अभिनेता पंकज त्रिपाठी अभिनय जगत का ऐसा नाम है जिस ने फिल्म इंडस्ट्री में आज अपनी खास जगह बना ली है. हालिया रिलीज फिल्म ‘ओह माय गौड 2’ में प्रसिद्ध ऐक्टर अक्षय कुमार के होने के बावजूद पूरी फिल्म पंकज त्रिपाठी पर बेस्ड है.

ओएमजी का विषय बहुत ही ज्यादा नाजुक विषय है जिस के तहत, सैक्स एजुकेशन आज के समाज के लिए बहुत जरूरी है, को एक दिलचस्प तरीके से मनोरंजन के साथ प्रस्तुत किया गया है. फिल्म की कहानी के अनुसार आज के हालात को देखते हुए बच्चों से ले कर अज्ञानी तक को सैक्स एजुकेशन दिया जाना बहुत जरूरी है. ऐसा फिल्म में दर्शाया गया है.

‘गैंग्स औफ वासेपुर’ से ले कर ‘स्त्री’, ‘सिंघम रिटर्न्स’, ‘बच्चन पांडे’, ‘न्यूटन’, ‘बरेली की बर्फी’, ‘फुकरे’, ‘गुंजन सक्सैना’, ‘दबंग 2’, ‘मिमी’, ‘रावण’ आदि फिल्मों में अपने सशक्त अभिनय की छाप छोड़ने वाले पंकज त्रिपाठी से हाल ही में हुई दिलचस्प बातचीत के खास अंश प्रस्तुत हैं.

पंकज त्रिपाठी की हालिया रिलीज फिल्म ‘ओ माय गौड 2’ को दर्शकों  द्वारा सराहा जा रहा है. साथ ही, इस फिल्म में उन के अभिनय की भी बहुत तारीफ हुई है. इस फिल्म का मुख्य आधार सैक्स एजुकेशन है. जब उन से पूछा गया कि उन के हिसाब से आज के समाज में सैक्स एजुकेशन बच्चों से ले कर बड़ों तक क्यों जरूरी है तो वे कहते हैं, ‘‘आज के हालात को देखते हुए बच्चों से ले कर बड़ों तक सभी के लिए सैक्स का सही ज्ञान होना बहुत जरूरी है. जैसे कि, बच्चों को बैड टच और गुड टच पता होना चाहिए ताकि कोई उन के साथ बुरी हरकत न कर सके.

‘‘इसी तरह 10 से 20 साल तक के बच्चे सैक्स संबंधित गलत हरकतों के शिकार हो जाते हैं और वे यह बात किसी से शेयर नहीं करते. इस वजह से वे अंदर ही अंदर टौर्चर होते रहते हैं और कई बार तो डिप्रैशन में आ कर आत्महत्या तक कर लेते हैं. इसीलिए बहुत जरूरी है कि स्कूलों में भी सैक्स एजुकेशन एक विषय के रूप में सिखाई जाए ताकि सैक्स से संबंधित अज्ञानता के चलते नई पीढ़ी अंधकार में न डूबे.’’

‘ओएमजी 2’ की कहानी बच्चों को खासतौर पर सैक्स एजुकेशन के महत्त्व को समझाने के लिए फिल्माई गई है परंतु इस फिल्म को ए सर्टिफिकेट दिया गया है. इस पर पंकज कहते हैं, ‘‘ऐसा नहीं है कि पूरी फिल्म सैक्स एजुकेशन पर ही है. फिल्म में और भी बहुत सारी शिक्षाप्रद व मनोरंजन से भरपूर सामग्रियां हैं. फिल्म को ए सर्टिफिकेट मिला, इस का मु?ो भी दुख है, क्योंकि यह फिल्म बच्चों को सतर्क और जागरूक करने के हिसाब से बनाई गई थी ताकि किसी बच्चे के साथ गलत हो तो इस की उस को सम?ा हो और वह गलत रास्ते पर न जाए.

‘‘जहां तक सैंसर की बात है तो सैंसर बोर्ड अपने नियमों में बंधा हुआ है जिस का उसे पालन करना ही पड़ता है. पिछले दिनों कुछ फिल्मों को ले कर सैंसर को परेशानी का सामना करना पड़ा था. लिहाजा, वह अब पहले से और सतर्क हो गया है.’’

पंकज त्रिपाठी की भी बेटी है जो कि छोटी उम्र की है. बेटी के साथ अपने रिश्ते के बारे में वे बताते हैं, ‘‘मेरी बेटी मेरी दोस्त जैसी है. वह मुझ से कुछ भी शेयर करने में कतराती नहीं है. वह किसी भी विषय पर मु?ा से खुल कर बात कर लेती है और मैं भी उस के साथ दोस्ताना व्यवहार रखता हूं. यह बात मैं ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पर आधारित फिल्म करते समय सीखी. मेरा और मेरी बेटी का जैसा व्यवहार है वैसा मेरी बहन के साथ पिताजी का नहीं था और मैं नहीं चाहता कि मेरी बेटी और मेरे बीच दूरियां बनें. मेरी इच्छा है कि मेरी बेटी पूरी तरह से सम?ादार हो और अपना जीवन सही ढंग से जिए.’’

पंकज के जीवन में मां, बेटी, बहन, बीवी सभी का बहुत ज्यादा हस्तक्षेप रहा है. इसे ले कर वे कहते हैं, ‘‘मैं समस्त नारी जाति पर नतमस्तक हूं चाहे वह बेटी हो, बीवी हो, मां हो या बहन. मेरे मन  में सभी के लिए सम्मान और प्यार है क्योंकि मां जननी है, उस ने मु?ो जनम दिया है तो मेरी पत्नी ने मेरी बेटी को जन्म दिया है. ऐसे में दोनों ही मेरे लिए सम्मान की हकदार हैं.’’

कहा जाता है कि फिल्में समाज को शिक्षा देती हैं और फिल्मों की बदौलत दर्शकों में भी बदलाव देखने को मिलते हैं. जब उन से पूछा गया कि बतौर ऐक्टर उन्हें फिल्मों से कितना सीखने को मिला तो वे कहते हैं, ‘‘हां, यह सच है कई फिल्में ऐसी होती हैं जो आप को शिक्षित कर जाती हैं. जैसे ‘ओएमजी 2’ से और मेरी आने वाली फिल्म ‘मैं अटल हूं’ जिस में मैं अटल बिहारी वाजपेयी का किरदार निभा रहा हूं, इन दोनों फिल्मों में काम कर के मुझे बहुतकुछ सीखने को मिला. बतौर ऐक्टर ही नहीं, बतौर इंसान भी मैं ने बहुतकुछ सीखा.’’

फिल्म को साइन करने से पहले वे क्या करते हैं, इस बारे में वे बताते हैं, ‘‘मैं खुद ही कहानी पढ़ता हूं. पूरी कहानी तो नहीं, संक्षिप्त में सिनौप्सिस जरूर पढ़ता हूं. उस से पता चल जाता है कि पूरी कहानी का आधार क्या है. जैसे कि एक बूंद पानी पीने के बाद भी पता चल जाता है कि पानी मीठा है कि खारा, वैसे ही

4 पन्ने की स्क्रिप्ट में पूरी कहानी का अंदाजा हो जाता है.’’

ओएमजी 2 में प्रसिद्ध ऐक्टर अक्षय कुमार के होने के बावजूद पूरी फिल्म पंकज के कंधों पर है. इस बारे में उन का कहना है, ‘‘फिल्म के असली हीरो अक्षय कुमार ही हैं. कोविड-19 में जब वे

14 दिनों के लिए क्वारेंटाइन हुए थे, उस दौरान उन्होंने यह कहानी पढ़ी थी. उस वक्त उन को लगा कि मैं इस फिल्म का अहम किरदार निभाने के लिए सब से ज्यादा उपयुक्त हूं. लिहाजा, अक्षय ने मु?ा को जूम कौल पर कहानी सुनाई. जो मु?ो अच्छी लगी. हमेशा से अक्षय सामाजिक मुद्दों पर कहानी कहते आए हैं. फिर चाहे वह ‘पैडमैन’ हो या ‘टौयलेट एक प्रेमकथा’ हो. ऐसे में इस किरदार के लिए उन्होंने मु?ो चुना. मैं अक्षय का आभारी हूं, शुक्रगुजार हूं.’’

उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव से आ कर मुंबई में कड़ा संघर्ष कर के आप ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग जगह बनाई. अपने इस संघर्ष को आप कैसे देखते हैं, इस पर अक्षय कहते हैं, ‘‘जब मैं मुंबई आया था और अभिनय क्षेत्र में काम पाने के लिए संघर्ष कर रहा था उस वक्त मेरे पास पैसों की कमी थी. लेकिन उस दौरान मेरी पत्नी, जो शिक्षिका है, ने मेरा साथ दिया और घर का खर्च सबकुछ मैनेज किया.

‘‘इसी वजह से मैं अपने काम पर पूरा ध्यान दे पाया और आज एक ऐक्टर के रूप में आप को इंटरव्यू दे रहा हूं. मेरे पिता 99 वर्ष के हैं और माता 89 वर्ष की हैं. उन को यह भी नहीं पता कि मैं एक ऐक्टर हूं. गांव में आज भी मैं एक सीधासादा इंसान ही हूं. ऐक्टर से भी ज्यादा एक अच्छा इंसान बनने की मेरी कोशिश है. धर्म को आचरण में लाना चाहता हूं, मैं चाहता हूं कि मैं एक अच्छा इंसान बनूं जो किसी को पीड़ा न दे, जिस का आचरण अच्छा हो, सद्भावनासंचार बना रहे, यही कोशिश है.

काफी सालों पहले एक ऐक्टर हुआ करते थे जिन का नाम था केस्टो मुखर्जी. उस ऐक्टर ने सभी फिल्मों में बिना शराब पिए शराबी की ऐक्ंिटग की थी. क्या किसी अभिनय को निभाने के लिए क्या पदार्थ की अनिवार्यता जरूरी होती है, यह पूछने पर पंकज कहते हैं, ‘‘सच कहूं तो मैं पान खाता रहा हूं. मैं उस शहर बनारस से ताल्लुक रखता हूं जहां का पान प्रसिद्ध है. फिलहाल मैं ने जरूर पान खाना छोड़ दिया है लेकिन पहले मैं, खासतौर पर, बनारस से कत्था, सुपारी, सामग्री मंगाया करता था. वैसे भी, पान दातों के लिए और खाना हजम करने के लिए फायदेमंद होता है बशर्ते उस में तंबाकू न मिलाई गई हो.

‘‘जहां तक मेरी मिमिक्री करने की बात है तो इस बात की मुझे खुशी है कि मेरी वजह से किसी की रोजीरोटी चल रही है. मैं मुंबई रोजीरोटी कमाने आया था और अगर अब मेरी वजह से किसी की रोजीरोटी चल रही है तो इस से ज्यादा खुशी की बात मेरे लिए और क्या हो सकती है.’’

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ले कर आजकल काफी सारे सवाल उठ रहे हैं. आज स्वतंत्र विचार व्यक्त करने के लिए  बहुत सारी बंदिशें हैं. इस बारे में पंकज कहते हैं, ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूरी है. लेकिन हमें कितना स्वतंत्र होना है, यह देखना भी जरूरी है जैसे कि हैलमेट लगाना कानूनी तौर पर अनिवार्य है लेकिन आप कहें कि हम 1947 में आजाद हो गए तो अब हम हैलमेट नहीं लगाएंगे तो यह गलत होगा.

‘‘कहने का मतलब यह है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी के लिए है लेकिन उस में भी कुछ बंदिशे हैं जो हमें मानना जरूरी हैं. जिम्मेदार होना जरूरी है. आज सोशल मीडिया के दौर में हर कोई प्रतिक्रिया दे रहा है. हर कोई अभिव्यक्ति कर रहा है. उन को यह भी नहीं पता कि वे प्रतिक्रिया क्यों दे रहे हैं. अगर प्रतिक्रिया देनी भी है तो सोचसमझकर और पूरी जानकारी हासिल कर प्रतिक्रिया देनी चाहिए.’’

आप के बारे में कहा जाता है कि आप ने एक विद्यालय गोद लिया है और उस विद्यालय का पूरा खर्चा आप ही उठाते हैं. इस पर पंकज कहते हैं, ‘‘हां, मैं जिस विद्यालय में पढ़ाई करता था उसी विद्यालय को मैं ने गोद लिया है और वहां पर मैं ने आज की तकनीकी  के मुताबिक कई नई सुविधाएं करवाई हैं. आज के  समय के अनुसार वहां के टीचर भी ज्यादा से ज्यादा जागरूक हैं क्योंकि मैं वहां पढ़ा हूं, इसलिए मैं अपने स्कूल को और अच्छा बना रहा हूं.’’

वे अपनी आगे आने वाली फिल्मों के बारे में कहते हैं, ‘‘‘फुकरे 3’, ‘खड़क सिंह’, ‘मिर्जापुर 3’, ‘मैं अटल हूं’, अनुराग बसु की ‘मेट्रो इन दिनों’, ‘मर्डर मुबारक हो’, ‘अभी तो पार्टी शुरू हुई है’ आदि कई फिल्मों में आप मुझे देखेंगे.’’

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