महज 3 हजार रुपए के विवाद में 12 दिसंबर, 2024 को बुलंदशहर के खुर्जा टाउन में एक शख्स ने 22 साल के समीर की इतनी बेदर्दी से हत्या कर दी कि देखने वालों की आंखें फटी रह गईं. समीर टैक्सी चला कर परिवार का भरणपोषण करता था. कुछ दिनों पहले उस ने नवाब से 3 हजार रुपए उधार लिए थे. जिसे उस ने वापस भी कर दिया था. जबकि नवाब उस से और 3 हजार रुपए मांग रहा था. इसी पर विवाद के बाद नवाब ने कुछ दिनों पहले समीर की पिटाई भी की थी.

12 दिसंबर, दिन सोमवार को दोपहर में समीर अपने घर के बाहर गली में खड़ा था. तभी आरोपी नवाब चाकू ले कर आया और समीर के साथ गालीगलौज शुरू कर दी. विरोध करने पर उस ने समीर की गरदन और पेट पर ताबड़तोड़ कई वार कर दिए, जिस से उस की गरदन का अगला भाग पूरी तरह से कट गया. हमला इतना खौफनाक था कि समीर की आंतें तक उस के पेट से बाहर निकल आईं. समीर लहूलुहान हो कर गिर पड़ा. भीड़ इकट्ठी होती देख आरोपी चाकू लहराता हुआ भाग निकला. समीर को अस्पताल पहुंचाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.

ऐसी ही कुछ और घटनाओं पर विचार करें

मुजफ्फरनगर में 10 दिसंबर को 68 वर्षीया एक महिला से जब उस के बेटे ने कुछ रुपए उधार मांगे तो महिला ने पैसे देने से इनकार कर दिया. गुस्से में बौखलाए लड़के ने अपनी ही मां की फावड़े से हत्या कर दी.

इस से 2 दिनों पहले यानी 8 दिसंबर को 22 वर्षीय एक व्यक्ति ने नवी मुंबई के सानपाड़ा में तड़के एक चौकीदार की माचिस की तीली देने से इनकार करने पर हत्या कर दी. चौकीदार ने माचिस उधार देने से इनकार किया तो 22 वर्षीय लड़के शेख ने एक बड़ा पत्थर उठाया और पीड़ित के सिर पर दे मारा.

इसी तरह की पिछले साल की एक घटना है जब बिजनौर में उधार नहीं देने पर एक युवक ने दुकानदार यशपाल की पीटपीट कर हत्या कर दी. यशपाल सिंह की एक छोटी सी परचून की दुकान थी. इसी गांव का जितेंद्र दुकान से सामान खरीदने के लिए पहुंचा. जितेंद्र ने दुकानदार यशपाल से उधार सामान मांगा तो यशपाल ने मना कर दिया. फिर यशपाल ने जितेंद्र से उधार के 30 रुपए वापस देने को भी कहा. इसी बात पर यशपाल और जितेंद्र में झगड़ा हो गया. गुस्साए जितेंद्र ने अपने परिवार के लोगों के साथ मिल कर दुकानदार को पीटपीट कर मौत के घाट उतार दिया. बीचबचाव करने आई दुकानदार की पत्नी को भी गंभीर रूप से घायल कर दिया.

आएदिन हो रही ऐसी घटनाएं साबित करती हैं कि आज के समय में लोगों की सहनशक्ति इतनी कम हो गई है और वे गुस्से में इतने बौखला जाते हैं कि आगेपीछे सोचे बिना मामूली सी मामूली बात पर जिंदगी लेनेदेने को तैयार हो जाते हैं. उन्हें लगता है कि सामने वाले ने बात नहीं मानी तो उसे जान से मार दो. खासकर, अगर सामने वाला कोई कमजोर शख्स हो तो उस पर जानलेवा हमला करने में वे तनिक भी नहीं हिचकते.

खौफनाक अंजाम

मगर सोचिए, इस का अंजाम क्या होता है? एक इंसान अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठता है. उस का पूरा परिवार भी टूट जाता है. ऐसी खौफनाक घटना को अंजाम देने वाला यानी आरोपी भी नहीं बचता. वह जिंदगीभर कोर्टकचहरी के चक्कर लगाने या जेल की हवा खाने को विवश हो जाता है. कुछ लोग जिंदगीभर पुलिस और लोगों से बचते फिरते हैं. उन के जीवन का सुकून छिन जाता है और वे एक मुजरिम की तरह लिज्जतभरी जिंदगी जीते हैं. इस से हासिल क्या होता है?

गुस्से पर रखें काबू

क्या यह बेहतर नहीं कि इंसान अपने गुस्से पर काबू रखना सीखे. ज़राज़रा सी बातों को तूल देने और अपना आपा खोने के बजाय सामने वाले की परेशानी को समझे. बेवजह की बहसबाजी या विवादों में न पड़े. जिंदगी खूबसूरत है, इसे अपने हाथों बरबाद न करे. साथ ही, पैसों के मामले में लेनदेन करने से बचें. न किसी को उधार दें, न किसी से उधार लें क्योंकि पैसे रिश्तों को तोड़ने व जिंदगी तबाह करने का अकसर बड़ा कारण साबित होते हैं.

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