सवाल

मैं टीचर हूं. 2 बेटों की मां हूं और मेरी उम्र 52 साल है. बच्चे जब छोटे थे तो सोचती थी कि बड़े हो जाएंगे तो फ्री हो जाऊंगी लेकिन अभी तक मैं जिम्मेदारियों में घिरी हूं. मन करता है कि जैसे और लेडीज किट्टी पार्टी, सैरसपाटा, शौपिंग के लिए वक्त निकाल कर लाइफ एंजौय करती हैं, मैं भी करूं. लेकिन कभी स्कूल का काम सामने आ जाता है तो कभी बच्चों की फरमाइशें पूरी करनी पड़ जाती हैं. ऊपर से बीमार सास जो बैड पर हैं उन को भी देखना पड़ता है, जबकि उन के लिए फुलटाइम मेड रखी है लेकिन वह मेड भी मेरे लिए एक सिरदर्द है. उस के खानेपीने का ध्यान रखना, यह एक अलग सिरदर्दी है मेरे लिए.

सहेलियां मजाक उड़ाती हैं कि मेड रख कर तो लोग फ्री हो जाते हैं लेकिन तू उलटा उस की सेवा करती है. सुबह 4 बजे की उठी मैं रात 11 बजे जा कर फ्री होती हूं क्योंकि पति की शौप है, वे लंच करने भी 3-4 बजे घर आते हैं. 6 बजे शाम को फिर शौप जाते हैं. शौप कभी 9.30 बजे तो कभी 10 बजे बंद कर के आते हैं. उन्हें डिनर कराने में 11 बज जाते हैं. सोचती हूं, क्या यही लाइफ है. आप ही बताइए, मैं क्या करूं?

जवाब

आप जो कह रही हैं, ऐसी लाइफ 50 प्रतिशत औरतों की होती है. घर, नौकरी, बच्चे, पति, सासससुर, सारी जिम्मेदारी अकसर औरत के सिर पर डाल दी जाती है जैसे कि वह कोई मशीन है. आप के केस में ऐसा लग रहा है कि आप घरगृहस्थी के कामों में खुद को उल?ाए रखती हैं. उन से बाहर निकलने की कोशिश नहीं करतीं. टाइम मैनेजमैंट की कमी है आप में क्योंकि अब आप के बच्चे बड़े हो गए होंगे. आप सुबह स्कूल जाती हैं तो दोपहर के लंच की तैयारी थोड़ीबहुत कर के जाएं. बच्चे अब कालेज या जौब पर जाते हैं, उन्हें साथ में लंच देना है तो इस की तैयारी भी रात को कर के रखनी चाहिए.

वीक डे में लंचडिनर साधारण ही रखें. स्पैशल बनाने के चक्कर में आप फिर अपने को किचन के कामों में उल?ा लेंगी. छुट्टी वाले दिन स्पैशल बना कर खिला सकती हैं. रही बात आप की सास की तो उन की देखभाल के लिए फुलटाइम मेड को काम अच्छी तरह सम?ा दीजिए कि उसे टाइम से सारे काम करने हैं. उस से सख्ती बरतनी पड़ेगी. मेड से कहें कि अपनी चाय, रोटी वह खुद बनाए. सास बैड पर हैं तो यकीनन वे ज्यादातर सोई रहती होंगी. उस वक्त मेड अपने खानेपीने का काम खुद करे. मेड को रसोई में घुसने दें. इस से आप उस के खानेपीने का इंतजाम करने की ड्यूटी से फ्री हो जाएंगी.

स्कूल में अपनी साथी टीचरों से बात करें कि उन का रूटीन वर्क कैसा होता है. वे कैसे मैनेज करती हैं अपना कामकाज. अपने लिए थोड़ा वक्त निकालना जरूरी है और वह वक्त आप टाइम मैनेजमैंट कर के निकाल सकती हैं.

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