लेकिन क्या आपने कभी सोचा है एक घर में दो भाई एक बहन एक मातापिता रहते हैं. बड़े भाई की शादी के बाद मातापिता, भाईबहन की जिंदगी पर क्या असर आएगा. नई बहु के आने के बाद ससुरालवालों की ज़िंदगी कितनी बदल जाती है. वे अपने ही घर में अजनबी से हो जाते हैं, चाहते हुए भी बहुत से ऐसे काम होते हैं जो पहले वे बिंदास कर लिया करते थे लेकिन अब घर में बहु है तो सोचना पड़ता है. इसलिए ऐसा नहीं है कि शादी के बाद बहु की जिंदगी में ही बदलाव आता है बल्कि बदलाव तो ससुराल वालों की जिंदगी में भी आता है.
बस फर्क इतना है बहु अपना घर छोड़ कर आती है तो उस की बातें ज्यादा की जाती है और ससुराल वालों की छोटीमोटी परेशानियों की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं जाता है. इसलिए आज हम आप को बताते हैं कि बेटे की शादी के बाद ससुरालवालों की जिंदगी कितनी बदल जाती है और वे भी बहु के साथ कितना एडजस्ट और कम्प्रोमाइज करते हैं.
अपने किचन को बहु के साथ बांटना सास के लिए होता है बहुत मुश्किल
सास बहु का सब से ज्यादा झगड़ा जहां होता है घर में वो सो कोल्ड पवित्र स्थान है किचन. आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है, क्योंकि सास की भावनाएं उस किचन से जुड़ी होती हैं. यही वह जगह है जहां उस ने काम करतेकरते अपनी आधी जिंदगी निकाल दी. उस किचन में हमेशा से ही एकछत्र राज सास का ही होता था, उसी के बनाए नियमकायदे हमेशा से चलते आए होते हैं. वे अपने ही हिसाब से किचन चलाती आई है.
लेकिन अचानक से बहु के आने पर सास को किचन बहु से शेयर करनी पड़ती है जोकि उस के लिए बहुत मुश्किल भरा काम है. वह बहु को अपने किचन में काम करने के तौरतरीके सिखाना चाहती है पर बहु ने अपने घर जैसा किया है वो वैसा करना चाहती है. सास की रोकटोक उसे पसंद नहीं आती, तो सास अपने किचन को किसी दूसरे के हिसाब से चलता देख मन मसोस कर रह जाती है. कुछ कहे तो लड़ाई, न कहे तो देखदेख कर गुस्सा आए पर लाचार इतनी की गुस्सा निकाल भी नहीं सकती.
पहननेओढ़ने तक के एटिकेट्स बदलने पड़ते हैं ससुरालवालों को
पहले पिता बनियान और लुंगी पहन कर पूरे घर में घूमते रहते थे, तोलिया बांध कर देवर और ससुर कभी भी बाहर आ जाते थे लेकिन बहु के आने के बाद उन का पहनावा बदल जाता है. भले ही कुछ समय के लिए ही लुंगी और बनियान की जगह कुरतापजामा ले लेता है, देवर भी बाथरूम से ही तैयार हो कर निकलता है नहीं तो भाभी छोड़ो, भाई की घूरती नजरें ही दिल चीर देती हैं. सास भी अपने पुराने कपड़ों के बजाए कुछ नए अच्छे कपड़े पहनने लगती है कि कहीं बहु ये न कह दे कि सास में तो फैशन एटिकेट्स है ही नहीं.
अपने किसी मेहमान को बुलाने से पहले 10 बार सोचते हैं सासससुर
पहले जहां ससुर के पुराने दोस्तों का जमावाड़ा लगा रहता था. वक्त बेवक्त घर में चायनाश्ते का दौर चलता रहता था वहीँ अब इन सब पर मानो पाबंदी सी लग गई हो. किसी को बालने से पहले बेटे की प्राइवेसी के बारे में भी सोचना पड़ता है. उन के टाइम के हिसाब से ही किसी को बुलाना पड़ता है. ससुर के दोस्त भी बहु के सामने आने से शरमाते हैं.
वहीँ पहले देवर के चार दोस्त आ कर होहल्ला करते थे, कोई कुछ नहीं कहता था बल्कि घर में रौनक आ जाती थी लेकिन बहु के आने के बाद वही दोस्त आसानी से नहीं आ सकते. मातापिता को तो अब अपना बेटा बेटा ही नहीं लगता वो किसी का पति ज्यादा लगता है.
भाई बहन का रिश्ता भी बदल गया
पहले भाईबहन का रिश्ता ही अलग था. पहले हर रोज नई फरमाईश थी. ‘आज लौटते हुए मेरे लिए केक लाना, आज आइसक्रीम का मन है, बाहर ही खाने चलेंगे.’ लेकिन अब रोजरोज भाई से फरमाइश करना संभव नहीं है. अब भाईभाभी के नखरे उठाएगा बहन के नहीं. अब भाईभाभी अकेले घूमने जाने लगते हैं बहन की एंट्री तो कभीकभी होती है.
शादीशुदा ननद भी पहले की तरह बिंदास मायके नहीं आ पाती
शादीशुदा ननद कभी भी मायके आ जाया करती थी लेकिन अब हर कभी आना कहीं भाभी को अच्छा न लगे इस बात का भी धयान रखना पड़ता है. नन्दोई के आने पर भाभी को भी किचन में लगना पड़ेगा वो अलग. रोजरोज ऐसा करना भी अच्छा नहीं लगता. इस के आलावा पहले अपनी मां के घर खाली हाथ आने पर कभी सोचना नहीं पड़ता था लेकिन अब भाभी क्या सोचेगी की इतनी बड़ी ननद खाली हाथ आ गई, ये सोच कर कुछ लाना भी पड़ता है. उसी हिसाब से ढंग से तैयार भी हो कर आना पड़ता है, नहीं तो भाभी को लगेगा की ननद का ससुराल तो बहुत हल्का है पहननेओढ़ने के भी ढंग नहीं हैं.
खानेपीने तक की आदतें बदलनी पड़ती हैं
पहले जहां घर में हर दूसरे दिन लौकी की सब्जी बनती थी, क्योंकि सब को बचपन से लौकी खाने की आदत पड़ी है. जैसे कि पतिपत्नी को लौकी खाने की आदत है तो बच्चों में अपनेआप आदत बन जाती है. पर अब बहु कहती है की अरे यहां तो रोज ही लौकी बन जाती है. अरे भई! कभी पनीर भी तो बनाओ. लेकिन पनीर है महंगा. अब बहु को कैसे कहें कि हमारे यहां तो मेहमानों के आने पर ही पनीर बनता है. बहु का लिहाज कर अपनी रोज लौकी खाने की आदत को भी तिलांजलि देनी पड़ती है.
घर में पार्टीज का दौर शुरू हो जाता है
बहु अगर शौकीन आ गई तो वह सबके बर्थडे, एनिवर्सरी मनाने पर जोर देगी अपने सब रिश्तेदारों को बुलाएगी उसे मन भी नहीं कर सकते पहलीपहली बार. मुश्किल यह कि बहु को अभी किचन संभालना आता नहीं तो सारी जिम्मेदारी चाहेअनचाहे सास की हो जाती है. पहली बार बहु के मायके वाले आएंगे तो तैयारी भी उसी हिसाब से करनी पड़ेगी.
बहु नकचढ़ी आ गई तो उस के नखरे अलग सहन करो
बहु अगर जरा भी नकचढ़ी आ गई तो डर लगा रहेगा कि कोई बात बुरे लग गई और इस ने हल्ला काट दिया तो इतने सालों की बनीबनाई इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी. और अगर रूठ कर मायके चली गई, हम पर केस कर दिया तो हम तो लम्बा फंस जाएंगे.