रविवार का दिन था. शकुंतला और कमलेश डाइनिंग टेबल पर बैठ कर नाश्ता कर रहे थे.

“शकुंतला, क्यों न हम शादी कर लें?” कमलेश ने कहा.

चौंक गई शकुंतला. आज 20 सालों से वह कमलेश के साथ लिव इन रिलेशन में रह रही है. आज तक शादी की बात उस ने सोची नहीं फिर आज ऐसा क्या हो गया? पहली बार कमलेश से जब वह मिली थी तो 32 साल की थी. कमलेश उस समय 40 का रहा होगा. परिस्थितियां कुछ ऐसी थीं कि दोनों अकेले थे.

“क्यों, ऐसा क्या हुआ कि तुम शादी की सोचने लगे? पिछले 20 सालों से हम बगैर शादी किए रह रहे हैं और बहुत ही इत्मीनान से रह रहे हैं. कभी कोई समस्या नहीं आई. अगर आई भी तो हम ने मिलजुल कर उस का समाधान कर लिया. फिर आज ऐसी क्या बात हो गई?” कुछ देर सोचने के बाद शकुंतला ने कहा.

“ऐसा है, शकुंतला कि हमारी उम्र हो चुकी है. मैं 60 का हो गया और तुम 52 की. यह बात सही है कि हम बिना शादी किए भी बहुत मजे में बड़ी समझदारी और तालमेल के साथ जिंदगी जी रहे हैं. पर मैं कानूनी दृष्टिकोण से सोच रहा हूं. अगर हम दोनों में से किसी को कुछ हो गया तो हमें कानूनन पतिपत्नी होने पर विधिक दृष्टि से लाभ होगा. बस, यही सोच कर मैं ऐसा कह रहा हूं. मुझ पर किसी प्रकार का शक न करो,” कमलेश ने कहा.

“शक नहीं कर रही, कमलेश. तुम मेरे हमसफर रहे हो पिछले 20 सालों से और मैं गर्व के साथ कह सकती हूं कि तुम से ज्यादा प्यारा कोई नहीं मेरी जिंदगी में. बस, मैं यही सोच रही हूं कि जब सबकुछ सही चल रहा है तो क्यों न हम कुछ नया करने की सोचें. हम दोनों ने जो बीमा पौलिसी ली है उस में एकदूसरे को नौमिनी बनाया है. हमारे बैंक खातों में भी हम एकदूसरे के नौमिनी हैं. फिर और क्या आवश्यकता है ऐसा सोचने की. पर तुम ने कुछ सोच कर ही ऐसा कहा होगा.

“ऐसा करते हैं, 1-2 दिनों के बाद इस पर विचार करते हैं. पहले मुझे इस नए प्रस्ताव के बारे में सोच लेने दो,” शकुंतला ने कहा.

“बिलकुल, आराम से सोच लो. जो भी होगा तुम्हारी सहमति से ही होगा,“ कमलेश ने मुसकरा कर कहा.

फुरसत में बैठने पर शकुंतला सोचने लगी थी कि जब पहली बार वह कमलेश से मिली थी. दोनों अलगअलग कंपनियों में काम करते थे. कमलेश जिस कंपनी में काम करता था उस कंपनी से शकुंतला की कंपनी का व्यावसायिक संबंध था. इस नाते दोनों की अकसर मुलाकातें होती रहती थीं. पहले परिचय हुआ फिर दोस्ती. शकुंतला की शादी बचपन में ही हो गई थी और पति से मिलने से पहले ही वह विधवा भी हो गई थी.

उन दिनों विधवा विवाह को सही निगाहों से नहीं देखा जाता था और यही कारण था कि उस का विवाह नहीं हो पाया था. आज भी विधवा विवाह कम ही होते हैं. कमलेश को न जाने क्यों विवाह संस्था में विश्वास नहीं था और शुरुआती दौर में उस ने शादी के लिए मना कर दिया था. बाद में जब 35 से ऊपर का हो गया था तो रिश्ते आने भी बंद हो गए. थकहार कर घर वालों ने भी दबाव देना बंद कर दिया था और कमलेश अकेला रह गया.

दोनों की जिंदगी में कोई नहीं था. दोनों के विचार इतने मिलते थे और दोनों एकदूसरे के लिए इतना खयाल रखते थे कि दिल ही दिल में कब एकदूसरे के हो गए पता ही नहीं चला. शकुंतला जिस किराए के फ्लैट में रहती थी उस का मालिक उसे बेचने वाला था और खरीदने वाले को खुद फ्लैट में रहना था. इसलिए शकुंतला को कहीं और फ्लैट की आवश्यकता थी. जब उस ने कमलेश को इस बारे में बताया तो उस ने कहा कि उस के पास 2 कमरों का फ्लैट है. वह चाहे तो एक कमरे में रह सकती है. हौल और किचन साझा प्रयोग किया जाएगा. थोड़ी झिझकी थी शकुंतला. अकेले परपुरुष के साथ रहना क्या ठीक रहेगा. पर कमलेश ने आश्वस्त किया कि वह पूरी सुरक्षा और अधिकार के साथ उस के साथ रह सकती है, तो वह मान गई थी.

एकदूसरे को दोनों पसंद तो करते ही थे, साथसाथ रहने से और भी नजदीकियां बढ़ गईं और शादीशुदा न होने के बावजूद पतिपत्नी की तरह ही दोनों रहने लगे. आसपास के लोग उन्हें पतिपत्नी के रूप में ही जानते थे. इस लिव इन रिलेशन से दोनों खुश थे. दोनों एकदूसरे से प्यार करते थे. कभी किसी प्रकार की समस्या नहीं आई थी अभी तक.

और इतने सालों के बाद कमलेश ने शादी का प्रस्ताव रख दिया था. शकुंतला के मन में कई बातें उभरने लगीं. क्या इस से मेरा व्यक्तिगत जीवन प्रभावित नहीं होगा? क्या शादी करने के बाद हमारे संबंध वैसे ही रह पाएंगे जैसे अभी हैं? क्या शादी के लिए स्पष्ट रूप से नियम और शर्तें निर्धारित कर लिए जाएं? शकुंतला का एक मन तो कह रहा था कि जिस प्रकार वे रह रहे हैं उसी प्रकार रहें. आखिर जब सबकुछ सही चल रहा है तो नए प्रयोग क्यों किए जाएं भला? पर दूसरा मन कह रहा था कि कमलेश के साथ वह इतने सालों से है और वह हमेशा दोनों के हित की बात ही करता था. कभी उस ने सिर्फ अपने स्वार्थ की बात नहीं की. इतने दिनों से वह उसी के फ्लैट में रह रही है. उस का व्यवहार हमेशा एक हितैषी सा रहा है. उस ने जो कहा है वह भी सही हो सकता है. उस से विस्तार से बात करने की आवश्यकता है. आखिर हम 20 सालों से रह रहे हैं और एकदूसरे के साथ खुशीखुशी रह रहे हैं. हम एकदूसरे के साथ खुल कर अपनी बात साझा भी कर सकते हैं.

इसी प्रकार 6-7 दिन बीत गए. इस बारे में न तो कमलेश ने कुछ कहा न शकुंतला ने. कमलेश के दिल की बात तो शकुंतला नहीं जानती थी पर वह हमेशा इस बात पर विचार करती थी. हो सकता है कि कमलेश भी इस बात पर विचार करता होगा पर उस ने दोबारा कभी इस विषय को नहीं उठाया. शायद वह शकुंतला पर किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाना चाहता था.

आज फिर दोनों की कंपनी में अवकाश का दिन था. आज शकुंतला ने फिर डाइनिंग टेबल पर उस विषय को उठाया,”कमलेश, मैं ने तुम्हारे प्रस्ताव पर विचार किया पर मुझे लगता है, हम जैसे हैं वैसे ही रहें. शादी का सर्टिफिकेट एक कागज का टुकड़ा ही तो होगा. बगैर सर्टिफिकेट के हम आदर्श जोड़े की तरह रह रहे हैं. मेरे विचार से शादी करने की कोई आवश्यकता नहीं है.”

“मैं हमारी स्थाई संपत्ति के बारे में सोच रहा था. मान लो मेरी मृत्यु हो जाए तो मेरे नजदीक दूर के रिश्तेदार इस फ्लैट पर दावा करेंगे. ऐसे में तुम्हें परेशानी होगी. इसी तरह की बातों को ध्यान में रख कर मैं अपने संबंध को एक कानूनी जामा पहनाना चाह रहा था,” कमलेश बोला.

“कमलेश, तुम मेरा कितना खयाल रखते हो. पर यह काम तो हम वसीयत बना कर भी कर सकते हैं. हम दोनों एकदूसरे के नाम वसीयत बना दें तो कोई तीसरा इस प्रकार का दावा नहीं कर पाएगा. हम क्यों शादी का अनावश्यक रश्म निभाएं…”

“देखो शकुंतला, शादी से कई कानूनी और सामाजिक हक मिल जाते हैं पतिपत्नी को. उदाहरण के लिए पत्नी पति की संपत्ति में बराबर हिस्सा पाने की हकदार होती है. साथ ही पति के पैतृक संपत्ति पर भी पत्नी का अधिकार होता है और कोई भी पत्नी से इस अधिकार को छीन नहीं पाएगा. तुम जानती हो कि मेरी पैतृक संपत्ति काफी मूल्यवान है. कुदरत न करे यदि किसी कारण से हम अलगअलग रहने की योजना बना लें तो शादीशुदा होने की स्थिति में पत्नी को गुजाराभत्ता लेने का अधिकार होता है. फिर संयुक्त संपत्ति में भी पत्नी का अधिकार होता है. यह अधिकार लिव इन रिलेशन में उपलब्ध नहीं है.”

“मैं तुम्हारी सभी बातों से सहमत हूं, पर मुझे इस उम्र में जितनी संपत्ति की आवश्यकता है उतनी है मेरे पास. और मुझे नहीं लगता इतने सालों के बाद हम अलग होंगे. इसलिए मेरी सलाह तो यही है कि अब शादी करने की कोई आवश्यकता नहीं है. हां, हम यह वादा करें एकदूसरे से कि जैसे अभी तक साथसाथ रहते आए हैं वैसे ही साथसाथ रहते रहें,” शकुंतला ने कहा.

“चलो, यह भी सही है,” कमलेश ने अपनी सहमति दी.

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