इंसानी दिमाग को सदियों से धर्म की चाबुक से चलाया जा रहा है. पूरी पृथ्वी पर अलगअलग भूखंड में जितने भी धर्म मनुष्य द्वारा गढ़े गए, पीढ़ी दर पीढ़ी उन के नियमों का पालन जबरन कराया जाता रहा है. धर्म की घुट्टी जन्म लेने के साथ ही पिलाई जाने लगती है और यह घुट्टी हम मृत्यु तक पीते हैं. धर्म के आगे सोचविचार निषिद्ध है. इस के आगे सारे तर्कवितर्क फेल हैं. आस्था पर बहस वर्जित है. सवाल पूछने की पूरी तरह मनाही है. कुल जमा यह कि अपने दिमाग का इस्तेमाल ही नहीं करना है. जो बताया गया है उस का आंखें मूंद कर पालन करना है.

कोई पूछ नहीं सकता कि ईश्वर कहां है? कौन है? कैसा है? किस ने देखा उसे? किसी से मिलता क्यों नहीं? डरता है क्या? अकेले दम पर इतनी बड़ी दुनिया बना ली तो अपना घर बनाने की जिम्मेदारी इंसान पर क्यों छोड़ दी? अभी कहां रह रहा है? दुनियाभर के अलगअलग धर्मों में उस के लाखों घर हैं तो एकसाथ इतने घरों में रहता कैसे है? इस तरह के लाखों सवाल हैं जिन के जवाब धर्म और धर्म को पैदा कर के उसे ढोने वालों के पास नहीं हैं, इसीलिए उन्होंने पूरी दबंगई से सवालों पर रोक लगा रखी है. धर्म ने हमारे दिमाग को कैद कर रखा है. वो जैसा चाहता है वैसे हमारे दिमाग को चलाता है. जिस दिशा में चाहता है उस दिशा में चलाता है मगर हमें खुद हमारे दिमाग का इस्तेमाल नहीं करने देता है.

आजकल धर्म के साथसाथ सोशल मीडिया ने हमारे दिमाग पर कब्जा जमा लिया है. सोशल मीडिया धर्म के ढोंग-ढकोसलों को हमारे दिमागों में और ज़्यादा पुख्ता करता है. साथ ही, सोशल मीडिया पूरे समाज की सोच और गति को निर्धारित करता है. सोशल मीडिया एकजैसी सोच पैदा कर के बड़ेबड़े समूह बना रहा है. उन समूहों को गति दे रहा है. समूहों को आपस में लड़वा रहा है. हम सोशल मीडिया पर चस्पां हर चीज को सच मान रहे हैं, उन पर विश्वास कर रहे हैं. उस के अनुसार हम काम कर रहे हैं. हम ने अपने दिमाग का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर दिया है.

अब साइंस और तकनीक हमारे दिमाग पर कब्जा जमाने के लिए आगे बढ़ रही हैं. इंसान को रोबोट बनाने के लिए चिप बनाई जा रही हैं. ये चिप दिमाग में लगेंगी और चिप हमें इंस्ट्रक्शन देंगी कि क्या करना है और क्या नहीं. पहले इंसान ने रोबोट बनाए, अब इंसान को ही रोबोट बनाने की तैयारी है.

वैज्ञानिक एलन मस्क की न्यूरोटैक्नोलौजी कंपनी न्यूरालिंक ने दावा किया है कि ऐसा बस एक चिप के जरिए संभव होगा. जिन के दिमाग में चिप लगाईं जाएगी वो लोग बिना हाथ लगाए सिर्फ अपनी सोच से ही कंप्यूटर और मोबाइल जैसी चीजें चला सकेंगे. हालांकि कहा जा रहा है कि ये चिप लकवाग्रस्त रोगियों, मिर्गी के मरीजों या पार्किंसन बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए डैवलप की जा रही हैं, यानी जिन के शरीर के अंगों पर उन के दिमाग का कंट्रोल नहीं रह गया है, उन के दिमाग में चिप लगा कर उन के रोजमर्रा के कामों को आसान किया जाएगा, लेकिन सोचिये जब दिमाग में लगने वाली चिप बड़ी संख्या में बनने लगेंगी तो क्या ये मानव जीवन और पृथ्वी के अस्तित्व के लिए सुरक्षित होंगी?

आखिर चिप में क्या भरा गया है, यह तो उस को बनाने वाला और उस को कंट्रोल करने वाला ही जानता होगा. यह चिप जब आप के दिमाग में फिट कर दी जाएगी तो उस का कंट्रोल किस के हाथ में होगा? क्या उस डाक्टर के हाथ में या चिप बनाने वाले वैज्ञानिक के हाथ में? चिप से अगर आप के दिमाग को इंस्ट्रक्शन मिले कि अमुक व्यक्ति की हत्या कर दो, या अमुक जगह आग लगा दो, या अमुक जगह बम गिरा दो तो उस गुनाह के गुनाहगार आप होंगे, या वो डाक्टर या वो वैज्ञानिक? इन बातों पर क्या अपने दिमाग का इस्तेमाल इंसान को नहीं करना चाहिए?

अभी भले चिप को बनाने के पीछे रोगमुक्ति को कारण बताया जा रहा हो मगर एक बार जब इन का प्रोडक्शन बड़े पैमाने पर शुरू हो जाएगा तो हम मनुष्य, अन्य जीवों और पृथ्वी पर आने वाले खतरे को कैसे रोक पाएंगे?

एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक का कहना है की पहली बार उस ने इंसानी दिमाग में वायरलैस कंप्यूटर चिप को प्रत्योपित करने में सफलता हासिल कर ली है. जिस के जरिए लकवाग्रस्त व्यक्ति के हाथोंपैरों को चलाना संभव होगा. दावा तो यह भी है कि इस की बदौलत किसी नेत्रहीन की आंखों में रोशनी भी वापस लाई जा सकती है. यही नहीं, इस के जरिए बधिर लोग सुन भी सकते हैं. सोशल मीडिया मंच एक्स पर एलन मस्क ने लिखा कि जिस व्यक्ति के मस्तिष्क में यह चिप लगाई गई है वह तेजी से स्वस्थ हो रहा है.

न्यूरालिंक प्रत्यारोपण प्रक्रिया के तहत दिमाग में इलैक्ट्रोड प्रत्यारोपित करते हैं. इन इलैक्ट्रोड की मदद से मिर्गी और पार्किंसन के मरीजों को लाभ होने का दावा किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि चिप की मदद से लकवाग्रस्त रोगी अपने आसपास के लोगों से बात कर सकते हैं. न्यूरालिंक ने अपने इस उत्पाद को टैलीपैथी नाम दिया है. न्यूरालिंक इंसानी दिमाग के पैदा होने वाले सिग्नल समझ रही है. मस्क भविष्य में इस में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के इस्तेमाल की योजना बना रहे हैं.

हालांकि बंदरों पर जब उन्होंने इस चिप का प्रयोग किया तो काफी होहल्ला मचा था, पर एलन ने सफाई दी कि इस से किसी बंदर की मौत नहीं हुई. होहल्ला मचने के बाद जान का ख़तरा कम करने के लिए इस का परीक्षण बीमार बंदरों पर होने लगा. पर अब वे मनुष्य पर भी परीक्षण शुरू कर चुके हैं. मनुष्य पर परीक्षण का उद्देश्य कंपनी को अपने डिवाइस के लिए सही डिज़ाइन तैयार करने में मदद करना है. न्यूरालिंक का कहना है कि इस साल वह 11 सर्जरी करेगी.

अलगअलग जानवरों पर प्रत्यारोपण के परीक्षण के बाद अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने पिछले साल मई में मनुष्यों पर इस के परीक्षण की अनुमति न्यूरालिंक को दी थी मगर फिजीशियन कमेटी फौर रिस्पौन्सिबल मैडिसिन जैसे समूहों ने तभी इस की कड़ी आलोचना की थी. उन का आरोप था कि न्यूरालिंक द्वारा जानवरों पर की गईं अनेक सर्जरी विफल हुई हैं. गौरतलब है कि इलैक्ट्रोड को पहली बार 2004 में सिंक्रोन और प्रिसिजन न्यूरोसाइंस कंपनी ने प्रदर्शित किया था, पर वे ज्यादा सफल नहीं हुए थे.

न्यूरालिंक एलन मस्क की स्टार्टअप कंपनी है जो 2017 में शुरू की गई. 2019 तक इस में 15.8 करोड़ डौलर की फंडिंग हुई. इस में अकेले एलन मस्क के 10 करोड़ डौलर लगे हैं. मस्क की ब्रेन-चिप कंपनी को मानव परीक्षण के लिए इंडिपेंडेंट इंस्टिट्यूशनल रिव्यू बोर्ड से रिक्रूटमैंट की मंजूरी मिली थी. परीक्षण उन लोगों पर हो रहा है जो सर्वाइकल स्पाइनल कौर्ड में गंभीर चोट के कारण बिस्तर पर पड़े हैं.

एलन बड़ी संख्या में लोगों पर परीक्षण करने के लिए उतावले हैं. इस के लिए उन्होंने परीक्षण में शामिल होने के लिए लोगों का आह्वान किया है. अमीर आदमी एलन मस्क ने जाहिर है, इस के लिए बड़ी धनराशि का लालच रखा होगा. उन्होंने कुछ शर्तें भी रखी हैं. जो लोग परीक्षण में शामिल होना चाहते हैं उन की उम्र कम से कम 22 साल होनी चाहिए. परीक्षण में 6 साल का समय लगेगा. परीक्षण में शामिल लोगों को यात्रा भत्ता और अन्य सुविधाएं दी जाएंगी. अगर अध्ययन में सबकुछ ठीक रहा तो इस चिप को बाजार में आने में 5 से 10 साल का समय लगेगा.

सोचिए दिमाग में चिप फिट करवा कर बाजारों में घूमने वाले लोग आप से बात करते समय, आप से व्यवहार करते समय किस के द्वारा संचालित हो रहे होंगे. क्या एलन मस्क दुनिया को अपना रोबोट बनाने की राह पर बढ़ रहे हैं? सो, आप अपना दिमाग इस्तेमाल करें. सरिता पढ़ें. आप अपने को धर्म और सोशल मीडिया से संचालित होना बंद करें वरना एक दिन इन के जरिए एलन मस्क और उस की तरह की सोच रखने वाले राजनीतिक लोग आप के दिमाग में चिप फिट करवा कर आप को अपना रोबोट बनाने में सफल हो जाएंगे.

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