एक एनर्जेटिक और प्रोडक्टिव दिन को पाने के लिए रात को भरपूर और आरामदायक नींद लेना बहुत जरूरी है. कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण खराब नींद है. फिर भी हम इसे हलके में लेते हैं और नींद की गुणवत्ता के साथ सम?ाता करते हैं. कम नींद की वजह से हमें न सिर्फ मानसिक बीमारियां घेर लेती हैं बल्कि इस से दिल और फेफड़े खराब हो सकते हैं. यदि हम 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद नहीं लेते हैं तो यह हमारे फेफड़ों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

अच्छी नींद लेने से सेहत और मन दोनों अच्छे रहते हैं. डाक्टर भी अच्छी सेहत के लिए 8 घंटे की नींद लेने की सलाह देते हैं. जो लोग रोजाना 11 घंटे से ज्यादा सोते हैं या 4 घंटे से कम नींद लेते हैं, उन में गंभीर और लाइलाज फेफड़ों की बीमारी पल्मोनरी फाइब्रोसिस होने का खतरा 2 से 3 गुना ज्यादा होता है.

साइंस पत्रिका ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ की एक रिपोर्ट कहती है कि कम सोने से आरईवी-ईआरबीए नामक जीवाणु फेफड़ों पर असर दिखाने लगते हैं, जिस के कारण फेफड़ों के ऊतकों पर काले धब्बे उभर आते हैं. ऊतक डैमेज हो जाते हैं. यह पल्मोनरी फाइब्रोसिस नामक बीमारी की शुरुआत है.

यह गंभीर बीमारी है जिस में लंग्स मोटे और कठोर हो जाते हैं और व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होने लगती है. फेफड़े के ऊतक क्षतिग्रस्त होने से श्वसन क्रिया पर असर पड़ता है. फेफड़ों के ठीक तरीके से काम न करने से पूरे शरीर और दिमाग को औक्सीजन नहीं मिल पाती, जिस से मल्टीप्ल और्गन फैल्योर का खतरा बढ़ जाता है. फेफड़ों में एक बार खतरनाक इन्फैक्शन हो जाए तो उसे ठीक होने में लंबा टाइम लगता है.

फेफड़ों की कोशिकाओं का अध्ययन बताता है कि जैविक घड़ी के अनुसार सोने से फेफड़ों में होने वाली पल्मोनरी फाइब्रोसिस बीमारी के घाव धीरेधीरे ठीक होने लगते हैं. यूनिवर्सिटी औफ मैनचेस्टर और यूनिवर्सिटी औफ औक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं के अनुसार शरीर की जैविक घड़ी शरीर में मौजूद एकएक कोशिका को संचालित करती है.

यह जैविक घड़ी 24 घंटे के चक्र में कई प्रक्रियाएं, जैसे सोना, हार्मोन का स्राव और चयापचय को संचारित करती है. फेफड़ों में यह घड़ी हवा अंदर ले जाने वाली प्रमुख नली यानी वायुमार्ग में स्थित होती है. असामान्य नींद का पैटर्न शरीर की इस प्राकृतिक जैविक घड़ी के कार्य को बाधित करता है. वर्तमान में, फाइब्रोसिस के इलाज के लिए एफडीए द्वारा अनुमोदित केवल 2 दवाएं हैं और वे केवल प्रक्रिया में देरी करती हैं, वे बीमारी का इलाज नहीं करतीं.

नींद से जुड़ी दूसरी बीमारी है स्लीप ऐप्निया. वे लोग जिन्हें दिन में उनींदापन अधिक रहता है और जो खर्राटे लेते हैं उन्हें इन लक्षणों के बारे में अपने डाक्टर से बात करनी चाहिए. वे निश्चित ही कम नींद लेने की वजह से स्लीप ऐप्निया रोग की गिरफ्त में हैं. उन के साथ हांफने या दम घुटने, रुकरुक कर सांस आने और खर्राटे के साथ घबरा कर नींद खुलने की घटनाएं होती हैं.

स्लीप ऐप्निया कुछ चिकित्सकीय विकारों और असमय मृत्यु के जोखिम को बढ़ाती है. इस बीमारी की पुष्टि, बीमारी की गंभीरता और निदान के लिए डाक्टर पौलीसोम्नोग्राफी करवाते हैं. स्लीप ऐप्निया का इलाज करने के लिए लगातार पौजिटिव एयरवे प्रैशर, डैंटिस्ट द्वारा लगाए गए मुंह के उपकरणों का प्रयोग और कभीकभी सर्जरी भी करनी पड़ती है. स्लीप ऐप्निया एक बहुत आम समस्या है. दुनियाभर में एक बिलियन से अधिक लोग इस से प्रभावित हैं. विभिन्न कारणों और जोखिम कारकों के साथ यों तो स्लीप ऐप्निया कई प्रकार की होती है लेकिन औब्सट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया और सैंट्रल स्लीप ऐप्निया के मरीज अधिक मिलते हैं.

औब्सट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया एक आम स्लीप ऐप्निया है जो नींद के दौरान गले या ऊपरी वायुमार्ग के बारबार बंद होने से पैदा होती है. ऊपरी वायुमार्ग में मुंह और नथुनों से ले कर गले और नीचे स्वरयंत्र तक का रास्ता शामिल होता है और व्यक्ति जब सांस लेता है तो ये संरचनाएं अपनी स्थिति को बदल सकती हैं. इस प्रकार का ऐप्निया 8 से 16 फीसदी वयस्कों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है. औब्सट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया मोटे लोगों में अधिक होता है.

अधिक मोटापा, बढ़ती आयु, नींद की कमी और दूसरे कारकों के चलते ऊपरी वायुमार्ग के संकुचित होने से औब्सट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया होता है. अल्कोहल और सिडेटिव का अत्यधिक उपयोग औब्स्ट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया को और बिगाड़ देता है. संकुचित गला, मोटी गरदन और गोल सिर होना स्लीप ऐप्निया के जोखिम को बढ़ा देता है. थायराइड हार्मोन के कम स्तर (हाइपोथाइरौइडिज्म), गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स रोग या रात में एनजाइना पेन या हार्मोन (एक्रोमेगाली) के अतिरिक्त स्राव औब्सट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया रोग को बढ़ा सकते हैं. कभीकभी आघात के कारण भी औब्स्ट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया हो सकती है. औब्स्ट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया वाले लोगों को अल्कोहल और सिडेटिंग दवाओं से बचना चाहिए.

सैंट्रल स्लीप ऐप्निया

औब्सट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया की तुलना में सैंट्रल स्लीप ऐप्निया बहुत कम होती है. यह दिमाग के ब्रेन स्टेम कहलाने वाले भाग में सांस के नियंत्रण की समस्या के कारण पैदा होती है. सामान्यतया ब्रेन स्टेम खून में कार्बन डाइऔक्साइड के स्तर में बदलावों के प्रति बहुत संवेदनशील होता है. जब कार्बन डाइऔक्साइड का स्तर अधिक होता है तो ब्रेन स्टेम श्वसन तंत्र की मांसपेशियों को गहरी और तेज सांसें लेने का संकेत देता है ताकि कार्बन डाइऔक्साइड को सांस के माध्यम से बाहर निकाला जा सके. लेकिन इस के विपरीत सैंट्रल स्लीप ऐप्निया में, ब्रेन स्टेम कार्बन डाइऔक्साइड के स्तरों में बदलाव के प्रति ठीक प्रकार से प्रतिक्रिया नहीं करता.

इस के परिणामस्वरूप, जिन लोगों को सैंट्रल स्लीप ऐप्निया होती है, नींद के दौरान उन की सांसों में रुकावट आ सकती है या वे सामान्य से कम गहरी और अधिक धीमी सांसें ले सकते हैं. सभी प्रकार के स्लीप ऐप्निया में नींद के व्यवधान के परिणामस्वरूप दिन के समय उनींदापन, थकान, चिड़चिड़ापन, सुबह का सिरदर्द, विचारों का धीमापन और एकाग्रता में कठिनाई हो सकती है.

जो लोग रात में अपनी पूरी 8 घंटे की नींद नहीं लेते, वे दिनभर नींद से भरे रहते हैं. ऐसे में उन्हें तब चोट लगने का जोखिम अधिक होता है जब वे मोटरवाहन या भारी मशीन संचालित कर रहे हों या ऐसी गतिविधियां कर रहे हों जिन के दौरान उनींदापन खतरनाक होता है. उन्हें काम पर कठिनाइयां हो सकती हैं और यौन संबंधी विकार भी हो सकता है. चूंकि श्वसन क्रिया ठीक न होने से खून में औक्सीजन का स्तर काफी हद तक कम हो सकता है, इसलिए आर्टिरियल फाइब्रिलेशन विकसित हो सकता है और ब्लडप्रैशर बढ़ सकता है.

औब्सट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया में स्ट्रोक, दिल के दौरे, आर्टिरियल फाइब्रिलेशन (एक असामान्य, अनियमित हृदय गति) और अधिक ब्लडप्रैशर का जोखिम बढ़ जाता है. यदि अधेड़ आयु के पुरुषों के साथ औब्सट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया के प्रसंग प्रति घंटे लगभग 30 से अधिक बार होते हैं तो उन की असमय मृत्यु होने का जोखिम बढ़ जाता है.

स्लीप ऐप्निया से कैसे बचें

स्लीप ऐप्निया नींद और श्वसन से जुड़ी एक आम बीमारी है. अकसर इस बीमारी का पता नहीं चल पाता. स्लीप ऐप्निया से बचने के लिए ये तरीके अपनाए जा सकते हैं-

  • औब्सट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया से पीडि़त लोगों को सोने से पहले अल्कोहल और सिडेटिंग दवाओं से बचना चाहिए.
  • स्लीप ऐप्निया के जोखिम कारकों में मोटापा, ऊपरी वायुमार्ग में संरचनात्मक असामान्यताएं, स्लीप ऐप्निया का पारिवारिक इतिहास, हाइपोथायरायडिज्म और पौलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम जैसे हार्मोन विकार, धूम्रपान और शराब का दुरुपयोग शामिल हैं. इस के लिए डाक्टर की सलाह पर व्यायाम और दवाओं का सेवन करें.
  • नींद के दौरान लक्षणों पर आमतौर पर सब से पहले साथ सोने वाले व्यक्ति, कमरे या घर के साथी का ध्यान जाता है. सभी प्रकार के स्लीप ऐप्निया में सांस लेना असामान्य रूप से धीमा और उथला हो सकता है, या सांस अचानक रुक सकती है कभीकभी तो एक मिनट तक के लिए, फिर वापस चालू हो जाती है. इन लक्षणों की पहचान कर जल्दी ट्रीटमैंट शुरू करना चाहिए.
  • वजन कम करना, धूम्रपान छोड़ना और अधिक अल्कोहल का उपयोग न करना मदद कर सकता है. नाक के संक्रमणों और एलर्जी का इलाज किया जाना चाहिए. हाइपोथाइरायडिज्म और एक्रोमेगाली का इलाज किया जाना चाहिए.
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