लड़कियों को पेट में ही मार डालने या पैदा होने के तुरंत बाद मार डालने का रिवाज पूरी तरह खत्म भले ही न हुआ हो लेकिन काफी हद तक नियंत्रित जरूर हुआ है. शिक्षा और जागरूकता सहित इस की एक बड़ी वजह यह भी है कि अब बेटी के पैदा होते ही मांबाप को उस की शादी और दहेज की चिंता इतना नहीं सताती कि उन्हें 60 से ले कर 80 तक के दशक के फिल्मों की तरह गहनों की पोटली या जमीनजायदाद के कागजात ले कर सूदखोर लाला के पास भारीभरकम ब्याज पर कर्ज लेने जाना पड़ता हो.

हालांकि हर दौर की तरह शादी आज भी मकान के बाद दूसरा बड़ा खर्च है बल्कि शादियां अब पहले से ज्यादा खर्चीली हो चली हैं लेकिन इतनी कतई नहीं कि बाप को पगड़ी किसी के पांवों में रख कर इज्जत की दुहाई देते गिड़गिड़ाना पड़े या दोस्तों व रिश्तेदारों से पैसा उधार मांगना पड़े. इस की वजह, दोटूक कहें तो, अधिकतर युवा अपनी शादी का खर्च खुद उठाने लगे हैं. आंकड़ों में दाखिल होने से पहले इसे कुछ उदाहरणों से बेहतर समझा जा सकता है.

भोपाल का 29 वर्षीय आदित्य पुणे की एक सौफ्टवेयर कंपनी में 18 लाख रुपए सालाना के पैकेज पर जौब करता है. 5 साल की नौकरी में उस ने कोई 15 लाख रुपए इकट्ठा कर लिए हैं. कुछ एफडी की शक्ल में तो कुछ यहांवहां इन्वैस्ट कर के उस ने पैसा बढ़ाया ही है. पिता भी सरकारी कर्मचारी हैं और अब रिटायरमैंट कि कगार पर हैं.

रिश्ते की बात चली तो उन्हें खर्च की भी चिंता सताने लगी, जिसे आदित्य ने यह कहते आधा कर दिया कि आप तो चिल करो, पैसों का टैंशन मत लो. मेरे पास 20 लाख रुपए तक का इंतजाम हो जाएगा. इतने से ज्यादा लगा, तो फिर आप देख लेना.

उस के पापा, जो जीपीएफ से पैसा निकालने के लिए दफ्तर से फौर्म तक ले आए थे, यह सुनते ही निश्चिंत हो गए क्योंकि 8-10 लाख रुपए का इंतजाम तो उन्होंने भी कर रखा था. 30 लाख रुपए बहुत हैं आजकल धूमधाम और शान से शादी करने के लिए. सो, उन्होंने आदित्य को अपनी पसंद की लड़की दिखाई जो उसे भा गई तो तुरंत एंगेजमैंट भी हो गई. अब इस साल आदित्य रश्मि के साथ शादी के बंधन में बंध जाएगा जो खुद 12 लाख रुपए के पैकेज पर जौब मुंबई की एक नामी कंपनी में करती है.

लड़कियां भी पीछे नहीं

27 वर्षीया तपस्या एक राष्ट्रीयकृत बैंक में अधिकारी है. घर भोपाल में ही है, लिहाजा 90 हजार रुपए महीने की सैलरी में से बमुश्किल 25-30 हजार रुपए ही खर्च होते थे. घरखर्च में हाथ बंटाने की पहल करती थी तो पापा यह कहते टाल जाते थे कि हम लड़कियों की कमाई नहीं लेते, हालांकि, ऐसी कोई कसम भी नहीं खाई है. अगर जरूरत पड़ी तो तुम्हें बेटा समझ कर ले भी लेंगे. अभी तुम ये पैसे अपने पास ही रखो और जैसे चाहे इस्तेमाल करो. तुम तो बैंक में हो, सो, इस बारे में ज्यादा जानती हो.

तपस्या के पास 20 लाख रुपए इकट्ठा हो गए हैं. जैसे ही खुद उस ने अपनी पसंद का लड़का बताया तो मम्मीपापा पुरानी हिंदी फिल्मों के सोहराब मोदी या नासिर हुसैन जैसे किलपने के बजाय खुश हो उठे और खुद रिश्ता ले कर स्वप्निल के यहां जा पहुंचे. शादी हुए एक साल हो गया है लेकिन इस में तपस्या के पापा का महज 8 लाख रुपए ही खर्च हुआ. वह भी उन्होंने जबरन कर दिया नहीं तो वह और उस की कुलीग स्वप्निल सबकुछ तय कर चुके थे. दोनों ने अपनी ही कमाई और बचत से 40 लाख रुपए शादी पर खर्च किए और दोनों पक्षों में से किसी को भी किसी से धेला भर भी बतौर कर्ज या उधार नहीं लेना पड़ा.

यह एक नहीं, बल्कि हजारोंलाखों तपस्याओं की कहानी है जो अपनी शादी का खर्च खुद उठा रही हैं. पूरा न सही तो आधा और अकसर उस से भी ज्यादा. इस बात का खुलासा करते भोपाल के सरकारी कालेज की एक प्रोफैसर सोना शुक्ला बताती हैं, “असल में परिवार अब छोटे हो चले हैं. संयुक्त परिवारों में संतानें 4 या ज्यादा होती थीं, लिहाजा पिता की कमाई उन की परवरिश और पढ़ाईलिखाई में ही खर्च हो जाती थी. ऐसे में शादी के लिए फंड जुटाने की समस्या चुनौती की शक्ल में पेश आती थी. पहले के लोग किफायती होते थे और दूरदर्शी भी, इसलिए कोई अड़चन नहीं आती थी.

वे जाने कैसे शादी के खर्च का इंतजाम कर ही लेते थे. सरकारी नौकरी में हों तो भविष्यनिधि उन का बहुत बड़ा सहारा होती थी और अगर व्यापारी हुए तो वे अच्छी कमाई के दिनों में सोने और जमीनों में पैसा लगा देते थे. शादी का वक्त आतेआते उसे बेचने पर खासा अमाउंट मिल जाता था. अगर फिर भी कम पड़ता था तो बाजार से ब्याज और उठा लेते थे और धीरेधीरे चुकाते रहते थे.

शादी और लोन का गणित

युवा अपनी शादी का खर्च खुद उठा सकें, इस के लिए अब बैंक और दूसरी कई एजेंसियां भी वेडिंग लोन देने लगी हैं. एक नामी औनलाइन कंपनी इंडिया लेंड्स ने हाल ही में जारी की अपनी एक सर्वे रिपोर्ट में बताया है कि आज के युवा अपनी शादी के खर्च का बोझ पेरैंट्स पर न डाल कर उसे खुद उठाना चाहते हैं. इस सर्वे के मुताबिक, 42 फीसदी युवा यह खर्च खुद उठाना चाहते हैं. इस में भी दिलचस्प बात यह है कि 60 फीसदी युवतियां अपनी शादी का खर्च खुद जुटा रही हैं जबकि ऐसा करने वाले युवकों की तादाद 52 फीसदी है.

जरूरी नहीं कि सभी युवाओं के पास एकमुश्त इतना पैसा हो कि वे 25-30 लाख रुपए शादी में खर्च कर सकें. इस परेशानी को देखते अब वैडिंग लोन लेने वाले युवाओं की संख्या बढ़ रही है. इस सर्वे की मानें तो 26.3 फीसदी युवा वैडिंग लोन को प्राथमिकता दे रहे हैं जबकि 42.1 फीसदी युवाओं ने शादी के लिए फंड इकट्ठा कर रखा है. यह लोन भी कोई भारीभरकम नहीं है बल्कि 67.7 फीसदी युवा महज एक से ले कर 5 लाख रुपए तक का लोन लेना पसंद कर रहे हैं.

युवाओं के नजरिए में आते बदलाव पर एक नजर डालें तो सर्वे में शामिल 70 फीसदी युवाओं ने कम खर्चीली शादी की बात कही, जिस का बजट 10 लाख रुपए से ज्यादा का न हो. 21.6 फीसदी युवा 25 लाख रुपए तक शादी पर खर्चना चाहते हैं तो महज 8.4 फीसदी युवा ही 25 लाख रुपए से ज्यादा शादी पर खर्च करने की बात सोचते हैं. सर्वे यह भी बताता है कि एक औसत शादी का खर्च इन दिनों 20 – 25 लाख रुपए है.

सहूलियत से मिलता है

वैकडिंग लोन अब लगभग सभी बैंक दे रहे हैं लेकिन देश का सब से बड़ा एसबीआई इन में अग्रणी है. क्या है और किसे मिल सकता है वैडिंग लोन, यह जानने से पहले यह समझ लेना जरूरी है कि वैडिंग लोन, दरअसल, एक तरह का पर्सनल लोन ही है. ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कुछ औफर्स के साथ इसे वैडिंग लोन नाम दे दिया गया है. बड़ा फर्क यह है कि वैडिंग लोन जल्द मिल जाता है. इसे ‘मेरी नाऊ पे लेटर’ नाम से भी जाना जाने लगा है लेकिन हकीकत में दोनों में थोड़ा फर्क है.

अपनी आमदनी के मुताबिक कोई भी नौकरीपेशा 40 लाख रुपए तक का वैडिंग लोन जितनी जरूरत हो, ले सकता है लेकिन इस के लिए सभी खानापूर्तियां करना जरूरी होता है जो किसी भी लोन में की जाती हैं, मसलन एड्रेस प्रूफ, पैनकार्ड, आईटीआर फौर्म-16 और इनकम प्रूफ वगैरह. सिविल स्कोर का ठीक यानी 750 से ज्यादा होना भी जरूरी होता है. अलगअलग बैंकों की ब्याज दरों में मामूली अंतर वैडिंग लोन में होता है. आमतौर पर यह 11 से 20 फीसदी तक होता है. वैडिंग लोन 5 साल तक मासिक किस्तों में चुकाना होता है, हालांकि, बड़े बैंक 7 साल तक की सहूलियत देते हैं.

वैडिंग लोन के लिए न्यूनतम मासिक आय 15 हजार रुपए होना जरूरी होता है और आवेदक की उम्र 21 से 60 साल के बीच होनी चाहिए. यह लोन चाहने वाले औफ या औनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं.

हर्ज नहीं बशर्ते

अपनी मरजी की शादी करने के लिए वैकडिंग या मैरिज लोन लेना हर्ज की बात नहीं लेकिन दूसरे किसी भी लोन की तरह चुकाने की क्षमता होनी जरूरी है. गृहस्थ जीवन में प्रवेश के पहले इस की मासिक किस्तों को बजट में शामिल करना बाद की परेशानियों से बचाता है. आमतौर पर युवा 5 से 10 लाख तक का वैडिंग लोन कपड़ों, गहनों और हनीमून सहित दूसरे व्यक्तिगत खर्चों के लिए ज्यादा लेते हैं. हालांकि, आप लोन का इस्तेमाल कैसे और कहां करते हैं, इस पर बैंक की कोई बंदिश नहीं रहती है.

भोपाल के ही एक इंजीनियर अभिषेक श्रीवास्तव की मानें तो शादी एक बार होती है जिस में युवाओं की कई ख्वाहिशें और इच्छाएं ऐसी होती हैं जिन्हें वे पेरैंट्स के सामने व्यक्त करने में हिचकते हैं. ऐसे में वैडिंग लोन एक अच्छा विकल्प है.

आखिर अधिकतर युवा व्हीकल लोन भी तो लेते हैं और किस्तें वक्त पर चुकाते रहते हैं. अलावा इस के, अगर युवा पेरैंट्स का हाथ बंटा पाएं तो इस में हर्ज क्या है. हां, शादी में फुजूलखर्ची और दिखावे से बचना चाहिए लेकिन अपनी इच्छाओं की हत्या भी थोड़े से पैसों के पीछे करना जिंदगीभर सालता रहता है. इसलिए, 5-7 साल तक का वैडिंग लोन लेना हर्ज की बात नहीं.

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