सरकारी डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का जंजाल आम जनता के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है. आज के समय में सरकार ने पैन कार्ड और आधार कार्ड को एक जरूरी डाक्यूमेंट बना दिया है और कैशलैस पेमेंट कराने, बैंक अकाउंट खोलने, इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने, बीमा प्रीमियम जमा करने, , डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड बनवाने, 5 लाख से अधिक की गाड़ी, ज्वैलरी या प्रोपर्टी खरीदने, पेंशन और पीएफ, नौकरी, घर का रजिस्ट्रेशन हर जगह आधार कार्ड को मेंडेटरी बना दिया गया है और यह सरकारी नियम साइबर जालसाजों के लिए धोखाधड़ी का नया हथियार बन गया है.

जब भी किसी साइट या विभाग से आधार, पैन, अकाउंट नंबर मांग जाता है जनता उस पर विश्वास कर लेती है और जालसाजों के हाथ किसी के पैन कार्ड, आधार कार्ड की डिटेल्स के लगने का अर्थ है आइटेंडिटी की चोरी के साथसाथ सामने वाले के बैंक अकाउंट तक का सफाया हो जाना है जिस के लिए सरकार पूरी तरह से दोषी है.

ये सब ऐसे होता है

साइबर हैकर्स आप के पैन कार्ड आधार कार्ड की डिटेल्स का इस्तेमाल कर के खतरनाक एसएमएस भेजते हैं और पैनकार्ड से लोन लेने, बैंक अकाउंट खोलने, फर्जी क्रेडिट कार्ड बनवाने, औनलाइन टिकट बुक करवाने जैसे फ्रौड कर रहे हैं. साइबर ठग अपनी पहचान छिपाने के लिए आप के आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल करते हैं. स्कैमर्स सरकारी अधिकारी, बैंक प्रतिनिधि या UIDAI (यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथौरिटी औफ इंडिया) का फर्जी अधिकारी बन कर लोगों को फोन कौल या टैक्सट मैसेज भेजते हैं और दावा करते हैं कि आप के आधार कार्ड में कुछ गलतियां हैं और आप से आप के आधार कार्ड का नंबर, बैंक डिटेल या OTP जैसी पर्सनल जानकारी मांगते हैं और आप की आइडेंटिटी या बैंकिंग संबंधी जानकारी का गलत इस्तेमाल कर के आप के बैंक अकाउंट को खाली कर देते हैं.

इस के अलावा स्कैमर्स नकली ईमेल भेज कर भी स्कैम करते हैं. साइबर ठग आप को नकली ईमेल भेजते हैं जो UIDAI सहित सरकारी वेबसाइट्स से मिलतीजुलती होती हैं और जनता उन साइट्स को सरकारी साइट्स समझ कर उन पर विश्वास कर लेती है और गलत सरकारी नीति और सरकार पर भरोसा उन्हें ले डूबता है.

आप ही सोचिए जब किसी व्यक्ति के पास आरबीआई से कोई कौल या मैसेज आएगा तो भोलीभाली जनता तो उस पर विश्वास करेगी ही. कैशलेस और पेपर लेस लेनदेन के चक्कर में जनता की जिंदगी भर की मेहनत की कमाई लूटी जा रही है.

आखिर किसी भी सरकारी वेबसाईट पर एड्रैस और नंबर दोनों क्यों नहीं है ? साथ ही सरकारी वेबसाइट्स पर ऐसे नंबर क्यों नहीं हैं जो सरकारी हों जिस से अगर जनता के पास कहीं और से किसी और नंबर से फ्रौड करने के उद्देश्य से कोई कौल या मैसेज आए तो बेचारी जनता अलर्ट रहे और फ्रौड से बच सके और अपनी जिंदगी भर की मेहनत की गाढ़ी कमाई लूटने से बचा सके.

और तो और जो नंबर साइट पर दिए जाते हैं वहां समय से कंप्लेन के बाद भी फ्रौड का पैसा वापिस नहीं मिलता और जनता की गाढ़ी कमाई साइबर फ्रौड की बलि चढ़ जाती है.

साइबर फ्रौड के डराने वाले आंकड़े

साइबर फ्रौड मामले में खुद भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी डेटा डराने वाला है. रिजर्व बैंक के वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में औनलाइन पेमेंट फ्रौड के मामले 5 गुना बढ़े हैं. पिछले वित्त वर्ष में साइबर ठगों ने लोगों से 14.57 बिलियन यानी 1457 करोड़ रुपये की ठगी की है.

इंडियन साइबर क्राइम कोऔर्डिनेशन सेंटर (I4C) के मुताबिक साल 2024 में अप्रैल माह तक 7.40 लाख से ज्यादा साइबर फ्रौड की शिकायतें दर्ज की गईं हैं यानी कि हर दिन औसतन 7000 साइबर फ्रौड की शिकायतें मिली हैं और इन्हीं शुरुआती 4 महीनों में साइबर क्रिमिनल्स ने भारतीयों से 1750 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी की है.

रजिस्टर्ड शिकायत कुल फ्रौड के मामलों का एक छोटा सा हिस्सा है. बहुत सारे लोग ऐसे भी होते हैं. जिन्हें यह जानकारी ही नहीं है कि उन्हें शिकायत कहां और किस तरह करनी है. साइबर फ्रौड के अधिकांश मामलों में ठग लोगों को आसानी से पैसे बनाने का लालच देते हैं

फ्रौड करने वाले करते हैं इन लोगों को टारगेट

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक लोगों में टैक्नोलौजी के इस्तेमाल की सही जानकारी नहीं होना भी साइबर अपराधियों की फ्रौड करने की राह को आसान बना रहा है. पिछले कुछ समय में डिजिटल ट्रांजैक्शन बहुत तेजी से बढ़ा है. शहरी इलाकों के साथ ही दूरदराज के गांवों में भी हर आयु वर्ग के बच्चे, बड़े और बुजुर्ग धड़ल्ले से डिजिटल बैंकिंग कर रहे हैं.

इन में से बहुत से लोगों को तकनीकी जानकारी नहीं होती और वे अनजाने में गोपनीय जानकारियां साझा कर देते हैं जिस के कारण साइबर फ्रौड का जोखिम ज्यादा बढ़ा है. साइबर अपराधी खास तौर पर उन लोगों को टारगेट करते हैं. जिन्हें टैक्नोलौजी की उतनी जानकारी नहीं होती है. ये लोग साइबर अपराधियों की जाल में आसानी से फंस जाते हैं और औनलाइन स्कैम के शिकार हो जाते हैं.

फर्जी एप्प से बढ़ रहे डिजिटल पेमेंट फ्रौड के मामले

भारत में लोग औनलाइन पेमेंट्स और इंटरनेट का इस्तेमाल तो खूब कर रहे हैं लेकिन अधिकांश लोगों को इस का सही इस्तेमाल करना नहीं आता है. यही वजह है कि लालच में आ कर लोग लोन ऐप्‍स, गेमिंग ऐप्स, डेटिंग ऐप्‍स, फर्जी ट्रेडिंग ऐप्‍स, इन्वेस्टमेंट एप्स जैसे फर्जी ऐप्स को डाउनलोड कर लेते हैं और साइबर क्रिमिनल्स के जाल में फंस जाते हैं.

अगर लोन एप्स की बात करें तो ये ऐप्स पहले लोगों को बेहद कम ब्याज पर रूपए उधार देते हैं फिर कुछ दिनों बाद ज्यादा ब्याज मांगते हैं और उन के मनमुताबिक ब्याज न देने पर आप का निजी डेटा लीक करने की धमकी देते हैं क्योंकि ऐप इंस्टाल करने के दौरान आप कैमरा, कान्टैक्ट, गैलरी और माइक्रोफोन जैसी पर्सनल जानकारी का एक्सेस उन्हें पहले ही दे चुके होते हैं. ब्याज रिकवरी के लिए ये ऐप्स गालीगलौज से ले कर ब्लैकमेलिंग करने तक कोई कसर नहीं छोड़ते.

यूपीआई फ्रौड के मामले

यूपीआई फ्रौड के मामलों में लोगों को पेमेंट एक्सैप्ट करने के लिए लिंक या क्यूआर कोड भेजे जाते हैं और सामने वाले के पास पास पेमेंट आने के बजाए उन के अकाउंट से ही पैसे काट लिए जा रहे हैं. 10 में से 4 लोगों के साथ ऐसे हो रहा है.

आमतौर पर निम्न कारणों की वजह से लोग ठगी का शिकार बनते हैं –

• किसी ऐप या फाइल को डाउनलोड कर मोटी कमाई का लालच दे कर
• लौटरी या गेम खेल कर आसानी से पैसे कमाने का झांसा दे कर
• महंगे सामानों पर भारी डिस्काउंट दिखा कर लिंक पर क्लिक करने का मैसेज भेज कर
• सस्ते दामों पर प्रोपर्टी खरीदने का लोगों को सपना दिखा कर
• क्रेडिट कार्ड या लोन देने के नाम पर लोगों से पर्सनल जानकारी ले कर
• सगे संबंधी या दोस्त बन कर OTP या बैंक डिटेल पूछ कर
• घर बैठे नौकरी का झांसा दे कर
• व्हाट्सऐप व टेलीग्राम पर व्यापार से जुड़ने का लिंक भेज कर

औनलाइन ठगी से कैसे बचें

• गुप्त ओटीपी व अपने 16 डिजीट के एटीएम नंबर को किसी को नहीं बताएं.
• व्हाट्सऐप ग्रुप में आए लिंक को कभी नहीं खोलें.
• भूलवश ओटीपी बता भी दिया तो 1930 नंबर पर तुरंत शिकायत दर्ज करवाएं.

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