National Medical Council: एनएमसी यानि नेशनल मेडिकल काउसिंल ने नए मैडिकल कालेजों में पारदर्शिता के लिए वीडियो के जरीए मान्यता देने और बायोमेट्रिक उपस्थिति को लागू करने को कहा है. एनएमसी से मान्यता प्राप्त लेने वाले नए मेडिकल कालेजों को पीजी स्तर पर मूल्यांकन में नए नियमों का पालन करना होगा. एनएमसी ने पोस्ट ग्रेजुएट मैडिकल एजुकेशन बोर्ड (पीजीएमईआरबी) को मैडिकल कालेजों के निरीक्षण के लिए पीजी परीक्षा प्रक्रिया को कैमरे पर रिकौर्ड करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) शुरू करने का निर्देश दिया.

कालेजों के लिए यह आवश्यक कर दिया गया है कि वह कालेज में निगरानी के लिए कैमरे लगाए. परीक्षक की जगह पर वीडियो का प्रयोग ज्यादा हो. कालेज में किस तरह से वीडियो के जरीए काम हो रहे हैं उस को दिखाए. इस से कालेज खोलने का खर्च बढ़ गया है. परीक्षकों की जरूरत कम हो जाएगी. टैक्नलौजी का पैसा विदेशी कंपनियों और इंजीनियर्स के पास जाएगा. इस से देश का पैसा विदेश तो जाएगा ही बेरोजगारी भी बढ़ेगी.

मान्यता के लिए मान्य होंगे वीडियो

यदि कौलेज मान्यता के नवीनीकरण और मान्यता की निरंतरता के लिए आवेदन करने की योजना बना रहे हैं तो उन्हें आधार सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (एईबीएएस) स्थापित करना होगा. स्नातकोत्तर परीक्षा एसओपी के तहत मैडिकल कालेजों को परीक्षा प्रक्रिया की वीडियो रिकौर्डिंग करनी होगी और परीक्षकों, परीक्षा प्रक्रिया, परीक्षा के लिए रखे गए मामलों का विवरण, छात्रों की थीसिस आदि के बारे में सभी प्रासंगिक डेटा एकत्र करना होगा. अगर कालेज में पूरी तरह से वीडियो का प्रयोग नहीं होगा तो मान्यता नहीं मिलेगी.

एनएमसी नियम के मुताबिक नए मेडिकल कालेजों का 3 साल में निरीक्षण होना जरूरी है. बुनियादी ढांचे का निरीक्षण करने के अलावा निरीक्षक द्वारा परीक्षा प्रक्रिया का औडिट भी किया जाएगा. सभी मानदंडों को पूरा करने के बाद ही कालेजों को उन की एनएमसी मान्यता मिलेगी. कोविड महामारी के कारण भौतिक निरीक्षण संभव नहीं था. इसलिए इसे वर्चुअल मोड के माध्यम से किया जा रहा था. अब जब मेडिकल कालेजों की संख्या बढ़ रही है और कालेजों के औडिट की मांग बढ़ गई है तो एनएमसी ने कैमरा रिकौर्डिंग के उपयोग का निर्देश दिया है.

कैमरे से होगा निरीक्षण टीचर की जरूरत खत्म

अब परीक्षा की कार्यवाही का अवलोकन कर के और मैडिकल कालेज के बुनियादी ढांचे और अन्य सुविधाओं के निरीक्षण के लिए बाद की तारीख में संस्थान का दौरा कर के निरीक्षण किया जा सकता है. मैडिकल कालेजों में उपस्थिति के लिए बायोमेट्रिक मशीन से फैकल्टी की जवाबदेही बढ़ेगी. तर्क यह दिया जा रहा है कि पहले निरीक्षकों को आधार जैसे पहचान पत्रों के लिए लगातार पूछताछ करनी पड़ती थी. अब बायोमेट्रिक उपस्थिति एक निश्चित आईडी होगी और संकाय को हर बार निरीक्षकों के दौरे पर पहचान पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी.

परीक्षा प्रक्रिया की वीडियो रिकौर्डिंग से साक्ष्य रिकौर्ड करने में मदद मिलेगी. बायोमेट्रिक उपस्थिति से निरीक्षण की आवश्यकता कम हो जाएगी. इस से व्यक्तिगत निरीक्षण की आवश्यकता भी कम हो जाएगी, जिस से समय की बचत होगी. देखा गया है कि कुछ निजी मेडिकल कालेज पूर्णकालिक संकाय को नियुक्त नहीं करते हैं या उन्हें केवल कुछ दिनों के लिए निरीक्षण के लिए रखते हैं. बायोमेट्रिक उपस्थिति से यह काम पूरी तरह से बंद हो जाएगा.

कई मैडिकल कालेजों ने पहले ही बायोमेट्रिक उपस्थिति स्थापित कर दी है. पीजी परीक्षाओं की वीडियो रिकौर्डिंग से छात्रों और कालेज प्रबंधन के बीच टकराव की संभावना भी खत्म हो जाएगी और निष्पक्ष परीक्षा सुनिश्चित होगी. इस तरह से अब परीक्षाओं से ले कर मान्यता तक में वीडियोग्राफी का सहारा लिया जाएगा. इस से हम इंसान से अधिक टैक्नोलौजी पर निर्भर होते जा रहे हैं. इस के अपने खतरे हैं. कई बार वीडियो में एडिट कर के कुछ का कुछ दिखाया जा सकता है. यह बेरोजगारी को बढ़ावा देने का काम करेगा.

टैक्नोलौजी से मिलने वाला पैसा विदेशों में बैठे इंजीनियर्स और बड़ी कंपनियों के पास चला जाता है. अगर लोगों को रोजगार मिलता तो देश में बेरोजगारी खत्म हो जाती. टैक्नोलौजी पर होने वाला खर्च बढ़ता जा रहा है. दूसरी तरफ बेरोजगारी बढ़ रही है. परीक्षक का काम अगर कैमरे करेंगे तो धीरेधीरे कालेज खोलने की जरूरत खत्म हो जाएगी. छात्र औनलाइन पढ़ाई करेगा. औनलाइन परीक्षा देगा. ऐसे में टीचर की जरूरत खत्म हो जाएगी. टैक्नोलौजी के प्रयोग से देश का पैसा विदेशों में बैठी कंपनियों और इंजीनियर्स को जाता है. देश का पैसा देश में रहे और यहां के लोगों को रोजगार मिले यह प्रयास होना चाहिए.

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