Sarita-Election-2024-01 (1)

भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन की तरफ से उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर लोकसभा सीट से अनुप्रिया पटेल चुनाव लड़ रही हैं. वह अपना दल सोनेलाल गुट की अध्यक्ष है. 2012 के विधानसभा चुनाव में वह विधायक चुनी गई थीं. इस के बाद वह 2014 के लोकसभा चुनाव जीत कर सांसद और मोदी मंत्रिमंडल में केन्द्रीय मंत्री बनीं. अनुप्रिया पटेल डाक्टर सोने लाल पटेल की बेटी हैं.

उत्तर प्रदेश की राजनीति में डाक्टर सोने लाल पटेल को कमजोर वर्ग का प्रभावी नेता माना जाता है. उन का राजनीतिक कैरियर बहुजन समाज पार्टी से शुरू हुआ. वह कांशीराम के बेहद करीबी और बसपा के संस्थापक सदस्यों में से थे. डाक्टर सोनेलाल पटेल ने हमेशा जातिवाद का डट कर विरोध किया और सामाजिक असमानता के खिलाफ लड़ाई लड़ी. शुरूआती दौर में वह भाजपा और उस के मनुवाद के प्रबल विरोधी थे. सोने लाल पटेल का जन्म कन्नौज जिले के बगुलिहाई गांव में एक कुर्मी हिंदू परिवार में हुआ था.

यह भी पढ़ें- सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार: ननद भौजाई के बीच चुनावी लड़ाई

दलित पिछड़ों और कमजोरों के नेता थे सोनेलाल

पंडित पृथ्वी नाथ कालेज कानपुर से एमएससी की उपाधि प्राप्त की और कानपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. कम उम्र से ही वह समाज में फैले जातिवाद और सामाजिक असमानता के मुखर आलोचक थे. उन्होंने हमेशा सामाजिक न्याय और समानता की वकालत की. सोने लाल पटेल ने चौधरी चरण सिंह के साथ मिल कर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की. सामाजिक असमानता और जातिगत शोषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों और रैलियों में सक्रिय रूप से भाग लिया. विरोध प्रदर्शन के दौरान कई बार उन्हें पुलिस की बर्बरता भी सहनी पड़ी.

इस बीच सोने लाल पटेल की मुलाकात कांशीराम हुई. कांशीराम दलित पिछड़ों और मुसलमानों की लडाई लड़ रहे थे. वह उत्तर भारत में सामाजिक न्याय आंदोलन खड़ा करने का प्रयास कर रहे थे. जाति-आधारित भेदभाव और सामाजिक अन्याय के संबंध में उन के दृष्टिकोण काफी हद तक एक जैसे थे. कांशीराम के कहने पर पटेल ने बहुजन समाज पार्टी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन को बसपा के संस्थापकों में से एक माना जाता है.

 

कांशीराम ने जब बसपा के पुराने नेताओं को नजरअंदाज करते हुए मायावती को आगे बढ़ाना शुरू किया तो सोने पटेल का उन से मोह भंग हुआ. संकल्प और उद्देश्यों से असन्तुष्ट होने के कारण वे पार्टी से अलग हो गए. 4 नवंबर,1995 को सोने लाल पटेल ने ‘अपना दल’ की स्थापना की. उन्होंने 2009 में फूलपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव भी लड़ा. इसी साल उन की सड़क दुर्घटना में मौत भी हो गई. अपने इस दौर में सोने लाल पटेल भाजपा के साथ आ चुके थे.

न पार्टी बची न परिवार

डाक्टर सोने लाल पटेल के बाद उन की पत्नी कृष्णा पटेल अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनी और बेटी अनुप्रिया पटेल 2012 में वाराणसी की रोहनियां सीट से पहली बार विधायक बनी. 2014 में मिर्जापुर लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं. 2016 में मोदी सरकार में वह केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री बनीं.

राजनीतिक वर्चस्व में अनुप्रिया पटेल का अपनी मां कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल से झगड़ा हुआ. झगड़े की वजह यह थी कि अपना दल के कामकाज में अनुप्रिया के पति आशीष सिंह का दखल बढ़ गया था. वह राजनीति में अपनी जगह बनाना चाहते थे. दूसरी तरफ अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल अपना दल पर अपना अधिकार बनाए रखना चाहती थी. ऐसे में बात आगे बढ़ी तो अपना दल दो हिस्सों में बंट गया. अनुप्रिया पटेल ने ‘अपना दल (सोनेलाल)’ का गठन किया औरा कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल नाम अपना दल (कमेरावादी) का गठन किया.

अनुप्रिया पटेल ने 2019 का लोकसभा चुनाव जीता, मंत्री हैं. उन की बहन पल्लवी पटेल ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव सिराथू विधानसभा सीट पर लड़ा. चुनाव जीत कर वह विधायक बनीं. अनुप्रिया पटेल सांसद और बहन पल्लवी पटेल विधायक हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल खासकर वाराणसी, भदोही, मिर्जापुर, जौनपुर, इलाहाबाद और प्रतापगढ़ क्षेत्रों में अपना दल का प्रभाव कुर्मी बिरादरी में है.

सोनेलाल पटेल ने कुर्मी बिरादरी में अपनी मजबूत पकड़ बनाई थी. अपना दल के दोनों गुट अलगअलग विचारधाराओं के साथ जुड़ कर राजनीति कर रहे हैं. कृष्णा पटेल और पल्लवी पटेल वाला अपना दल (कमेरावादी) कांग्रेस-सपा की अगुवाई वाले इंडिया ब्लौक के साथ है. अनुप्रिया पटेल की अगुवाई वाला अपना दल (सोनेलाल) भाजपा के एनडीए गठबंधन के साथ है.

अनुप्रिया ने कानपुर में ली स्कूली शिक्षा

अनुप्रिया पटेल ने कानपुर के बालिका विद्यालय से अपनी 12वीं तक पढ़ाई की. इस के बाद लेडी श्रीराम कालेज से स्नातक किया. छत्रपति शाहू जी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय से और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में एमबीए किया. कुछ समय तक अनुप्रिया ने ऐमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा में पढ़ाया भी है. 2012 में पहली बार विधायक बनीं. 2009 में अनुप्रिया की शादी आशीष कुमार सिंह से हुई. वह अभी उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं. वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य हैं.

2012 में अनुप्रिया पहली बार विधायक बनी. 2014 में सांसद बनीं. 2016 में वह मोदी सरकार में मंत्री बनीं. 2019 में दूसरी बांर सांसद बनीं. 2024 में वह मिर्जापुर से लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं. अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल का कहना है कि आशीष कुमार सिंह के चलते ही उन के परिवार में बिखराव हुआ. अनुप्रिया पटेल की सिफारिश पर ही भाजपा ने उन को पहले विधान परिषद का सदस्य बनवाया. बाद में 2022 में योगी सरकार वह मंत्री भी बन गए.

परिवार के झगड़े ने बिगाड़ी छवि

सोने लाल पटेल भले ही खुद सांसद या विधायक का चुनाव न जीत पाए हों पर अपने परिवार और समाज को जोड़ कर चलने में सफल रहे थे. 2009 में अनुप्रिया पटेल की शादी 12 दिन के बाद ही सोनेलाल पटेल की सडक दुर्घटना में मृत्यू हो गई. उस समय अनुप्रिया पटेल ने इस की सीबीआई जांच की मांग भी की थी. जैसेजैसे राजनीति में अनुप्रिया का कद बढ़ने लगा परिवार में झगड़े शुरू हो गए. पहले अपना दल में बंटवारा हुआ. सोनेलाल पटेल की राजनीतिक विरासत दो दलों के रूप मे बंट गई.

2021 में सोनेलाल पटेल की छोटी बेटी अमन पटेल ने एक पत्र गृहमंत्री अमित शाह को लिखा है. जिस में कहा है कि माता कृष्णा पटेल और मुझे तुरंत सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए. अमन पटेल ने अपनी बहन पल्लवी पटेल से जान को खतरा बताया है. इस से पहले अमन पटेल ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी को भी पत्र लिख कर सुरक्षा की मांग की थी और अपनी बड़ी बहन पल्लवी पटेल से मां और अपने खुद को जान का खतरा बताया था.

अमन पटेल ने अपनी बड़ी बहन पल्लवी पटेल पर आरोप लगाते हुए कहा कि सोनेलाल पटेल जो अपना दल के संस्थापक हैं उन की उत्तराधिकारी के रूप में सभी 4 बहने हैं और उन की वसीयत में भी सब का नाम होना चाहिए लेकिन इस को अनदेखा करते हुए बगैर किसी के जानकारी के पिताजी की पूरी संपत्ति अपने नाम करा ली है और जिस के कुछ कागजात बड़ी मुश्किल से प्राप्त किए गए हैं.

आरोप है कि पल्लवी पटेल ने 2017 में विवाह के बाद अपने पति पंकज निरंजन को बिना किसी जानकारी के पिता सोनेलाल पटेल के व्यवसायिक ट्रस्ट में किसी की जानकारी बिना सदस्य बना दिया. 2019 में लोकसभा चुनाव में माता कृष्णा पटेल फूलपुर सीट से लड़ना था लेकिन उन को जबरदस्ती गोंडा से चुनाव लड़ाया गया और वहीं 2019 में ही पल्लवी ने अपने पति पंकज निरंजन को फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा दिया.

अमन पटेल अपनी बड़ी बहन अनुप्रिया के साथ है. अमन पटेल की शादी अनुप्रिया पटेल मौजूद दिखी और शादी कराने में भूमिका अदा की थी. जबकि दूसरी बहन पल्लवी पटेल और मां कृष्णा पटेल को बुलाया भी नहीं गया था. ऐसे में सोनेलाल का परिवार और संगठन दोनों ही आपस में बंट गए हैं.

अनुप्रिया पटेल अपने पिता सोनेलाल पटेल के समय से ही राजनीति में सक्रिय हो गई थीं. एक तरह से उन की राजनीतिक उत्तराधिकारी हो गई थी. पल्लवी पटेल अपने पिता का स्कूल और बिजनेस देखने का काम करती थीं. दोनों की शादी होने के बाद परिवार में उन के पतियों का दखल बढ़ा जिस के बाद अपना दल और सोनेलाल परिवार दोनों अलगअलग राह पर चले गए. जाति और समाज की एकजुटता की बात करतेकरते परिवार और दल दोनों बिखर गए.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...