प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में जो कहा उस से सिद्ध हो गया कि वे कांग्रेस और राहुल गांधी से कितना भयभीत हैं. सांसद में अपने भाषण के दौरान सब से ज्यादा 85 बार देश, 43 बार कांग्रेस, 31 बार भारत, 19 बार विपक्ष, 14 बार महंगाई, 9 बार परिवारवाद, 8 बार किसान-युवा, 7 बार भ्रष्टाचार, 7 बार नेहरू, 5 बार बेटियों और 2 बार इंदिरा गांधी का नाम नरेंद्र मोदी ने लिया.

नरेंद्र मोदी ने कहा, “एक ही प्रोडक्ट को कई बार लौंच करने के चक्कर में कांग्रेस की दुकान पर ताला लगने की नौबत आ गई है. देश के साथसाथ कांग्रेस भी परिवारवाद का खमियाजा भुगत रही है. यह विपक्ष कई दशक तक सत्ता में बैठा था, वैसे ही इस विपक्ष ने कई दशक तक विपक्ष में बैठने का संकल्प लिया है. जनता के आशीर्वाद से ये अगले चुनाव में दर्शक दीर्घा में दिखेंगे.”

मोदी ने 2024 लोकसभा चुनाव के रिजल्ट पर कहा, “देश का माहौल बता रहा है कि अब की बार 400 पार. अकेले भाजपा 370 सीटें जीतेगी.”

यह बड़बोलापन, दरअसल, नरेंद्र मोदी की पहचान बन चुकी है. राहुल गांधी एक बार फिर जब भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकल पड़े हैं तो सत्ता में बैठे हुए भाजपा के चेहरे नरेंद्र मोदी और उन की सरकार के बारे में अगर यह कहा जाए कि वे थरथर कांप रहे हैं और उन का सिंहासन डोल रहा है तो गलत नहीं होगा.

अगर हम लंबे समय के घटनाक्रम को, तथ्यों को छोड़ भी दें तो असम में 22 जनवरी, 2024 को, जब प्रधानमंत्री अयोध्या में रामराम कर रहे थे, जिस तरह राहुल गांधी को शंकर देव के मंदिर में जाने से रोका गया वह हास्यास्पद ही कहा जा सकता है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान बाधाएं खड़ी की जा रही हैं. उस से यह स्पष्ट है कि राहुल गांधी के व्यक्तित्व और काम से भारतीय जनता पार्टी भयभीत है.

यह सीधासीधा मनोविज्ञान है कि अगर आप किसी से भयभीत नहीं हैं तो उसे बेवजह रोकेंगेटोकेंगे नहीं. आज आम आदमी भी नरेंद्र मोदी से यह कहना चाहता है कि आप अपना काम करिए और राहुल गांधी और विपक्ष को अपना काम करने दीजिए. देश की जनता स्वयं तय कर लेगी कि कौन और क्या देश के हित में है.

नरेंद्र मोदी की घबराहट यह बताती है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में वे मोदी और उन की पार्टी कौन्फिडैंट नहीं हैं. आत्मविश्वास की कमी के कारण ही जब ‘इंडिया’ गठबंधन बना तो ‘इंडिया’ नाम पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया गया.

शंकर देव मंदिर जाने से रोका

22 जनवरी को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में थे तब राहुल गांधी असम में शंकर देव मंदिर की सीढ़ियां चढ़ना चाहते थे. मगर असम की हेमंत बिस्वा की भाजपाई सरकार ने राहुल को रोकने की हिमाकत कर डाली.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा को असम में अलोकतांत्रिक ढंग से रोक दिया गया. राहुल गांधी यहां प्रसिद्ध शंकर देव मंदिर जाना चाहते थे और राज्य सरकार ने सुरक्षा कारण गिनाते हुए उन्हें मंदिर दर्शन की अनुमति नहीं दी.

इस के बाद राहुल गांधी का काफिला वहीं बीच सड़क पर रुक गया और विरोधस्वरूप राहुल गांधी सड़क पर ही करीब ढाई घंटे बैठे रहे. बाद में राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर लिखा कि- ‘भारत की सांस्कृतिक विविधता को शंकर देवजी ने भक्ति के माध्यम से एकता के सूत्र में पिरोया, लेकिन आज मुझे उन्हीं के स्थान पर माथा टेकने से रोका गया. मैं ने मंदिर के बाहर से ही भगवान को प्रणाम कर उन का आशीर्वाद लिया. अमर्यादित सत्ता के विरुद्ध मर्यादा का यह संघर्ष हम आगे बढ़ाएंगे.’

असम में राहुल गांधी को कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ हैबरगांव में रोक दिया गया और आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी गई. देररात यह यात्रा असम के दायरे से बाहर आ गई और यात्रा ने मेघालय की सीमा में प्रवेश किया, जहां स्थानीय लोगों व कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी का तिरंगा लहरा कर अभूतपूर्व स्वागत किया. यात्रा को आगे बढ़ाने से पहले राहुल गांधी ने असम में नुक्कड़ सभा की. असम के नगांव में राहुल गांधी ने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया. राहुल गांधी ने कहा, “क्या यह प्रधानमंत्री मोदी तय करेंगे कि मंदिर में कौन जाए.”

राहुल ने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या यह प्रधानमंत्री मोदी तय करेंगे कि मंदिर में कौन जाएगा? कानून व्यवस्था संकट के दौरान सभी लोग वैष्णव संत श्रीमंत शंकर देव के जन्मस्थान पर जा सकते हैं, लेकिन केवल मैं नहीं जा सकता.”

भाजपा के चेहरों को यह लगता है कि राहुल गांधी की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है. इंडिया गठबंधन मजबूत होता जा रहा है. गत वर्ष राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अभूतपूर्व सफलता मिली थी, शायद यही कारण है कि राहुल गांधी की यात्रा को रोकने की कोशिश जारी है.

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