Sleeping Disorder Causes : अगर आपकी भी बार-बार टूटती है नींद, तो सावधान होने की जरूरत है. जी हां मैं आज इस बारे में यू हीं बात नहीं कर रही है, एक रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है कि बार-बार नींद टूटने से मानसिक क्षमता पर असर पड़ता है जो कि आगे चलकर खतरनाक हो सकता है इसलिए अगर आपको भी ये परेशानी है तो आपको इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. बीबीसी की एक रिपोर्ट के बारे में आपको बताती हूं जिसने इस मुद्दे पर हाल ही अपनी रिपोर्ट पेश की है. इसमें बेहद ही चौंकाने वाली बातें हैं जिसपर आप सभी का ध्यान जाना जरूरी है.

दरअसल अगर आपको नींद ठीक से नहीं आती है तो इसे साइंस और मेडिकल की भाषा में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया यानि की OSA के लक्षण कहते हैं जिसका दिमाग पर सीधा असर होता है. इससे दिमाग़ के सोचने-समझने की क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है.
इस विषय पर आई BBC की नई रिपोर्ट कहती है कि भारत में 10 में से एक व्यक्ति इस समस्या का शिकार है, और उम्र बढ़ने पर ये शख्स के दिमाग की कार्य क्षमता पर असर डालता है.

नींद पूरी न होने शरीर पर क्या असर पड़ता है ?

डॉक्टर बताते हैं कि अगर किसी शख्स की नींद पूरी नहीं होती तो केवल दिमाग ही नहीं बल्कि पूरे शरीर पर इसका असर पड़ता और काम करने की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. इंसान के अंदर चिड़चिड़ापन, कोई भी फैसला लेने में असमर्थ, दिन में नींद आती है, आपकी याददाश्त कमजोर होने लगती है, इंसान चीजें भूलने लगता है. एग्जाइटी की प्रॅाब्लम होने लगती है, इंसान के अंदर शक्ती, ऊर्जा की कमी होने लगती है,ब्लडप्रेशर पर असर पड़ता है, अगर डायबीटिज हो तो बीमारी से निपटने की क्षमता में भी कमी आती है, और दिनभर थकान बनी रहती है. ये तो वो समस्याएं हैं आमतौर पर हर डॉक्टर बताते हैं. लेकिन बीबीसी से बातचीत में पदमश्री से सम्मानित डॉ कामेश्वर प्रसाद ने चौकांने वाले खुलासे किए. दरअसल उन्होंने बताया की लगभग 7505 वयस्कों पर एक शोध किया गया, जिसमें जीनोमिक्स, न्यूरोइमेजिंग और नींद से जुड़े कई पैमानों का अध्ययन किया गया. भारत में ये पहली तरह का शोध है, जिसमें, इसमें महिला और पुरुषों की संख्या लगभग बराबर थी.

उन्होंने बताया की कई देशों की तरह भारत में भी ये समस्या तेजी से फैल रही है. युवाओं के साथ-साथ अब इस समस्या के कारण बुज़ुर्गों की संख्या भी बढ़ रही है. वैसे तो बुजुर्गों को आमतौर पर उम्र बढ़ते-बढ़ते कई बीमारियां घेर लेतीं हैं जिसमें हार्ट अटैक, भूलने की बीमारी, घुटनों में दिक्कत. लेकिन कुछ समस्या नींद पूरी न होने पर भी होती है. और बड़े-बुढ़ों को तो आमतौर पर उम्र के साथ-साथ नींद भी कम आती है.

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) क्या है ?

ओएसए एक डिसआर्डर होता है, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) नींद से जुड़ा एक ब्रीदिंग डिसऑर्डर है. इसकी वजह से सोते समय सांस बार-बार रुकती और फिर चलती है और अगर सांस बार-बार रुकेगी तो जाहिर है कि इंसान की नींद खुल जाएगी और पूरी रात ये सिलसिला चलता रहता है. इसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कहते हैं. कई बार खर्राटों के कारण भी इंसान की नींद टूटती है.
एक नॉर्मल से उदाहरण से समझिए. जो महिलाएं मां बनती है बच्चे के जन्म के बाद करीब कई महीनों तक माता-पिता दोनों की नींद पर असर पड़ता है और ऐसे में उन्हें बच्चे की खुशी तो रहती है लेकिन साथ नींद पूरी न होने के कारण चिड़चिड़ापन आता है क्योंकि रात को बच्चा कई बार दूध पीने के लिए या किसी भी वजह से बार-बार उठता है तो मां को भी उठना पड़ता है. लेकिन क्योंकि बच्चे का खिलखिलाता हुआ चेहरे वो जैसे ही देखते हैं उनकी सारी थकान दूर हो जाती है. लेकिन अन्य व्यक्तियों में अगर ये समस्या है तो खतरनाक बीमारी बन जाती है.

कितनी नींद जरूरी होती है ?

डॉक्टर बताते हैं कि एक नवजात शिशु को ज़्यादा घंटों की नींद लेनी चाहिए जैसे तुरंत पैदा हुआ बच्चा करीब 20 घंटे तक सोता है या 14 से 17 घंटे भी हो सकते हैं. वहीं जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है नींद में कमी आने लगती है. वहीं 18-26 साल के युवा और 26-64 वर्ष के लोगों को सात से नौ घंटे और 65 से ज़्यादा उम्र के लोगों को 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए. इतनी नींद बहुत जरूरी होती है सेहत के लिए.

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