सवाल – 

मेरी बेटी स्वाति की उम्र 14 साल है, आजकल वह शाम को खाना खाकर छत पर चली जाती है और घंटों किसी से बतियाती है, मैं मना करती हूं, तो दो दिन रुक जाती है और फिर वही रुटीन चालू हो जाता है.

जबाव – 

नजरअंदाज करें

यह पैरेंट्स की कौमन प्रौब्ल्म है, घबराए नहीं. आपकी डांट उसकी जिद को हवा देगी, बेहतर हो कुछ दिन तक आप उसकी इस एक्टिविटी को नजरअंदाज करें. घर में कोई भी इस बारे में बात नहीं करें, कानाफुसी भी नहीं करें. हो सकता है इस बदलाव की वजह से वह छिप कर या अकेले में बात करने की बजाय आपके सामने बातें करना शुरू कर दे. जब यह महसूस होगा कि किसी को उसके फोन पर बात करने से एतराज नहीं है, तो वह खुद ही यह बता दें कि वह किससे बातें करती है, क्या बातें करती है.

बच्चा न समझें

पैरेंट्स को अकसर यह लगता है कि उनके घर के किशोर या युवा समाज में घट रही घटनाओं से अनभिज्ञ है इसलिए वह अपने लिए पार्टनर चुनने में गलती कर बैठेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है. आज की जैनरेशन बहुत ही स्मार्ट हैं. वह समाज में घट रही घटनाओं से अनजान नहीं हैं. उसके पीअर ग्रुप के अफेयर्स और उसके अच्छे-बुरे अंजाम से वह आपसे ज्यादा रूबरू है. लव और ब्रेकअप की शुरुआत की उम्र यही होती है. उसे बड़ा होने का मौका दें, उसे आसपास की सिचुएशन के हिसाब से खुद को निर्णय लेने दें.

गलती करने दें

गुड पैरेंटिंग बहुत ही अच्छी बात है लेकिन हैलीकोप्टर पैरेंटिंग नहीं. वह अगर किसी के प्यार में पड़ रही है, तो पड़ने दें. इस उम्र में अफेयर एक कौमन बात है. अफेयर को हमेशा गलत तरीके से नहीं लिया जाना चाहिए. उसे यह महसूस करने दे कि उसकी फ्रेंड्स की तरह उसमें भी कुछ खास बात है इसलिए कोई लड़का उसे अटैंशन दे रहा है. एक पैरेंट होने के कारण आपकी चिंता जायज है इसलिए आप उसकी एक्टिविटी पर जरूर नजर रखें जैसे उसकी अलमारी में क्या-क्या है, कोई उसे महंगे गिफ्ट तो नहीं दे रहा, लैपटौप पर उसकी हिस्ट्री को बीच-बीच में चेक करें, कभी-कभी उसको स्कूल या ट्यूशन से पिक करे, कभी उसके फ्रेंड्स को शाम को स्नैक्स पार्टी पर बुलाएं. हो सकता है इसके बाद आपके मन का संदेह दूर हो जाए या फिर कुछ भी गड़बड़ होता देख आप बिटिया की काउंसलिंग करें.

एक बार यह भी करके देख लें

कुछ दिन उसके साथ साथ खाएं और सोएं, कोई इनडोर गेम देखें, यूए सर्टिफिकेट की कोई मूवी देखें. इस बीच मौका मिलते ही उससे पूछे कि फोन पर वह किससे लंबीलंबी बातें करती है, उससे कहें कि वह जिससे फोन पर बातें करती है, आप उससे मिलना चाहती हैं. लेकिन ध्यान रहे, मिलवाने के जबरदस्ती नहीं करें. वह यह बात अपने पार्टनर को खुशी से बताएगी कि उसकी फैमिली उससे मिलना चाहती है, ऐसे में उसका दोस्त या बौयफ्रेंड कोई भला लड़का हुआ, तो जरूर मिलने आएगा. अगर लड़का आपसे मिलने से बारबार एतराज करेगा, तो आपकी बिटिया धीरेधीरे खुद ही समझ जाएगी कि उसका बौयफ्रेंड उसको सीरियसली नहीं लेता है. वह खुद ही उस लड़के से पीछा छुड़ा लेगी.

एक बार दिल टूटने दें

मां-पापा होने के नाते आप चाहेंगे कि आपके बच्चे के आंखों से आंसू नहीं बहे लेकिन कई बार गलती करने के बाद ही समझ आती है. गलतियां हर किसी से होती है और अच्छी बात है कि कम उम्र में ही एक दो बार ऐसी गलती हो जाए, इससे उनमें मैच्योरिटी आएगी. इससे उन्हें अपने फ्रेंड्स सर्किल में सही और गलत लोगों की पहचान आ जाएगी. आगे चलकर वह लाइफ में सही निर्णय करेंगे और आपकी बातों पर उनको भरोसा होगा. यह भी देखा गया है कि दिल टूटने या प्यार में धोखा खाने के बाद बच्चे अपने पैरेंट्स के करीब आ जाते हैं. कहीं न कहीं यह आपके बौंड को पहले से ज्यादा मजबूत बनाएगा.

हो सकता है आप गलत हो

अकसर पैरेंट्स को लगता है कि बौयफ्रेंड, पार्टनर या लाइफ पार्टनर को लेकर वे ही सही सोच रखते हैं. ऐसी बात नहीं है, कई बार आपके टीनएजर और एडल्ट बच्चे आपसे अधिक गहरी सोच और समझ रखते हैं. यह अलग बात है कि जब किसी विषय पर वे आपसे लौजिक मांगते हैं, तो आप उसको बहस का नाम दे देते हैं . यह बात आपको भी पता है कि कई बार इस उम्र की दोस्ती और प्यार आगे चलकर बहुत ही टिकाऊ और वफादार साबित होती है. सोसाइटी में कई ऐसे उदाहरण है जब कम उम्र में इश्क हुआ और बड़े होने पर दोनों ने शादी की और आज सफल शादीशुदा जिंदगी जी रहे हैं. कम उम्र की दोस्ती और प्यार कई बार काफी गहरा होता है क्योंकि वह स्वार्थी नहीं मासूम होता है.

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