साल 2022 में भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा की ओर से इसलाम के आखिरी पैंगबर पर दिए बयान पर जैसे ही पूरे विश्व में बवाल हुआ, उस समय दस से भी अधिक देशों ने इस पर आपत्ति जताई थी, भारतीय मुसलिमों में भी उन के बयान को ले कर काफी गुस्सा था. पार्टी ने तुरंत नुपूर शर्मा से अपना पल्ला झाड़ लिया. उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्‍या से सस्पेंड कर दिया गया.

पहले नुपूर अब कंगना पर बीजेपी का प्रहार

इतना ही नहीं पार्टी की ओर से एक बयान जारी किया गया कि किसी धर्म या संप्रदाय के खिलाफ का अपमान करने वाली विचारधारा के हम खिलाफ हैं. उस समय नुपूर बिलकुल अलगथलग पड़ गई थी. उन्‍हीं दिनों भारतीय जनता पार्टी ने नवीन जिंदल को भी पैंगबर मोहम्‍म्‍द को ले कर किए गए कंट्राेवशर्यिल ट्वीट पर पार्टी से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया गया था. कंगना रनौत के नए बयान के बाद भाजपा आज फिर नुपूर शर्मा के मामले की तरह रिएक्ट कर रही है. कंगना रनौत के बयान से खुद को पूरी तरह अलग कर लिया है. एक टीवी चैनल को दिए अपने बयान में कंगना ने किसान आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि आंदोलन के दौरान कई हत्याएं हुई और बलात्कार की घटना भी हुई.

न घर की न घाट की भाजपा

कंगना की बात में कितना दम है यह मुद्दा विचारनीय है लेकिन कंगना के इस बयान के बाद भाजपा को यह डर सताने लगा कि किसान आंदोलन का भूत फिर से कंगना रनौत के बहाने उस से चिमट नहीं जाए. पहले ही वह लोकसभा के अपने रिजल्ट से पूरी तरह निकल नहीं पाई है. उधर पहले ही लीडर औेफ अपोजिशन राहुल गांधी ने किसानों को अपनी तरफ कर रखा है, पिछले दिनों मानसून सत्र के दौरान बहुत सारे किसान नेताओं ने संसद में राहुल गांधी से मुलाकात करनी चाही थी, तब ऐसा कहा जा रहा था कि ये सभी नेता राहुल गांधी को प्राइवेट मेंबर बिल लाने को कहेंगे. कहा जाता है कि इसी बैठक के बाद 15 अगस्त के दिन देश भर में ट्रैक्टर रैली निकालने का फैसला लिया गया. इसी बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि किसान नए अपराधिक कानूनों का विरोध करने के लिए इस की कौपियां जलाएगी. अब ऐसी स्थिति हो तो लोकसभा चुनाव में अपनी घमंड की वजह से चारों खाने चित हुई भाजपा भला किसानों से क्यों पंगा ले.

पूरी तरह से दिग्भ्रमित नजर आ रही है बीजेपी

सच कहा जाए तो फिलहाल मोदी सरकार किसी नए पचड़े में नहीं पड़ना चाहती है, चाहे वह मामला देश का हो या विदेश का. यही वजह है कि उन्हें मास्को से भी गला मिलना पड़ता है और कीव से भी. भाजपा फिलहाल हर मुद्दे पर दिग्भ्रमित नजर आ रही है इसलिए वह कंगना के रूप में विपक्ष से पंगे लेने का नया मोर्चा नहीं खोलना चाह रही है.

पार्टी ने स्पष्ट कह दिया है कि बीजेपी पूरी तरह से कंगना के बयान से असहमत है. भाजपा की ओर से यह भी कहा गया कि पार्टी के नीतिगत विषयों पर बयान देने के लिए कंगना अधिकृत नहीं है. पार्टी ने कंगना को भी कड़े शब्दों में यह दिया गया है कि वह फिलहाल अपनी बड़बोली जबान को बंद ही रखें.

हिंदू हितों और हिंदू राष्ट्र के एजेंडे को ध्यान में बोलने पर भी अगर पार्टी से जुड़े लोगों को भी भाजपा इसी तरह से दरकिनार करती रही या उन से पिछा छुड़ाती रही तो जल्दी ही पार्टी दो खेमों में बंटती नजर आ सकती है, एक जो हालिया चुनावी नतीजों के बाद यह मानने लगी है कि अब मोदी का जादू नहीं चल रहा, दूसरा जिसे अब योगी हिंदू हितों का उभरता चेहरा लग रहे हैं, अब कंगना को ही ले लें, जिस के अनुसार वे योगी आदित्‍यनाथ की उस आइडियोलौजी से प्रभावित हैं, जिस के कारण वह बुलडोजर बाबा के नाम से जाने जाते हैं. कोलकाता हत्या रेप मामले को शर्मनाक बताते हुए कंगना ने कहा कि उन्हें योगी आदित्यनाथ का न्याय मौडल सही लगता है.

इमरजैंसी और इंदिरा पर कंगना की बातें

कंगना की मूवी इमरजैंसी 6 सितंबर को रिलीज हो रही है, यह फिल्म इंदिरा गांधी की ओर से साल 1975 में लगाए गए आपातकाल पर बनी है, फिल्म को बनाने वाली कंगना ने एक टीवी को दिए इंटरव्यू के दौरान यह स्वीकारा कि प्रियंका गांधी बिलकुल अपनी दादी इंदिरा गांधी जैसी नहीं है. उन्होंने यह भी माना कि राहुल गांधी कभी भी इंदिरा गांधी की तरह पौपुलर नहीं हो पाएंगे. जब कंगना से यह पूछा गया कि संविधान का सब से बड़ा हत्यारा कौन है, तो कंगना ने कहा इंदिरा गांधी. कंगना ने इस प्रोग्राम में यह भी स्वीकारा कि इंदिरा गांधी और संजय गांधी इस देश का सब से बड़ा तानाशाह नेता रहे हैं, इंदिरा गांधी पर बनी इस फिल्म का काफी विरोध हो रहा है, कंगना को सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकियां भी मिल रही है, ऐसे में कंगना की यह मूवी रिलीज होने तक न जाने क्याक्या होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

उधर कंगना ने किसान आंदोलन वाले अपने बयान पर यह कहा है कि आने वाले समय में वह पार्टी के सोच के अनुसार ही बयान देंगी और भविष्य में अपने शब्दों के चयन को ले कर सावधान रहेंगी. ऐसे में सवाल यह उठता है क‍ि क्‍या अपने ही लोगों को नाराज कर बीजेपी खुश रह पाएगी, क्‍या इससे पार्टी के नेताओं में असंतोष का अंकुर नहीं फुटेगा, जो पार्टी की जमीन में दरार पैदा कर दें.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...