अक्षय कुमार को उस की खिलाड़ी फिल्मों की वजह से जाना जाता है. उस ने 1992 में ‘खिलाड़ी’ सीरीज की पहली फिल्म की, जो सस्पैंस थ्रिलर फिल्म थी. उस फिल्म में अक्षय ने खुद को खिलाड़ी हीरो के नाम से स्थापित कर लिया.

कई सफल फिल्मों के बाद जब उस की फिल्मों का ग्राफ नीचे गिरने लगा तो उस ने रोहित शेट्टी के साथ ‘सूर्यवंशी’ फिल्म की. उस के बाद भी उस की कई सारी फिल्में फ्लौप होने लगीं जिन में ‘सैल्फी’ प्रमुख है.

अक्षय कुमार अब बूढ़ा होने लगा है. अपने बुढ़ापे को देखते हुए उस ने भगवा गैंग का दामन थाम लिया और ऐसे किरदार करने शुरू कर दिए जो सरकार और मोदी को सुहाते हैं. उस के किरदारों में किसी खूंखार आतंकवादी को विदेश से पकड़ लेने का रोल था तो कहीं उस ने टौयलेट स्कीम को आगे बढ़ाया.

वह हर किरदार ऐसा करने लगा है जिस से प्रधानमंत्री मोदी की कृपादृष्टि उस पर बनी रहे. कभी वह लोगों को बचाने का किरदार निभाता तो कभी ऐसे किरदार करता जिस से उसे दर्शकों की तालियां मिलें, वह प्रधानमंत्री का चहेता बन पाए.

हाल ही में उस की नई फिल्म ‘मिशन रानीगंज’ आई है. यह फिल्म विकट परिस्थितियों में विपदा को टालने के लिए एकजुट हुए लोगों की कहानी कहती है. यह फिल्म जीने का हौसला रखने और सामने खड़ी हार को जीत में बदल देने के लिए दर्शकों के साथसाथ भगवा गैंग में लोगों को भी अपने साथ जोड़े रखने का अच्छा प्रयास है.

अक्षय कुमार ने हाल ही में आई ‘ओएमजी-2’ में शिव का किरदार निभाया. यह किरदार एकदम फ्लौप गया. इस फिल्म के साथसाथ हाल ही में आई अक्षय कुमार की आधा दर्जन फिल्में फ्लौप हो चुकी हैं. इन दिनों वह सोलो फिल्में करने से बच रहा है.

फिल्म की कहानी पश्चिम बंगाल के जांबाज माइनिंग इंजीनियर जसवंत गिल की है, जिस ने 1989 में अपनी जान की बाजी लगा कर कोयले की खदान में फंसे माइनिंग मजूदरों की जानें बचाई थीं.

कहानी की शुरुआत होती है नवंबर 1989 से जब सुबहसुबह पश्चिम बंगाल के रानीगंज की महावीर कोयला खदान में 65 मजदूरों के फंसने की खबर आती है. अपने नियमित कामकाज के तहत लगभग 250 मजदूर खदान में गए थे. खदान में होने वाले विस्फोट के कारण वहां बाढ़ आ जाती है. 179 मजदूर किसी तरह अपनी जान बचा कर खदान से निकलने में कामयाब हो जाते हैं. जबकि, 65 मजदूर वहीं धंसे रह जाते हैं. खदान में तेजी से भरते पानी के कारण 6 मजदूर अपनी जानें गवां बैठते हैं. पूरे इलाके में मजदूरों के परिवारों में हाहाकार मच जाता है.

अब कहानी में माइनिंग इंजीनियर जसवंत गिल (अक्षय कुमार) की एंट्री होती है. जसवंत गिल की शादी परिणीति चोपड़ा से हो चुकी है. वह पिता बनने वाला है. यहां जसवंत गिल अपने धर्म को निभाने आया है. खदान में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने की सारी तरकीबें नाकामयाब होती नजर आती हैं. तब जसवंत सिंह अफसरों को एक तरकीब बताता है जो मजदूरों के लिए पहली बार इस्तेमाल की जाती है.

वह जमीन में गहरा गड्ढा खोद कर विशेष रूप से तैयार किए कैप्सूल के जरिए रेस्क्यू प्लान बनाता है. 3 दिनों तक चलने वाले इस मिशन में उसे लोकल पौलिटिक्स का शिकार होना पड़ता है. उस के इस रेस्क्यू को नाकाम करने की कोशिश की जाती है. खदान में पानी का स्तर बढ़ने लगता है. मगर गिल अपनी जान को जोखिम में डाल कर इस मिशन को अंजाम देता है.

यह देश के सब से मुश्किल रेस्क्यू को अंजाम देने वाला और सच्चा नायक साबित होता है. मजदूरों की जान बचाने के एवज में 1991 में जसवंत गिल को उस की बहादुरी के लिए राष्ट्रपति की ओर से सर्वोत्तम जीवन रक्षा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. आज भी हर साल 16 नवंबर के दिन को रेस्क्यू डे उत्साह के रूप में मनाया जाता है.

फिल्म शुरुआत से कोयला खदानों का हलका सा परिचय देने के बाद प्रमुख पात्रों से मिलवाती है. कुछ ही मिनटों में यह हादसा होता है जब खदान में पानी भरने लगता है और यहां से शुरू हो कर फिल्म कहीं थमती नहीं है. निर्देशक टीनू सुरेश देसाई लंबे समय बाद यह फिल्म ले कर आया है. हालांकि फिल्म काफी हलके किस्म की है, फिर भी यह दर्शकों के दिमाग पर छा जाती है.

अक्षय कुमार इस बार जसवंत गिल की भूमिका में है. परिणीति चोपड़ा के हिस्से में कुछ ही सीन आए हैं. सच्ची घटना पर आधारित इस फिल्म की कहानी बनावटी लगती है. निर्माता वासु भगनानी के बिट्रेन में बने स्टूडियो में यह फिल्म शूट की गई है. फिल्म के किसी असली कोयला खदान में शूट न किए जाने के चलते इस का असर हलका पड़ा है.

फिल्म के संवाद कमजोर हैं. कुमार विश्वास के लिखे और गाए गाने के अलावा इस का कोई गाना असरदार नहीं है. परिणीति चोपड़ा के हिस्से 2 गाने और 4-5 दृश्य ही आए हैं. फिल्म की लंबाई ज्यादा है और मनोरंजन की कमी इस में खटकती है. पहले हिस्से में थ्रिल है. इंटरवल के बाद कहानी मानवीय संवेदनाओं के ईदगिर्द घूमने लगती है.

बाढ़ वाले दृश्यों में वीएफएक्स हालत की भयावहता को दर्शाने में कम असर डाल पाता है. कोयले की खदान का सैट भी प्रभावशाली नहीं है. अक्षय कुमार सरदार के गेटअप में है.

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