्लिनिक है. साइबर ठगों ने 20 और 21 अगस्त, 2025 को उन के घर पर डेढ़ दिन तक उन्हें डिजिटल अरैस्ट कर के 48 लाख रुपए ठग लिए. इन में से एक ने खुद को कूरियर सर्विस का मुलाजिम और दूसरे ने खुद को मुंबई का डीजीपी बताया था.

क्या है डिजिटल अरैस्ट

दरअसल, ‘डिजिटल अरैस्ट’ कानून की भाषा का कोई शब्द नहीं है, बल्कि साइबर अपराधियों के ठगी करने का नया तरीका है. साइबर अपराधियों का सब से बड़ा हथियार डर और लालच होता है. साइबर ठग लोगों को वीडियो काल करते हैं. वे डरा कर या लालच दे कर वीडियो काल पर अपने शिकार को जोड़ लेते हैं. हफ्तों या कुछ घंटे तक आप को डर या लालच दिखा कर कैमरे के सामने रखते हैं.

‘डिजिटल अरैस्ट’ के मामले में स्कैमर्स एक वर्चुअल लौकअप भी बना देते हैं और अरैस्ट मैमो पर दस्तखत भी डिजिटल कराया जाता है.

‘डिजिटल अरैस्ट’ में ये फेक फार्म (फर्जी फार्म) भी भरवाते हैं. सबकुछ डिजिटल होता है, लेकिन ये इतनाडरा देते हैं कि पीड़ित घर के बाहर तक नहीं निकलता. जालसाज डर या किसी न किसी बहाने तब तक वीडियो काल पर जोड़े रखते हैं, जब तक आप उन की डिमांड पूरी करते रहते हैं. इस के लिए स्कैमर्स बड़ी एजेंसियों और अफसरों के शामिल होने, सालों जेल में रहने जैसी बातों से डराते हैं.

कैसे अंजाम देते हैं

आरोपी खुद को या तो सभी परेशानियों से मुक्त करने वाला बाबा बताते हैं या फिर खुद को पुलिस या इनकम टैक्स अफसर बताते हैं, ताकि शिकार को यकीन हो जाए. इस के लिए वे वरदी पहन कर काल करते हैं. बैकग्राउंड भी ऐसा रखते हैं, जिस से लगे है कि काल करने वाला शख्स किसी दफ्तर में बैठा है और और सही बोल रहा है. आरोपी अपने शिकार को धमकाते हैं कि उन के पैनकार्ड और आधारकार्ड का इस्तेमाल गैरकानूनी काम में किया गया है. इतना नहीं नहीं, आरोपी इस दौरान पूरी नजर रखते हैं. शिकार को किसी से बात तक नहीं करने देते. इस के बाद उसे डराधमका कर रुपए ट्रांसफर करा लेते हैं.

लेकिन अगर आप बाबा के चुंगल में फंसे हैं तो आप खुद ही वहां बैठे रहेंगे, यह सो चकर कि बस अभी चमत्कार हुआ और आप की सब परेशानी दूर हो जाएंगी या फिर आप अमीर हो जाएंगे. इसी चमत्कार की आस में आप खुद ही ‘डिजिटल अरैस्ट’ हो जाते हैं और जब सामने वाला आप से पैसा लूट लेता है और कोई चमत्कार नहीं होता, तब अब पछताय होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत वाली कहावत ही सच होती नजर आती हैं.

क्या वाकई आप को लगता है कि इस में सारी गलती लूट बाबा की है? क्या बाबा आप के घर आए थे आप को लूटने? खुद आप ने संपर्क किया बाबा से तो फिर उन्हें कुसूरवार उन्हें क्यों ठहराना?

आप ने खुद उन्हें ढूंढ़ा अपना माल लुटाने के लिए. अच्छे पढ़ेलेखे लोग यहां तक कि इंजीनियर और डाक्टर तक ऐसी घटनाओं को शिकार हो रहे हैं. सवाल यह उठता है कि जब ऐसी चीजों में ही फंसना है, तो इतनी महंगी डिगरियां लेने का क्या फायदा? फिर आप ने किस बात की डाक्टरी या इंजीनियरिंग की है? अगर जादूटोना पर ही यकीन करना था, तो बेकार है आप की इतनी महंगी तालीम.

कैसे बचें इन से

अगर कोई आप को बोलता है कि आप का फोन नंबर, आधारकार्ड या पैनकार्ड गैरकानूनी रूप से इस्तेमाल हो रहा है तो उस पर यकीन न करें. या फिर वह आप को कहे कि आप का कोई जानपहचान का, आप का बेटाबेटी, पतिपत्नी या कोई रिश्तेदार किसी केस में फंस गया है, तो उस पर भी यकीन न करें. जब तक कि उन के मोबाइल नंबर से आप को खुद काल कर के यह सब न बताया जाए.

जब कोई आप को काल पर आप से पैसों के लेनदेन की बात करे, तो आप बिलकुल भी न करें. अपनी निजी जानकारी बिलकुल भी शेयर न करें. किसी भी अनजाने मैसेज पर क्लिक न करें. उस लिंक को कभी न खोलें. अपने फोन में या कहीं लैपटौप वगैरह में कभी भी थर्ड पार्टी एप डाउनलोड न करें. अपने बैंकिंग एप्स और फाइनैंशियल ट्रांजैक्शन अकाउंट एप पर मजबूत सिक्योरिटी पासवर्ड लगाएं.

जांच एजेंसी या पुलिस आप को काल कर के धमकी नहीं देती है. जांच एजेंसी या पुलिस कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्यवाही करती है. अगर आप को भी डरानेधमकाने के लिए इस तरह के फोन आते हैं तो आप तुरंत इस की सूचना स्थानीय पुलिस को दें या फिर 1930 नैशनल साइबर क्राइम हैल्पलाइन पर काल कर के शिकायत दर्ज कराएं.

इस के आलावा ढोंगी बाबा के जाल में भी न फंसे..पाखंडी बाबा सिर्फ अपनी जेब भरने वाले होते हैं. इन की करनी और कथनी में अंतर होता है.

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