आज के समय में दुनिया में अगर संघर्ष का कोई एक नाम हो सकता है तो वह है ईरान की लेखिका व पत्रकार नरगिस मोहम्मदी. समाज में महिलाओं के साथ जो अत्याचार हो रहे हैं वे अगर भारतीय संदर्भ में देखें तो आम आदमी का दिल कांप जाता है. ईरान जैसे कट्टरपंथी देश में नरगिस मोहम्मदी ने जो साहस का काम किया है उसे आप निश्चित रूप से स्वीकार करते हुए सलाम करेंगे. शायद यही वजह है कि आज दुनिया उन्हें सलाम कर रही है.

नरगिस जेल में हैं मगर उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा प्रतिष्ठित सम्मान ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ दिया गया है. इस से यह साबित होता है कि आप मानवता की खातिर निकल पड़िए, अपना काम करिए, अपनी भूमिका को निभाइए, दुनिया की आंखें आप को देख रही हैं.

यह आज भारतीय संदर्भ में और भी ज्यादा प्रासंगिक है. 2014 के बाद भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की सरकार जिस तरह जोरोजुल्म की इंतहा कर रही हैं उसे भुलाया नहीं जा सकता. किसानों का आंदोलन सारी दुनिया ने देखा,  आज मणिपुर में जिस तरह महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है वह भी किसी से छिपा नहीं है.

ऐसे में नरगिस मोहम्मदी का संघर्ष सलामी के योग्य है और वह दुनियाभर में प्रेरणा का स्रोत बन गया है. दरअसल, कट्टरपंथी देश ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न की लड़ाई लड़ने वाली लेखक, पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी महिलाओं के हक की लड़ाई के लिए लगातार 30 से अधिक सालों से संघर्ष कर रही हैं.

फिजिक्स की पढ़ाई करने वाली नरगिस ने शुरुआती दौर में बतौर इंजीनियर कैरियर बनाया था. इस के बाद उन्होंने अपने आसपास अत्याचार, जुल्म को देख कर अखबारों और पत्रिकाओं के माध्यम से अपनी पीड़ा को लिखना शुरू किया. उन्होंने सभी मसलों पर सरकार से सवाल करने शुरू किए. उन की लेखनी से भयभीत सत्ता ने पहली बार नरगिस को 2011 में गिरफ्तार किया. लेकिन नरगिस न तो रुकीं और न ही उन्होंने लिखना छोड़ा.

नरगिस मोहम्मदी अब तलक 13 दफा गिरफ्तार कर जेल भेजी जा चुकी हैं. उन्हें आखिरी बार 31 साल की जेल हुई है और 154 कोड़ों की सजा सुनाई गई. मगर एक महिला होने के बावजूद नरगिस ने ईरान सरकार से माफी नहीं मांगी. ईरान में उन्हें सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया है.

ईरान की महिलाओं के माध्यम से उन्होंने एक तरह से दुनियाभर की महिलाओं के लिए आवाज उठाई.महिलाओं की आजादी और मानवीय हक के लिए आवाज उठाने वाली नरगिस मोहम्मदी ने एक किताब लिखी है.

‘वाइट टौर्चर’ जेल में रहते हुए उन्होंने कैदियों का जो दर्द देखा उसे पुस्तक में लिखा है. महिलाओं की आवाज उठाने के लिए उन्हें 2022 में ‘रिपोर्ट्स विदाउट बौर्डर्स’ के साहस पुरस्कार से भी नवाजा गया था.

नरगिस ईरान में महिलाओं के अधिकारों की आवाज बुलंद करने के साथ देश में मौत की सजा को खत्म करने और कैदियों के अधिकारों की वकालत करती रही हैं. मानवाधिकारों से जुड़ी सकारात्मक सोच के कारण नरगिस ईरान सरकार की आंखों में चुभ रही हैं. और जैसे कि होता है, जब ईरान की सरकार उन की कलम को रोक पाने में असफल रही तो उन पर कई गंभीर आरोप लगा दिए.

ईरान की कट्टरपंथी सरकार ने उन पर कैदियों के परिवारों की मदद करने का आरोप लगाया. इस के लिए 2011 में पहली बार गिरफ्तार किया गया. 2 साल की जेल के बाद उन्हें जमानत मिली और 2015 में फिर जेल भेजा गया. नरगिस ने एक साक्षात्कार में बताया, “मैं 8 साल से अपने बच्चों से नहीं मिली हूं. मैं अपना संघर्ष मरते दम तक जारी रखूंगी.””

एक वर्ष पहले सितंबर 2022 में ईरान में पुलिस हिरासत में एक कुर्दिश महिला महसा जिना अमीनी की मौत हुई थी. इस के बाद पूरे ईरान में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था. प्रदर्शनकारियों ने महिलाओं को आजादी देने की मांग की. उक्त प्रदर्शन में ईरान के लाखों लोगों ने शिरकत की थी. नरगिस मोहम्मदी ने उस प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया था. इस के बाद ईरानी पुलिस ने उन पर सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया और जेल में डाल दिया. अब जब नरगिस को नोबेल का शांति पुरस्कार मिला है, दुनिया की आवाम ईरान की सरकार से कह रही है कि एक महिला हो कर नरगिस मोहम्मदी ने बहुत ही दुख और ज्यादतियां सही हैं लेकिन अब उन्हें रिहा कर दो, वे तो शांति की दूत हैं.

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