इंसान के जिस्म में हृदय रोज 1,00,000 बार खून को पंप करता है. रक्त संचार प्रणाली के अभिन्न अंग के रूप में हृदय शरीर के हर अंग में खून के साथ औक्सीजन पहुंचाता है, जिस से टिश्यू व अंग जीवित रहते हैं. हृदय बीमार पड़ जाए, तो खून के संचार में बाधा आ जाती है. इस का तुरंत इलाज कराना आवश्यक हो जाता है.

दिल को जानें

हृदय मांस का बना एक छोटा सा अंग होता है, जो हमारी मुटठी के समान दिखता है. हृदय का वजन 300 से 450 ग्राम के बीच होता है.
यह छाती के मध्य थोड़ा सा बाईं ओर थोरैक्स के अंदर स्थित होता है. इस में 4 चैंबर होते हैं, जिन में निचले चैंबर को वेंट्रिकल्स और ऊपरी चैंबर को एट्रिया कहा जाता है. हृदय के 2 चैंबर्स को बांटने वाली मांसपेशी की दीवार को सेप्टम कहा जाता है.

हृदय के दाईं ओर का हिस्सा खून को शरीर से फेफड़ों में धकेलता है, वहीं बाईं ओर का हिस्सा फेफड़ों से खून को शरीर के अन्य अंगों में भेजता है. इस प्रकार हृदय का काम पूरे शरीर में रक्त का संचार बना कर रखना, अंगों तक पोषण और औक्सीजन पहुंचाना और टौक्सिन व कार्बन डाईऔक्साइड जैसे व्यर्थ पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना होता है.

इस निरंतर चलने वाली प्रक्रिया में हृदय की पेशियां संकुचित होती हैं और फैलती हैं. पेशियों के संकुचन की प्रक्रिया सिस्टोल के दौरान और फैलने की प्रक्रिया डायस्टोल के दौरान होती है. सिस्टोल के दौरान वेंट्रिकल्स संकुचित हो कर कस जाते हैं और खून को आर्टरी में प्रवाहित करते हैं, बायां वेंट्रिकल खून को आयोर्टा में और दाहिना वेंट्रिकल फेफड़ों में धकेलता है. डायस्टोल के दौरान हृदय की पेशियां फैलती हैं, जिस से एट्रिया में खून भर जाता है और फिर वेंट्रिकल्स में प्रवाहित होता है.

दिल को को रखें स्वस्थ

दैनिक जीवन में निम्न मुख्य बिंदुओं का ध्यान रख कर हृदय को स्वस्थ रखें:

* स्वस्थ आहार: अपने दैनिक आहार में फलों और सब्जियों का भरपूर सेवन करें. फल, सब्जियों, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, स्वस्थ फैट, कुछ मछलियों, चिकन और बीन्स में पर्याप्त प्रोटीन मिलता है. अतिरिक्त शुगर, कोलैस्ट्रौल, ट्रांस फैट, सैचुरेटेड फैट्स, और सोडियम का सेवन कम करने से हृदय को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है. आहार में रेड मीट की मात्रा कम करने से कोलैस्ट्रौल कम
होता है.

* नियमित व्यायाम: सप्ताह में कम से कम 150 मिनट तक हलके से गहरा व्यायाम करें, 75 मिनट कठोर व्यायाम करें या दोनों तरह के व्यायामों की दिनचर्या बनाएं. सप्ताह में कम से कम 2 बार स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से मांसपेशियों के कार्य और मेटाबोलिज़्म में काफी सुधार होता है. हलके से व्यायाम, जैसे वौकिंग करने या सीढ़ियों का उपयोग करने से भी हृदय के स्वास्थ्य में सुधार आता है.

* धूम्रपान न करें: धूम्रपान हृदय रोग के मुख्य कारणों में से एक है. इस से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम काफी कम हो जाता है.

* तनाव को नियंत्रित रखें: योगा, ध्यान, प्राणायाम जैसी गतिविधियों द्वारा तनाव को नियंत्रित करें. समाज में सक्रिय रहने और लोगों से संबंध अच्छा रखने से तनाव कम करने में मदद मिलती है.

* नियमित स्वास्थ्य जांच: उच्च रक्तचाप चुपचाप शरीर को खोखला करता चला जाता है. इस की वजह से हृदयरोग पनपते हैं. इसलिए नियमित जांच की मदद से रक्तचाप को नियंत्रण में रखें. ज्यादा कोलैस्ट्रौल से रक्तवाहिनियों में प्लौक जम जाता है, जिस की वजह से हार्टअटैक या स्ट्रोक हो सकता है. अगर मरीज को डायबिटीज है, तो हृदय को स्वस्थ रखने के लिए शुगर को नियंत्रित रखना बहुत आवश्यक होता है.

हृदय को किस से जोखिम होता है

कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों या समस्याओं का जोखिम कई कारणों से बढ़ जाता है. उच्च रक्तचाप, उच्च कोलैस्ट्रौल, धूम्रपान, मोटापा, और शिथिल जीवनशैली समय के साथ हृदय और रक्तवाहिनियों को कमजोर करते चले जाते हैं.

हृदय के अस्वस्थ होने से गंभीर विकार और जान का खतरा उत्पन्न हो सकते हैं. इन में से सब से आम कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) है, जिस में कोरोनरी आर्टरीज में प्लौक जम जाता है, और वह आंशिक या पूरी तरह से ब्लौक हो जाती हैं. प्लौक जमने के कारण सांस फूलने लगती है, छाती में दर्द होने लगता है. अगर इस का तुरंत इलाज न किया जाए, तो हार्टअटैक हो सकता है.

खराब जीवनशैली, जैसे अस्वस्थ आहार, अत्यधिक मदिरासेवन से हृदय रोग का जोखिम बढ़ता है. अगर व्यक्ति को डायबिटीज, तनाव, और परिवार में हृदयरोग का इतिहास रहा हो, तो यह जोखिम बढ़ जाता है.

पुरुषों को हृदयरोग कम उम्र में होने का जोखिम ज्यादा होता है. अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए और जीवनशैली में सुधार कर के दवाइयों की मदद ली जाए, तो हृदय को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है.

डाक्टर को दिखाएं

गंभीर स्थितियों में तुरंत डाक्टर को दिखाना आवश्यक होता है:

* हार्टअटैक: हार्टअटैक तब हो सकता है जब कोरोनरी आर्टरी या इस की कोई छोटी रक्तनलिका में प्लौक जम कर यह अवरुद्ध हो जाती है. इस की वजह से हृदय की मांसपेशियों में खून की सप्लाई रुक जाती है और वे क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. यह स्थिति जानलेवा होती है.

* हार्टफेल: हार्ट के फेल होने पर हार्ट शरीर में पर्याप्त खून को पंप नहीं कर पाता है. इस से फेफड़ों और लिवर में फ्लूइड जमा हो जाता है. इस स्थिति को एडेमा कहते हैं. हार्टफेल होने पर मरीजों को अनेक लक्षण महसूस होते हैं, जिन में सांस का फूलना, थकान और हाथों व पैरों में सूजन है. हृदय के इलैक्ट्रिक सिस्टम में गड़बड़ी के कारण भी हृदय असामान्य रूप से धड़कने लगता है, इस स्थिति को एरिथमिया कहते हैं. यह अकसर कोरोनरी आर्टरी डिजीज?, हार्टअटैक या हृदय की किसी अन्य बीमारी के कारण हो सकता है. कुछ एरिथमिया नुकसान नहीं पहुंचाते हैं पर कुछ जानलेवा हो सकते हैं.

* स्ट्रोक: स्ट्रोक होने पर मस्तिष्क के किसी हिस्से में खून की आपूर्ति थक्का जमने के कारण रुक जाती है, जिस की वजह से टिश्यू तक औक्सीजन और पोषक तत्त्व नहीं पहुंच पाते हैं. इस की वजह से मस्तिष्क के टिश्यू को स्थायी क्षति पहुंच सकती है और मरीज को विकलांगता या मृत्यु हो सकती है. इस के मुख्य कारणों में उच्च रक्तचाप और कार्डियोवैस्कुलर आर्टरी डिजीज होती हैं.
कार्डियोवैस्कुलर आर्टरी डिजीज की तरह ही एक पेरिफेरल आर्टरी डिजीज भी होती है, जो अंगों को खून पहुंचाने वाली आर्टरी को प्रभावित करती है. इस की वजह से दर्द, सुन्नपन या गंभीर मामलों में संक्रमण का जोखिम हो सकता है.

* कार्डियेक अरेस्ट: इस स्थिति में हृदय अचानक काम करना बंद कर देता है और मरीज की सांस एवं चेतना चली जाती है. यह आमतौर से गंभीर एरिथमिया की वजह से होता है. इस स्थिति में मरीज अगर तुरंत हौस्पिटल न पहुंचे तो उस की मौत हो सकती है. इन बीमारियों से बचे रहने के लिए हृदय का खयाल रख कर समस्याओं की रोकथाम करना बहुत आवश्यक है.

हृदय एक महत्त्वपूर्ण अंग है, जिस की बहुत सतर्कता से खयाल रखने की आवश्यकता है. हृदय की संरचना और क्रियाओं को समझ कर और हृदय के लिए लाभकारी गतिविधियों की मदद से हृदय रोग के जोखिम को काफी कम किया जा सकता है. यदि फिर भी किसी को सांस लेने में मुश्किल, छाती में दर्द या बेचैनी महसूस हो, तो उसे फौरन कार्डियोलौजिस्ट के पास जा कर अपने हृदय की जांच करानी चाहिए क्योंकि शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करने से स्थिति गंभीर हो सकती है और मरीज की जान भी जा सकती है.

(लेखक मणिपाल इंस्टिट्यूट औफ कार्डियक साइंसेज, एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल, द्वारका, दिल्ली में चेयरमैन हैं.)

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