कुछ हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ जिस में वे सिने सितारे सलमान खान के साथ मंच पर डांस करते दिखे. काले सूट पैंट में उन्हें देख कर कोई कह नहीं सकता कि यह प्रधानमंत्री नहीं हैं और ये डीपफेक का मामला है. यानी किसी और के चेहरे पर मोदी का चेहरा लगा कर वीडियो बनाया गया और वायरल किया गया.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक ने अपराधियों के हाथ में ऐसा खतरनाक हथियार थमा दिया है जो आने वाले समय में बहुत घातक साबित होगा. इस का नमूना कल उस वक्त फिर सामने आया जब गाजियाबाद में साइबर ठगों ने भारतीय पुलिस सेवा के एक शीर्ष अधिकारी, जो कुछ दिन पहले ही सेवानिवृत्त हुए हैं, उन का डीपफेक वीडियो बना कर एक 76 साल के बुजुर्ग से ना केवल 74000 रूपए की ठगी कर ली बल्कि उन को इतना ज्यादा ब्लैकमेल किया कि वे आत्महत्या करने की कगार पर पहुंच गए.

ये तो अच्छा हुआ कि कि उन को परेशान देख बेटी ने पूछ लिया और उन्होंने डरतेडरते अपनी बेटी से बताया कि एक पुलिस अधिकारी उन को ब्लैकमेल कर रहा है. अगली बार कौल आने पर उन की बेटी ने न सिर्फ कौल करने वाले वर्दीधारी को बुरी तरह हड़काया बल्कि उस के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई. जब पुलिस ने रिकौर्ड किए गए वीडियो की जांच की तो पता चला कि मामला डीपफेक का है और आईपीएस प्रेम प्रकाश का चेहरा लगा कर अपराधी ने बुजुर्ग को ना सिर्फ ब्लैकमेल किया बल्कि उन की मानसिक हालत भी ऐसी कर दी कि वे डर के मारे आत्महत्या की बात सोचने लगे.

दरअसल 76 वर्षीय बुजुर्ग ने एक महीना पहले एक स्मार्टफोन खरीदा था और उस पर अपनी फेसबुक प्रोफाइल बनाई थी. आजकल घर में खाली बैठे अधिकांश बुजुर्ग फेसबुक पर ही समय व्यतीत करते हैं. 20 अक्तूबर को उन के पास एक वीडियो कौल आई जिस का उन्होंने जवाब दिया था. वीडियो कौल करने वाली महिला नग्नावस्था में थी.

इस कौल को अटेंड करने के बाद बुजुर्ग के सामने मुश्किल खड़ी हो गई. उस नग्न महिला के साथ बुजुर्ग की कई तस्वीरें उन को भेजी गईं. इन तस्वीरों के आने से बुजुर्ग दहशत में आ गए क्योंकि वो तो उस महिला को जानते तक नहीं थे फिर उस के साथ उन की अश्लील मुद्रा वाली फोटो कैसे आई ये उनकी समझ से परे था.

उन को धमकी दी गई कि ये तस्वीरें फेसबुक पर वायरल कर दी जाएंगी. फिर एक दिन पुलिस की वर्दी में आईपीएस प्रेम प्रकाश का वीडियो कौल उन को आया. उस ने कहा कि वह दिल्ली के द्वारका पुलिस स्टेशन में तैनात अधिकारी है. उस ने बुजुर्ग से कहा कि उन्हें एक महिला द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले में अभियुक्त बनाया गया है. अगर इस से बचना है तो 24 हजार रुपए तुरंत जमा करा दे.

बुजुर्ग ने बताए गए बैंक अकाउंट में रुपया जमा करा दिया. कुछ दिन बाद उन से 50 हजार रुपए प्रेम प्रकाश ने और मांगे. बुजुर्ग ने किसी तरह वो भी जमा कराए. पैसे की मांग बढ़ने लगी तो लोकलाज के डर और धन का इंतजाम न कर पाने की वजह से उन्होंने आत्महत्या का मन बना लिया.

उन की बेटी ने जब अपने पिता को परेशान देखा तो उस ने वजह जानने की कोशिश की. बुजुर्ग ने डरतेडरते पूरा किस्सा बयान किया. जब अगली बार धन की मांग को ले कर फोन आया तो बेटी ने न सिर्फ फोन रिकौर्ड किया बल्कि उस को जोरदार डांट भी पिलाई.

फोन पर नजर आने वाले चेहरे को जब उस ने इंटरनेट पर डाला तो पता चला कि फोटो सीनियर आईपीएस और उत्तर प्रदेश पुलिस से एडीजी पोस्ट से रिटायर हुए अधिकारी प्रेम प्रकाश की है. पुलिस ने उन से पूछताछ की तो वे हक्काबक्का रह गए क्योंकि उन्होंने ऐसा कोई फ़ोन नहीं किया था. जांच आगे बढ़ी तो पूरा मामला डीपफेक का निकला, जिस में प्रेम प्रकाश का चेहरा इस्तेमाल कर बुजुर्ग को ब्लैकमेल किया गया था. मामले की जांच जारी है. फिलहाल अपराधी पुलिस की पकड़ से दूर हैं.

भारत में बढ़ता साइबर क्राइम

भारत में साइबर अपराधों में तेजी से वृद्धि हो रही है. देश में यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) की शुरुआत के बाद साइबर क्राइम ने जो गति पकड़ी है, उस को कंट्रोल करने में पुलिस और साइबर सेल पस्त हुए जा रहे हैं. यूपीआई को शुरू करने में भारत अन्य देशों के मुकाबले अग्रणीय रहा है. 140 करोड़ की हमारी आबादी में आज 80 करोड़ लोग मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल कर रहे हैं और अधिकांश लोग वित्तीय लेनदेन के लिए यूपीआई का इस्तेमाल करते हैं.

सब्जी वाले, रेहड़ी-पटरी वाले, देहाड़ी मजदूर, प्लम्बर, कारपेंटर जैसे निम्न आय वाले लोग भी पेटीएम जैसे प्लेटफार्म के माध्यम से यूपीआई द्वारा छोटीछोटी राशियों का लेनदेन कर रहे हैं. यानी अब ये निम्न तबका भी बहुत अधिक नगदी अपने पास नहीं रखता है, उस की सारी कमाई सीधे उसके बैंक में जाती है. इस से उस को सुविधा तो हुई है लेकिन साइबर अपराध और धोखाधड़ी का वह शिकार बन रहा है. ये तबका कम पढ़ालिखा होने के कारण उन साइबर अपराधियों की चालाक बातों में आसानी से फंस जाता है जो खुद को बैंक एम्प्लोय बता कर उस से उसके बैंक डिटेल्स प्राप्त कर लेते हैं या कैशबैक, लौटरी जैसा कोई लालच दे कर उस को ठग लेते हैं अथवा अश्लील विडियो भेज कर ब्लैकमेल करते हैं.

घातक है तकनीक

आजकल इंटरनेट पर फर्जी हेल्पलाइन नंबर डाल कर भी ऐसे फ्रौड हो रहे हैं. एक नया तरीका और देखने में आ रहा है. कोई आप के खाते में, या मोबाइल रिचार्ज में कुछ पैसा डाल कर आप को फोन कर के कहेगा कि ऐसा उससे गलती से हो गया. अब जब आप उस का पैसा औनलाइन वापस लौटाएंगे तो कुछ ही देर में आप को अपना पूरा अकाउंट खाली मिलेगा. क्योंकि पैसा वापस भेजने के क्रम में आप अनजाने में अपने बैंक डिटेल का खुलासा कर देते हैं.

जो अपराधी साइबर क्राइम सेल द्वारा पकड़े गए हैं उन से ये बात भी सामने आई है कि ऐसी धोखाधड़ी शिक्षित या तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा ही नहीं, बल्कि कम पढ़ेलिखे लोगों द्वारा भी खूब हो रही है. हाल ही में दिल्ली पुलिस ने ग्रामीण युवाओं के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया, जो फरीदाबाद और गाजियाबाद के पास जंगलों के पास बसे स्लम एरिया में रहते हुए ऐसी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे. सरकार ऐसे साइबर धोखेबाजों के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रही है लेकिन फिर भी अपराध तेजी से बढ़ रहा है. अपराधी पुलिस से चार कदम आगे ही हैं.

बचें ऐसे

साइबर अपराध काबू में इसलिए भी नहीं आ रहे हैं क्योंकि इन को पकड़ने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण पुलिस को प्राप्त नहीं है. वहीं देश में मात्र 312 साइबर पुलिस स्टेशन और कानून का एक समूह है. मौजूदा नियामक ढांचा डिजिटल वित्तीय गड़बड़ियां पैदा करने वाले इस तंत्र के खतरों को भांपने में असमर्थ हैं. इसलिए साइबर अपराधों से निपटने के लिए विशेष एजेंसी स्थापित करने की तत्काल आवश्यकता है.

इस के अलावा बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के बीच जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है. अनजान फोन कौल ना उठाएं, अनजान लोगों द्वारा किए गए वीडियो कौल न लें, कोई फोन पर धमकी दे तो तुरंत पुलिस को सूचित करें. किसी का फोन बारबार आए तो उस को ब्लौक कर दें.

इसी के साथ साइबर अपराध कानून को मजबूत करने और सख्त सजा का प्रावधान होना बहुत जरुरी है. शीघ्र न्याय प्रदान करने के लिए विशेष अदालतें खुलनी चाहिए, वरना जीवन भर की मेहनत से कमाई पूंजी जिस पर लोगों का पूरा बुढ़ापा टिका होता है, वह एक क्षण में जो लोग ले उड़ते हैं अगर उन को समय रहते कड़ा सबक नहीं सिखाया गया तो क्राइम रेट बढ़ता ही चला जाएगा.

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