पीसीएस ज्योति मौर्य के बहुचर्चित मामले की तरह का एक मामला हाल ही में (11 जुलाई को) झांसी में सामने आया. अकाउंटैंट (लेखपालों) के नियुक्तिपत्र वितरण के दौरान एनआईसी पहुंचे एक युवक का कहना था कि लेखपाल बनने के बाद उस की पत्नी ने उसे ठुकरा दिया. वह शादी की तसवीरों के साथ पहुंचा था. उस ने अफसरों से गुहार भी लगाई हालांकि इस मामले में उस की मदद करने से अफसरों ने फिलहाल हाथ खड़े कर दिए.

कोतवाली के नई बस्ती महल्ला निवासी नीरज विश्वकर्मा का आरोप है कि सरकारी नौकरी मिलते ही पत्नी ने उस से दूरियां बना लीं. 3 साल पहले उन दोनों ने परिवार से बगावत कर प्रेमविवाह किया था. वह कार पेंटिंग का काम करता है जबकि युवती पढ़ाई कर रही थी. उस समय दोनों के बीच प्रेम परवान चढ़ा. जब यह बात युवती के परिजनों को मालूम चली तब उन्होंने विरोध किया. तब तक दोनों साथ में जीनेमरने की कसमें खा चुके थे.

दोनों ने घर से भाग कर ओरछा के मंदिर में शादी रचा ली. युवक का कहना है, कुछ समय तक दोनों साथ रहे. इस के बाद युवती अपने परिजनों के पास चली गई. वह युवती की पढ़ाई में पैसों से मदद करता रहा. 2 साल पहले जब लेखपाल की वैकेंसी आई तब उस ने पत्नी का फौर्म भरवाया. इस में पत्नी का चयन हो गया. लेखपाल बनने के बाद पत्नी के व्यवहार में बदलाव आने लगा. उस के मायके के लोगों ने भी पत्नी को समझाया कि वह अब लेखपाल है जबकि पति की हैसियत छोटी है.

उन की बातों में आ कर पत्नी ने उस से दूरी बना ली. मोबाइल पर भी बात नहीं करती. कई बार जब उस ने मिलने की कोशिश की तब उस के परिजनों ने उसे धमकाया. शादी के फोटो और वीडियो ले कर पुलिस से गुहार लगाई लेकिन मदद नहीं मिली. इधर उस की पत्नी इन आरोपों का खंडन करती दिखी.

यूपी के बरेली में चीनी शुगर मिल की महाप्रबंधक ज्योति मौर्य (पीसीएस अधिकारी) और प्रयागराज में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी आलोक मौर्य का किस्सा भी जगजाहिर है.

जुलाई 2023 में यह मामला काफी चर्चा में आया था. आलोक ने अपनी पत्नी ज्योति पर रिश्ते में धोखा देने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे. आलोक का आरोप था कि शादी के बाद उस ने ज्योति को पढ़ाने में काफी पैसा खर्च किया और मदद की. जब वह उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में चयनित हो कर अधिकारी बन गई तो उस ने दगा दे दिया. यह भी आरोप था कि वह किसी और अधिकारी के साथ अवैध रिश्ते में आ गई थी.

दरअसल यूपी के बनारस की रहने वाली ज्योति मौर्य बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखती थी. उस के पिता की एक छोटी सी दुकान थी जिस पर पूरा परिवार निर्भर था. ज्योति बचपन से ही पढ़ने में तेज थी लेकिन पिता ने ग्रेजुएशन के दौरान ज्योति की शादी प्रयागराज के रहने वाले आलोक मौर्य से कर दी. आलोक से शादी के बाद जब ज्योति अपनी ससुराल पहुंची तो आलोक ने अपनी पत्नी को पढ़ालिखा कर कुछ बनाने की सोची. यानी आप कह सकते हैं कि यह कहानी अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म ‘सूर्यवंशम’ की तरह है. उस दौरान आलोक को फोर्थ क्लास की नौकरी मिल गई थी. आलोक ने ग्रेजुएशन पूरा होते ही ज्योति को प्रयागराज में यूपीपीसीएस की कोचिंग करवाई.

ज्योति पढ़ने में होशियार थी. साल 2015 में ज्योति का पीसीएस में चयन हो गया जिस में 16वीं रैंक हासिल की थी उस ने. जब ज्योति सफल हुई तो अपनी सफलता का श्रेय अपने ससुर और पति को दिया था. 2020 के बाद रिश्ते में कड़वाहट बढ़ने लगी थी.

आलोक प्रयागराज के रहने वाले हैं. आलोक के पिता अध्यापक थे और रिटायर हो चुके थे. अब वे प्रयागराज में ही अपना आवास बना कर रह रहे हैं. आलोक मौर्य ने अपनी पढ़ाई प्रयागराज में ही रह कर की. उन्हें चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरी मिली थी. इधर अधिकारी बनने के बाद ज्योति ने आलोक को छोड़ दिया. इस बात पर उस समय काफी बवाल मचा था. बाद में तलाक के लिए इन का केस कोर्ट में भी गया.

शादी का फैसला लेने से पहले सोचना जरूरी, बाद में नहीं

प्यार ऐसी भावना है जिस में कोई बड़ा या छोटा नहीं होता. इसी भावना के साथ इंसान किसी से प्यार और शादी करता है. लेकिन शादी के बाद दूसरों के बहकावे में आ कर अपने पति या पार्टनर को छोड़ देना उचित नहीं. जरूरी है कि पहले ही सोचविचार कर फैसला लेना चाहिए कि आप को अपने जीवन में किस चीज से समझौता करना है और क्या जरूरी है. कुछ लोग पार्टनर के स्वभाव को, उस के मददगार या सहयोगी रवैए को महत्त्व देते हैं लेकिन कुछ लोग हैं जो पैसे को, स्टैंडर्ड को, उस के काम को और उस की इनकम को देख कर फैसला लेते हैं.

ऐसे में शादी करने से पहले यह विचार कर लेना चाहिए कि आप को क्या चाहिए और आप जिस से शादी कर रही हैं उस से आप को वह सब मिलने वाला है या नहीं.

कुछ लोग शादी के बाद पार्टनर के रंगरूप को ले कर उसे छोड़ देते हैं. ऐसे में भी यही सवाल उठता है कि जब शादी से पहले सब मंजूर था तो बाद में क्या हो गया. जितना सोचनासमझना है, शादी से पहले सोचना और परखना चाहिए. जल्दी में शादी करने के बजाय थोड़ा समय एकदूसरे को समझने के लिए देना चाहिए. इस के बाद ही फैसला लेना चाहिए. एक बार फैसला लेने के बाद अपने हालात सुधरने की वजह से प्यार को नकार देना कतई मान्य नहीं हो सकता.

यदि आप शादी कर लेती हैं तो उस के बाद सोचने की बात सिर्फ यह रहती है कि आप अपने पार्टनर को कैसे और आगे बढ़ा सकती हैं, कैसे उन की उन्नति में मदद कर सकती हैं, कैसे उन्हें प्रेरित कर सकती हैं कि वे ज्यादा ऊंचे ओहदे के लिए प्रयास करें और कैसे उन की इनकम बढ़े. भले ही वह कम पढ़ालिखा है पर फिर भी हर फील्ड में आगे बढ़ने के रास्ते होते हैं. उन रास्तों को दिखाना होगा.

अगर पति पत्नी को पढ़ने में मदद कर सकता है तो पत्नी जब कुछ बन जाती है तब वह अपने पति को भी पढ़ने में मदद कर सकती है. अगर उसे सच में प्यार है तो वह अपने पति का कायाकल्प कर सकती है. लेकिन उसे छोड़ देना या उस से अलग हो जाना कोई विकल्प नहीं है.

अगर वह चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी है या मजदूर है या वह ज्यादा पढ़ालिखा भी नहीं तो भी आप पार्टनर की उन्नति के प्रयास तो कर ही सकती हैं. शादी के बाद आप उस के स्टैंडर्ड को अपने प्यार के बीच में नहीं ला सकते.

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