बदलती जीवनशैली और खानपान ने लगभग हर शख्स को किसी न किसी बीमारी से घेर रखा है. पेट भी शरीर का ऐसा ही भाग है जो लोगों के लिए बीमारियों का अड्डा बनता जा रहा है. अव्यवस्थित दिनचर्या, खानपान में लापरवाही, वसा का अधिक प्रयोग पेट की बीमारियों में इजाफा करता है. आइए जानते हैं कि पेट से जुड़ी और कौन सी बीमारियां हैं व उन के लक्षण और बचाव क्या हैं.

पेट के विभिन्न हिस्सों में दर्द

पेट में दर्द अलगअलग अंगों में अलग कारणों से होता है. कई बार कब्ज के कारण या अन्य किसी वजह से आंतों में विकार के कारण पेटदर्द होने लगता है. ऐसे में आप को कभी खुद से घरेलू उपचार नहीं करना चाहिए बल्कि तुरंत डाक्टर से मिलना चाहिए.

पेट में ऊपर की तरफ दर्द सामान्यतया गैस्ट्राइटिस, लिवर में खराबी, आमाशय में छेद होने के कारण होता है. पित्त की थैली में पथरी होने पर आमतौर पर पेट की दाईं तरफ दर्द होता है. पेट के बीचोंबीच दर्द का कारण अकसर पैंक्रियाज की खराबी होता है.

पेट के निचले भाग में दर्द यानी एपैंडिसाइटिस मूत्राशय में पथरी या संक्रमण के कारण होता है, लेकिन महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कई कारक हो सकते हैं, जैसे गर्भाशय में किसी तरह की खराबी, फाइब्रायड, एंड्रियोमेट्रियोसिस, माहवारी या कोई अन्य बीमारी.

पेट के एक तरफ दर्द का कारण गुरदे में पथरी या गुरदे की अन्य कोई बीमारी हो सकती है. पेटदर्द के लिए अल्ट्रासाउंड, एंडोस्कोपी, एक्सरे, सीटी स्कैन और रक्त की जांच कराई जाती हैं जिस से कि सही समय पर सही इलाज किया जा सके.

कब्ज की शिकायत

कब्ज को हलके में लेना सही नहीं है. इसे कुछ लोग रोगों की जननी भी कहते हैं. जब भोजन आंतों में पहुंचता है तो आंतों में मरोड़ के साथ संकुचन पैदा होता है. इसे वैज्ञानिक लहजे में पेरिस्टाल्सिस कहते हैं. इस का मुख्य कार्य भोजन को आगे खिसकाने का होता है. इस तरह से जब मरोड़ के साथ शौच की इच्छा होती है तो कई बार हम किसी खास काम में बिजी होने के कारण शौच को टाल देते हैं. कुछ समय बाद फिर इसी तरह की मरोड़ उठती है. मगर अब इस की तीव्रता पिछली बार से अधिक होनी चाहिए वरना मल सख्त हो जाता है. इस तरह से हम कह सकते हैं कि कब्ज का प्रमुख कारण शौच की इच्छा को अधिक समय तक टालना है.

पेट का संक्रमण यानी फूड पौइजनिंग

फास्ट फूड से ले कर बाहर खाने की आदत पेट को संक्रमित कर देती है, जिस के कई नुकसान सामने आते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, आमतौर पर 50 फीसदी पेट का संक्रमण खाद्य पदार्थों के माध्यम से होता है. पेट का संक्रमण बैक्टीरिया द्वारा तेजी से फैलता है, जो पेट की कई और बीमारियों को जन्म दे सकता है.

पेट के संक्रमण में कई बार जटिलताएं पैदा हो जाती हैं. किसी भी जटिलता की स्थिति में घबराएं नहीं बल्कि तुरंत डाक्टर से संपर्क करें. इस संक्रमण की वजह से कई बार गठिया, ब्लीडिंग की समस्या, किडनी में समस्या या सांस लेने संबंधी समस्या पैदा हो सकती है. खाना जरूरी है, लेकिन खाने में लापरवाही नुकसानदेह भी साबित होती है.

दस्त की समस्या

इस समस्या का सीधा संबंध आदमी के मानसिक तनाव से है. जब व्यक्ति तनावग्रस्त होता है तो शरीर की वेगस नाड़ी उत्तेजित हो कर आंतों के संकुचन और स्त्रावन को कई गुना बढ़ा देती है, जिस से व्यक्ति को बारबार शौचालय के लिए भागना पड़ता है और इस से पतले पानी जैसे दस्त होने लगते हैं. इस के अलावा संक्रमण से भी यह समस्या हो जाती है. किसी जीवाणु से जब आंतें संक्रमित होती हैं तो दस्त होने की संभावना बढ़ जाती है. संतुलित खानपान और संयमित जीवनशैली से पेट की बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है.

पेट का कैंसर

पेट के कैंसर के कारणों को पूरी तरह से सम?ा नहीं जा सका है लेकिन कुछ उपाय संकेत देते हैं कि कुछ भोजन इस कैंसर की रोकथाम में मदद कर सकते हैं. ज्यादातर यह इस बात पर निर्भर करता है कि निदान के बाद यह कैंसर कितनी तेजी से विकसित होता है.

बचाव के लिए भोजन में ज्यादातर ताजे फलों और सब्जियों का सेवन करें. धूम्रपान न करें. शराब कम पिएं. धूम्रपान, मसालेदार भोजन, बेक किए हुए और नाइट्रेट्स द्वारा सुरक्षित किए गए खाद्य पदार्थों से बचें.

अल्सर (पेट में घाव)

अल्सर भी पेट की गंभीर समस्या है. यह पेट की दशा बुरी तरह से बिगाड़ देता है. जंकफूड सीधे तो अल्सर की वजह नहीं है लेकिन वह अल्सर से होने वाली कठिनाइयां बढ़ा जरूर देता है. इसलिए जंकफूड से बचना बेहद जरूरी है. अल्सर के अनेक दुष्परिणाम हो सकते हैं. यह असहनीय पेटदर्द की वजह तो बनता ही, साथ ही, इस से खून की उलटी एवं अल्सर के फटने जैसी जटिल परिस्थितियां भी पैदा हो सकती हैं.

अल्सर से शुरू हुई ब्लीडिंग अगर नहीं रुकी तो वह जानलेवा भी हो सकती है. इसलिए डाक्टर के पास जाने में देरी कतई नहीं करनी चाहिए. समय से अगर अल्सर का पता चल जाए तो उस की जटिलताओं को हम बखूबी रोक सकते हैं. मरीज को इस बीमारी में पेनकिलर नहीं लेनी चाहिए. पेनकिलर के अलावा एच पायलोरी नामक कीटाणु बैक्टीरिया भी पेट में अल्सर का बड़ा कारक है. इसलिए इस के इलाज में कोताही कतई नहीं करनी चाहिए.

पेट में कीड़े

पेट में कीड़े होने पर जहां रोगी को अत्यधिक भूख लगती है वहीं स्वास्थ्य भी खराब होना शुरू हो जाता है. पेट के कीड़े अधिकतर बच्चों के अंदर पाए जाते हैं. पेट के कीड़े सामान्यतया कब्ज करने वाले भोजन, मांस और खट्टेमीठे पदार्थ अधिक खाने से पैदा होते हैं. बुखार, पेटदर्द, जी मिचलाना, चक्कर आना, दस्त लगना, गुदा में कांटे जैसा चुभना आदि इस के लक्षण होते हैं.

पेट के अंदर कीड़े होने पर कब्ज से बचना चाहिए. इस के लिए दोनों समय चावलदाल खाया जा सकता है. पुराने चावलों का भात, परवल, करेला, बकरी का दूध, नीबू का रस, साबूदाना आदि हलके पदार्थ खाने से पेट में कीड़े नहीं होते हैं. इस के अलावा चिकित्सकीय परामर्श भी जरूरी है.

(यह लेख मेडियोर अस्पताल, दिल्ली के गैस्ट्रोएंट्रोलौजिस्ट डा. एम पी शर्मा से बातचीत पर आधारित है.)

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