Nebulizer Machine Benefits : श्यामली की मां को बहुत तेज बुखार था. खांसी भी बहुत ज़्यादा उठ रही थी. खांसतेखांसते वे बेदम हुई जा रही थीं. श्यामली जब कालेज से लौटी तो मां की ऐसी हालत देख कर घबरा गई. उस ने जल्दी से रिकशा बुलाया और मां को ले कर पास के अस्पताल पहुंची. ओपीडी में डाक्टर ने श्यामली की मां का चैकअप किया और उन को तुरंत भरती करने का परचा लिख दिया. जनरल वार्ड में श्यामली की मां को भरती किया गया. कुछ देर में नर्स ने श्यामली को कुछ दवाएं लाने के लिए नीचे फार्मेसी में भेजा. श्यामली जब दवाएं ले कर लौटी तो उस ने देखा कि उस की मां के चेहरे पर प्लास्टिक का बड़ा सा मास्क लगा है, जिस में से धुआं सा निकल रहा था और उस की एक मशीन बगल में रखे स्टूल पर चल रही थी.

श्यामली मां के मुंह पर लगी मशीन देख कर रोने लगी. वह रोतेरोते वार्ड से बाहर आई और अपने मामा को फ़ोन कर के उन से कहा कि मां को औक्सीजन लग गई है. उन की हालत बहुत खराब है. पता नहीं ज़िंदा बचेंगी या नहीं. आप तुरंत आ जाइए.

श्यामली के मामाजी दूसरे शहर में रहते थे. श्यामली की बात सुन कर घबरा गए और तुरंत बैग में एक जोड़ी कपड़ा डाल कर बस से निकल पड़े. श्यामली अपनी मां के साथ अकेली थी. उस के पिता का कुछ साल पूर्व निधन हो गया था. पिता की जगह मां को नौकरी मिल गई थी, मगर इधर एक हफ्ते से खांसीबुखार की वजह से वे औफिस नहीं जा रही थीं. श्यामली अभी कालेज में पढ़ रही थी.

मामाजी से बात कर के जब श्यामली वापस मां के पास पहुंची तो उस ने देखा कि नर्स उन के मुंह पर चढ़ा मास्क हटा रही थी. मशीन भी उस ने बंद कर दी थी. वह श्यामली की मां से पूछ रही थी कि अब सांस लेने में कठिनाई तो नहीं हो रही है. मां ने कहा- नहीं.

श्यामली ने नर्स से पूछा- आप ने औक्सीजन क्यों लगाई थी? नर्स ने हंस कर कहा- औक्सीजन नहीं, नेबुलाइजर दिया था ताकि फेफड़े ढीले हों और खांसी में आराम आए.

श्यामली को अपनी बेवकूफी और नादानी पर शर्म आ गई. हाय, मामाजी तो बस स्टेशन के लिए निकल पड़े होंगे, यह सोच कर वह परेशान हो गई. दरअसल श्यामली ही नहीं, हम में से बहुत सारे लोग डाक्टरी में इस्तेमाल होने वाले अनेक उपकरणों के बारे में नहीं जानते हैं. बहुत सारे उपकरण अब अस्पतालों में आमतौर पर इस्तेमाल होने लगे हैं, इन में से एक उपकरण है नेबुलाइजर.

बदलते मौसम का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है और जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उन पर इस का असर बहुत जल्दी देखने को मिलता है. वे आसानी से वायरल संक्रमणों का शिकार बन जाते हैं और सर्दी-जुकाम उन के फेफड़ों सहित पूरे श्वसन तंत्र को जकड़ लेता है. इस से सांस लेने में भी कठिनाई होने लगती है. सर्दी-जुकाम सुनने में जितना आम लगता है, इस का असर इतना आम नहीं होता है. इस से पीड़ित होना काफी कष्टदायक होता है, इस में बंद नाक, गले में दर्द, लगातार छींक, सिरदर्द, मुंह का कड़वा स्वाद, आंखों में जलन और पानी आना न जाने कितनी अलगअलग तरह की समस्याएं होती हैं. इस की वजह से रेस्पिरेटरी सिस्टम बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है. ऐसे में स्टीम लेना सब से आसान और प्रभावी उपाय माना जाता है और स्टीम लेने के लिए नेबुलाइजर का इस्तेमाल करना अब बहुत आम हो गया है. अस्पतालों में तो भरती मरीजों को सुबहशाम नेबुलाइज किया जाता है, ताकि उन को शीघ्र आराम मिल जाए.

नेबुलाइजर के इस्तेमाल से ठीक तरह से सांस लेने में मदद मिलती है. नेबुलाइजर में इस्तेमाल की जाने वाली दवा आसानी से शरीर में पहुंच जाती है और तुरंत अपना असर दिखाने लगती है, जिस की वजह से मरीज को तुरंत आराम मिलता है. नेबुलाइजर का इस्तेमाल सर्दी-जुकाम, संक्रमण, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी जैसी पुरानी बीमारी में जल्दी आराम प्रदान करने के लिए किया जाता है. सर्दी और फ्लू होने के कारण फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं, जिस से अस्थमा के लक्षण और अस्थमा के दौरे का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. अस्थमा के कारण श्वसन रोगों के विकसित होने की संभावना अधिक हो जाती है. नेबुलाइजर के इस्तेमाल से अस्थमा और फ्लू के इलाज में काफी आराम मिलता है और इस से सूजन भी कम होती है.

नेबुलाइजर के इस्तेमाल के फायदे

नेबुलाइजर सांस की परेशानी में मरीज को सीधे फेफड़े में दवा देने के लिए सब से सरल, फायदेमंद और सुरक्षित तरीका माना जाता है. नेबुलाइजर के इस्तेमाल से दवा शरीर के उस भाग में तुरंत जाती है जहां उस की सब से ज्यादा जरूरत होती है, यानी फेफड़ों में. परंपरागत तरीके से दवा को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट से हो कर मनुष्य के रक्तप्रवाह में जाने में काफी समय लग जाता है, और फिर आराम मिलने में भी देर होती है. इस के विपरीत नेबुलाइजर दवाओं को सीधे श्वसन तंत्र में पहुंचाता है और मरीज को तुरंत आराम देता है. नेबुलाइजर का उपयोग करने से सांस की समस्याओं को विकसित होने से रोकने के साथसाथ सांस की गंभीर आपातकालीन स्थितियों का इलाज करने में भी मदद मिलती है. मुंह के माध्यम से ली जाने वाली दवाओं की तुलना में, नेबुलाइजर से लेने पर दुष्प्रभावों की संभावना भी काफी हद तक कम हो जाती है.

कैसे काम करता है नेबुलाइजर ?

चिकित्सा उद्योग में नेब्युलाइज़र एक ऐसा उपकरण है जिस का उपयोग दवा को फेफड़ों में एक धूम के रूप में पहुंचाने के लिए किया जाता है. नेबुलाइजर एक एयरकंप्रेशर है. यह माउथपीस के ज़रिए दबाव वाली हवा का लगातार प्रवाह देता है. नेबुलाइजर तरल दवा को धुंध में बदल देता है. इस धुंध को सांस में ले कर दवा को शरीर में पहुंचाया जाता है. शरीर दवा को शीघ्र सोख लेता है. नेबुलाइजर की मदद से सांस लेना आसान हो जाता है. नेबुलाइजेशन श्वसन देखभाल का एक रूप है. यह एक चिकित्सा प्रक्रिया है. अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, लंग्स या सांसों से जुड़ी अन्य परेशानियों व इंफैक्शन की स्थिति में नेबुलाइजर मशीन काफी काम आती है. नेबुलाइजर फेफड़ों तक दवा पहुंचने में 5-10 मिनट लगाता है. नेबुलाइजर का इस्तेमाल हमेशा चेयर पर सीधे बैठ कर किया जाता है ताकि दवा सीधे फेफड़ों तक पहुंच सके.

डाक्टर अकसर अस्थमा, सीओपीडी या अन्य श्वसन संबंधी रोग से ग्रस्त लोगों को ब्रोंकोडाईलेटर्स लिखते हैं. इस में नेबुलाइजर द्वारा स्टेराइल से लाइन सोल्यूशन रोगी के फेफड़ों तक पहुंचाया जाता है. यह वायुमार्ग को तुरंत खोलने और बलगम को पतला करने में मदद करता है. इस से बलगम ढीला हो कर फेफड़ों से आसानी से बाहर निकल जाता है. ये स्टेरौयड श्लेष्म झिल्ली में सूजन को भी शांत करते हैं और शरीर को ठीक होने की दिशा में प्रेरित करते हैं.

घबराहट होने की स्थिति में, सांस फूलने पर, अस्थमा में, सर्दी व जुकाम के संक्रमण में, सीने में जकड़न होने पर, सिस्टिक फाइब्रोसिस या ब्रोन्किइक्टेसिस की समस्या में, कफ व बलगम के निर्माण को रोकने के लिए, संक्रमण के इलाज में एंटीबायोटिक का सेवन करने के लिए, छोटे बच्चों और शिशुओं को आसान तरीके से बिना किसी परेशानी के दवा देने के लिए नेबुलाइजर का इस्तेमाल किया जाता है.

नेबुलाइजर की कीमत

आमतौर पर पोर्टेबल नेबुलाइजर, होम नेबुलाइजर की तुलना में थोड़े महंगे होते हैं. इसे खरीदने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए. नेबुलाइजर की कीमत लगभग 500 से 10,000 रुपए के बीच होती है.

नेबुलाइजर का इस्तेमाल कैसे करें ?

नेबुलाइजर के इस्तेमाल से पहले अपने हाथों को साबुन और गरम पानी से अच्छे से धो लें, क्योंकि हाथों में बहुत सारे बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जो आसानी से शरीर के अंदर प्रवेश कर सकते हैं. इस के बाद नली को कंप्रेशर के साथ जोड़ें. अब इस में दवा डालें. फिर इस में अपने माउथपीस या मास्क और होज़ को मैडिसिन कप से जोड़ें. इस के बाद अपना मास्‍क लगाएं या अपने माउथपीस को अपने होंठों के चारों ओर मजबूती से अपने मुंह में रखें. अब अपने नेबुलाइजर को चालू करें और अपने मुंह से तब तक सांस लें जब तक कि सारी दवा खत्म न हो जाए. दवा खत्म हो जाने के बाद नेबुलाइजर को बंद कर दें और दवा व माउथपीस को अच्छे से धो लें और इसे कुछ देर हवा में सूखने के लिए छोड़ दें.

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