बिलकिस बानो केस में राधेश्याम शाही, जसवंत चतुरभाई नाई, केशुभाई वदानिया, बकाभाई वदानिया, राजीवभाई सोनी, रमेशभाई चौहान, शैलेशभाई भट्ट, बिपिन चंद्र जोशी, गोविंदभाई नाई, मितेश भट्ट और प्रदीप मोढिया वो 11 अपराधी हैं, जिन्होंने 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान 5 माह की गर्भवती 21 वर्षीया बिलकिस बानो से सामूहिक बलात्कार किया, उस की आंख के सामने उस के परिवार के 7 लोगों का कत्ल किया और उस की 3 साल की मासूम बेटी को जमीन पर पटकपटक कर मार डाला.

इतनी जघन्यता करने वाले इन नरपिशाचों के अतिरिक्त 7 और लोग इस जघन्य कृत्य में शामिल थे, उन के खिलाफ भी एफआईआर हुई थी, मगर सुबूतों के अभाव में वे कानून के शिकंजे से बच निकले. 11 नरपिशाचों, जिन के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं, को सजा तक पहुंचाने के लिए बिलकिस ने बहुत लंबी लड़ाई लड़ी है.

मानवता को शर्मसार करने वाले इन खूंखार कातिलों को तो उसी वक्त सरेआम फांसी पर चढ़ा दिया जाना चाहिए था, लेकिन भारतीय कानून ने इस बिना पर कि उकसावे में बहक कर उन्होंने ऐसा जघन्य कांड किया, उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी. लेकिन जिन अपराधियों के सिर पर गुजरात सरकार का वरदहस्त है, उन के लिए आजीवन कारावास तो पिकनिक मनाने जैसा रहा. सरकारी दामाद बन कर वे जेल में भी ऐश करते रहे और फिर गुजरात सरकार ने उन्हें 'अच्छे चालचलन' का तमगा दे कर समय पूर्व ही उन की जेल से रिहाई करवा दी.

अब भले ही सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फिर वापस जेल भेजने का हुक्म सुनाया है मगर बिलकिस की लड़ाई का अभी अंत नहीं हुआ है. इस फैसले के बाद भी बिलकिस को न्याय मिलने का सवाल चर्चा में है. अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को भले लताड़ा और कहा कि जिस राज्य में ट्रायल पूरा हुआ, जिस राज्य में उन को सजा सुनाई गई, अगर समय पूर्व रिहाई का फैसला करना था तो वही राज्य कर सकता था, गुजरात नहीं. ऐसा कह कर कोर्ट ने गेंद महाराष्ट्र के पाले में डाल दी है. महाराष्ट्र में भी बीजेपी की सरकार है, ऐसे में अपराधी कितने दिन जेल में रहेंगे, यह आने वाले समय में पता चलेगा?

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