कई वर्ष पहले की बात है. बौलीवुड का एक फिल्मी परिवार है. इस परिवार यानी कि निर्माता से मेरी अच्छी दोस्ती रही है. वह अकसर कहा करते थे कि उन के घर की बेटियां फिल्मों में अभिनय नहीं किया करतीं लेकिन कुछ समय बाद उस ने खुद अपनी बेटी को हीरोईन ले कर एक घटिया फिल्म बनाई तो मैं ने दोस्ती में ही उस से सवाल किया था कि आप का विचार बदल कैसे गया?
इस पर उस ने कहा था कि,‘‘कई बार घर के अंदर शांति बनाए रखने के लिए कुछ कदम उठाने पड़ते हैं. मेरी बेटी ने जिद कर ली कि उसे हीरोईन बनना है. उस की मां भी उस के साथ थी. सुबहशाम घर की शाति भंग न हो, इस के लिए मैं ने बेटी से कहा कि मैं खुद उस के लिए फिल्म बनाउंगा, मगर इसे शर्त पर कि इस फिल्म के असफल होने के बाद वह चुपचाप फिल्मों से दूरी बना कर शादी कर लेगी.’’
इस के साथ ही कुछ और भी कहा था, जिसे यहां बताना मैं ठीक नहीं समझता. उस हीरोईन की पहली फिल्म ने बाक्स आफिस पर पानी नही मांगा. उस ने विवाह कर लिया और एक अच्छी व बेहतरीन जिंदगी जी रही है. तो वहीं इन दिनों उस के छोटे भाई को बौलीवुड का बेहतरीन निर्देशक माना जाता है.
यह संदर्भ मुझे चौथे सप्ताह यानी कि 24 मई को प्रदर्शित मनोज बाजपेयी के कैरियर की सौंवी फिल्म ‘‘भैयाजी’’ की बाक्स आफिस पर हुई दुर्गति की वजह से याद आ गया. फिल्म ‘‘भैयाजी’’ का निर्माण विनोद भानुशाली, शबाना रजा बाजपेयी, विक्रम खख्खर, समीक्षा शैल ओसवाल, नवीन क्वात्रा ने किया है. शबाना रजा बाजपेयी पहली बार इस फिल्म से फिल्म निर्माण में उतरी हैं जो कि अभिनेता मनोज बाजपेयी की पत्नी हैं.
शबाना रजा बाजपेयी ने नेहा के नाम से 1998 में विधु विनोद चोपड़ा के निर्देशन में बौबी देओल संग फिल्म ‘करीब’ से अभिनय कैरियर की शुरूआत की थी. उस के बाद नेहा ने अजय देवगन के साथ ‘होगी प्यार की बात’, रितिक रोशन व जया बच्चन के साथ ‘फिजा’, सुनील शेट्टी के साथ ‘अहसास द फीलिंग’, प्रकाश झा के निर्देशन में फिल्म ‘राहुल’, आफताब शिवदसानी व ग्रेसी सिंह के साथ ‘मुस्कान’, दीपक रामसे के निर्देशन में ‘कोई मेरे दिल में है’, दीपक रामसे के निर्देशन में होरर फिल्म ‘आत्मा’, सुपर्ण वर्मा के निर्देशन में मनोज बाजपेयी के साथ फिल्म ‘एसिड फैक्टरी’ में अभिनय किया था.
2006 में मनोज बाजपेयी और शबाना रजा उर्फ नेहा ने विवाह कर लिया था. उस के बाद शबाना रजा बाजपेयी ने बौलीवुड से दूरी बना ली थी. अब पूरे 18 वर्ष बाद शबाना रजा बाजपेयी ने फिल्म ‘भैया जी’ से बौलीवुड में वापसी की है, जिस के हीरो मनोज बाजपेयी हैं. मगर शबाना रजा बाजपेयी अभिनेत्री नहीं, बल्कि इस फिल्म के निर्माताओं में से एक निर्माता हैं. मई के चौथे सप्ताह में प्रदर्शित फिल्म ‘भैया जी’ की बाक्स आफिस पर बहुत बड़ी दुर्गति हुई है. लगभग 40 से 50 करोड़ की लागत में बनी फिल्म ‘भैया जी’ ने बाक्स आफिस पर 7 दिन में महज 4 करोड़ ही कमाए हैं.
वैसे फिल्म के पीआरओ का दावा है कि फिल्म ने सात दिन में 9 करोड़ कमा लिए हैं. अगर फिल्म के पीआरओ के आंकड़े को सच मान लें, तो भी निर्माताओं के हाथ में मुश्किल से 4 करोड़ ही आएंगे.
फिल्म का निर्माण 5 लोगों ने मिल कर किया है तो हर एक के हाथ में कितनी रकम आएगी, इस का अंदाजा लगा सकते हैं. बौलीवुड का एक तबका इस फिल्म की निर्माता शबाना रजा बाजपेयी को लेकर कह रहे हैं कि कुछ नहीं हुआ, सिर्फ ‘‘हवन करते हाथ जला बैठे..’’ वाली कहावत चरितार्थ हुई है.
अब देखना यह होगा कि इस के बाद भी शबाना रजा बाजपेयी फिल्म निर्माण से जुड़ी रहेंगी या पहली फिल्म के बाद ही संन्यास ले लेंगी.
फिल्म ‘भैया जी’ की असफलता के लिए लोग सारा दोष मनोज बाजपेयी और इस के निर्माताओं को ही दे रहे हैं. फिल्म के लेखक व निर्देशक,मनोज बाजपेयी के पसंदीदा हैं. इसी निर्देेशक की फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ ने काफी शोहरत बटोरी थी. मनोज बाजपेयी के अभिनय की भी तारीफ हुई थी. पर यह फिल्म ओटीटी प्लेटफार्म ‘जी 5’ पर स्ट्रीम हो रही है लेकिन फिल्म ‘भैयाजी’ के निर्माताओं ने फिल्म के प्रचार पर ध्यान नहीं दिया. इस फिल्म के बारे में दर्शकों को पता ही नहीं चला.
मनोज बाजपेयी स्वयं पत्रकारों को इंटरव्यू देने से बचते रहे. फिल्म के पीआरओ का दावा है कि वर्तमान समय में कलाकार, पत्रकारों को इंटरव्यू देने मे रूचि नहीं रखता पर एकदो अंगरेजी के अखबारों में निर्माता शबाना रजा बाजपेयी का इंटरव्यू छपा था.
कड़वा सच यह है कि फिल्म के निर्माता व कलाकार भ्रम में जी रहे हैं कि अंगरेजी अखबारों में छपने अथवा इस सोशल मीडिया पर प्रचार कर वह अपनी फिल्मों को सफल करा देंगे.
मनोज बाजपेयी बेहतरीन अभिनेता हैं, इस में कोई दो राय नहीं मगर ‘भैयाजी’ में बतौर अभिनेता सब से बड़ी कमजोर कड़ी स्वयं मनोज बाजपेयी ही हैं. इतना ही नहीं इस फिल्म की कहानी व पटकथा भी दमदार नहीं है. फिल्म की कहानी बिहार व दिल्ली के बीच झूलती है. मनोज बापजेयी मूलतः बिहार से हैं और दिल्ली में रहते हुए उन्होने पढ़ाई की है. वह राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के छात्र रहे हैं फिर भी फिल्म में कई गलतियां हैं.
मजेदार बात यह है कि उन से जुड़े कुछ लोग सोशल मीडिया पर रोना रो रहे हैं कि हिंदी भाषी कलाकारों को हिंदी भाषी पत्रकार प्रमोट नहीं करते जबकि सभी को अपने गिरेबान में झांक कर देखने की ज्यादा जरुरत है.
हिंदी फिल्मों के मुकाबले गिप्पी ग्रेवाल की महज दो करोड़ रूपए में बनी पंजाबी फिल्म ने 3 सप्ताह के अंदर भारत में 14 करोड़ रूपए और पूरे विश्व में 33 करोड़ रूपए कमा लिए हैं. यह अपने आप में बहुत बड़ा रिकार्ड है.