दुनिया का सब से बड़ा राजनीतिक दल होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने राजनीति में ईमान को ताक पर रख दिया है. चाहे आर्थिक क्षेत्र हो, राजनीतिक हो, सामाजिक हो या फिर वैश्विक हर जगह वह सब काम किया है जो देश हित में नहीं है कतई नहीं करना चाहिए.

इस का वर्तमान में कम ज्यादा असर होता दिखाई दे रहा है. आगे दूरगामी रूप से यह देश के लिए घातक सिद्ध भी होगा. दरअसल,  भारतीय जनता पार्टी की दशा और दिशा पर आज शोध करने की आवश्यकता है ताकि आने वाले समय में भाजपा की नीतियों के कारण देश को जो चहुंमुखी क्षति हो रही है उस का आकलन किया जा सके. भारतीय जनता पार्टी में देश के प्रति समर्पण, निष्ठा और ईमानदारी की कमी, देश की आम जनता को एक राजनीतिक दल होने के नाते सत्ता में होने के कारण हम किस तरह आर्थिक रूप से मजबूत बनाएं यह भावना नहीं दिखाई देती.

इस की जगह पर भारत माता की जय वंदे मातरम, मंदिर बनाएंगे जैसे मसलों को ले कर के जनता को बरगलाने का काम, भ्रमित करने का काम किया गया. इसी के तहत भाजपा के बड़े नेता नरेंद्र दामोदरदास मोदी और अमित शाह द्वारा मुकेश अंबानी और गौतम अडानी दोनों को जो संरक्षण दिया गया. इस के कारण यह दोनों मालामाल हो गए. जिस तरह भाजपा दुनिया के सब से बड़ी राजनीतिक पार्टी का ढोल बजा रही है इस तरह गौतम अडानी को भी दुनिया का सब से बड़ा अमीर आदमी बनने के लिए केंद्र सरकार खुलकर समर्थन कर रही है. यह आज देश का बच्चाबच्चा जानता है.

यही कारण है जब गौतम अदानी समूह की पोल खुली तो वह लुढ़क कर नीचे आ गया. नरेंद्र मोदी सरकार ने जिस तरह गौतम अडानी को समर्थन दिया है वह सीमाओं का अतिक्रमण करता है और देश के लिए चिंता का सबब होना चाहिए.

देश में कांग्रेस और अन्य राजनीतिक पार्टियों ने भी सरकार चलाई है मगर कभी भी किसी उद्योगपति को आंख बंद करके समर्थन नहीं किया गया. यही कारण है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अदानी समूह पर कोयले के आयात में ज्यादा कीमत दिखा कर 12 हजार करोड़ रुपए की अनियमितता का आरोप लगाया है और कहा, “2024 में उनकी पार्टी को केंद्र सरकार बनाने का मौका मिला तो इस कारोबारी समूह से जुड़े मामले की जांच कराई जाएगी.”

दुनिया की निगाहों में अदाणी                        

राहुल गांधी ने ब्रिटिश समाचारपत्र ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ की एक खबर का हवाला देते हुए कहा. “वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस संदर्भ में ‘मदद करना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री अदानी समूह के मामले की जांच कराएं और अपनी विश्वसनीयता बचाएं.”

अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष होने के नाते राहुल गांधी ने खुल कर अपना और पार्टी का पक्ष देश के सामने रख दिया है और नरेंद्र मोदी पर तल्ख टिप्पणी की है. नरेंद्र मोदी और देश उसे चौराहे पर खड़ा है जहां से गौतम अडानी पर सरकार को जांच कर के दूध का दूध और पानी का पानी करना चाहिए. मगर आजकल भारत सरकार जिस तरीके से कम कर रही है वह निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता क्योंकि जहां सरकार और उन के चेहरों के पक्ष की बात होती है वहां फैसला बदल जाते हैं यह स्थिति देश के लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं कही जा सकती और दुनिया के जीनियस इसे ले कर के चिंतित हैं.

राहुल गांधी ने उद्योगपति गौतम अदानी से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार की मुलाकातों को ले कर सफाई दी और कह, “शरद पवार देश के प्रधानमंत्री नहीं हैं और अदानी का बचाव भी नहीं कर रहे हैं, इसलिए वह राकांपा नेता से सवाल नहीं करते.”

दरअसल,राहुल गांधी ने ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ की जिस खबर का हवाला दिया उस में कहा गया है नरेंद्र दामोदरदास मोदी के प्रधानमंत्री समय काल में 2019 और 2021 के बीच अदानी के 31 लाख टन मात्रा वाले 30 कोयला शिपमेंट का अध्ययन किया गया, जिस में कोयला व्यापार जैसे कम मुनाफे वाले व्यवसाय में भी 52 फीसद लाभ समूह को मिला है.”

कुल मिला कर के सच यह है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अदानी समूह पर कोयले के आयात में ज्यादा कीमत दिखाकर 12 हजार करोड़ की अनियमितता का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, “यह चोरी का मामला है और यह चोरी जनता की जेब से की गई है. यह राशि करीब 12,000 करोड़ रुपए हो सकती है. पहले हम ने 20 हजार करोड़ रुपए की बात की थी और सवाल पूछा था कि ये पैसा किस का है, कहां से आया? अब पता चला है कि 20 हजार करोड़ रुपए का आंकड़ा गलत था, उस में 12 हजार करोड़ रुपए और जुड़ गए हैं. अब कुल आंकड़ा 32 हजार करोड़ रूपए का हो गया है.

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