सवाल
मेरी शादी को 4 साल हो गए हैं और मैं डाक्टरी ट्रीटमैंट के बाद ही गर्भवती हो पाई हूं. आप बताएं कि मुझे ऐसा क्या खानापीना चाहिए जिस से मेरी डिलीवरी में कोई प्रौब्लम न आए?
जवाब
अकसर महिलाओं व परिवार के हर व्यक्ति की यही सोच होती है कि गर्भवती होना मतलब उस दौरान स्त्री को पूरी तरह से आराम करना चाहिए जिस से उसे व बच्चे को कोई नुकसान न पहुंचे, लेकिन ऐसी सोच गलत है.
अनेक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि इस दौरान आप जितना काम व वाक करेंगी उतनी आप फिट व आप की नौर्मल डिलीवरी हो पाएगी. ऐसे में जब आप डाक्टरी ट्रीटमैंट के बाद गर्भवती हो पाई हैं तो आप पूरी तरह डाक्टर के परामर्श के अनुसार ही चलें.
लेकिन इस बात का खयाल रखें कि पौष्टिक डाइट जरूर लें और थोड़ीथोड़ी देर में कुछ खाती रहें, क्योंकि इस दौरान आप के खुद के साथसाथ पेट में पल रहे बच्चे का भी पेट भरना है.
जितना हो सके फास्टफूड व तनाव से दूर रहें और घर पर निकाले गए ताजे फलों का ही जूस पिएं. इस से आप खुद को भीतर से फिट फील कर पाएंगी और आप की डिलीवरी में भी आसानी होगी.
गर्भ धारण करना किसी भी महिला के जीवन की सब से बड़ी खुशी होती है. मगर इस दौरान उसे कई सावधानियां भी बरतनी पड़ती हैं. आज नारी पर घरबाहर दोनों जिम्मेदारियां हैं. वह घर, बच्चों, औफिस सभी को हैंडल करती है.
आधुनिक युग की नारी होने के नाते कुछ महिलाएं धूम्रपान और शराब आदि का भी सेवन करने लगी हैं. यही वजह है कि गर्भावस्था में उन्हें अपनी खास देखभाल की जरूरत होती है. थोड़ी सी सावधानी बरतने पर मां और शिशु दोनों स्वस्थ और सुरक्षित रह सकते हैं.
पौष्टिक आहार लेना जरूरी
आप मां बनने वाली हैं, तो यह जरूरी है कि आप पौष्टिक आहार लें. इस से आप को अपने और अपने गर्भ में पल रहे शिशु के लिए सभी जरूरी पोषक तत्त्व मिल जाएंगे. इन दिनों आप को अधिक विटामिन और खनिज, विशेषरूप से फौलिक ऐसिड और आयरन की जरूरत होती है.
गर्भावस्था के दौरान कैलोरी की भी कुछ अधिक जरूरत होती है. सही आहार का मतलब है कि आप क्या खा रही हैं, न कि यह कि कितना खा रही हैं. जंक फूड का सेवन सीमित मात्रा में करें, क्योंकि इस में केवल कैलोरी ज्यादा होती है बाकी पोषक तत्त्व कम या कह लें न के बराबर होते हैं.
मलाई रहित दूध, दही, छाछ, पनीर आदि का शामिल होना बहुत जरूरी है, क्योंकि इन खाद्यपदार्थों में कैल्सियम, प्रोटीन और विटामिन बी-12 की ज्यादा मात्रा होती है. अगर आप को लैक्टोज पसंद नहीं है या फिर दूध और दूध से बने उत्पाद नहीं पचते, तो अपने खाने के बारे में डाक्टर से बात करें.
पेयपदार्थ
पानी और ताजे फलों के रस का खूब सेवन करें. उबला या फिल्टर किया पानी ही पीएं. घर से बाहर जाते समय पानी साथ ले जाएं या फिर अच्छे ब्रैंड का बोतलबंद पानी ही पीएं. ज्यादातर रोग जलजनित विषाणुओं की वजह से ही होते हैं. डब्बाबंद जूस का सेवन कम करें, क्योंकि इन में बहुत अधिक चीनी होती है.
वसा और तेल
घी, मक्खन, नारियल के दूध और तेल में संतृप्त वसा की ज्यादा मात्रा होती है, जो ज्यादा गुणकारी नहीं होती. वनस्पति घी में वसा अधिक होती है. अत: वह भी संतृप्त वसा की तरह शरीर के लिए अच्छी नहीं है. वनस्पति तेल वसा का बेहतर स्रोत है, क्योंकि इस में असंतृप्त वसा अधिक होती है.
समुद्री नमक या आयोडीन युक्त नमक के साथसाथ डेयरी उत्पाद आयोडीन के अच्छे स्रोत हैं. अपने गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन शामिल करें.
गर्भावस्था से पहले आप का वजन कितना था और अब आप के गर्भ में कितने शिशु पल रहे हैं, उस हिसाब से अब आप को कितनी कैलोरी की जरूरत है, यह डाक्टर बता सकती हैं.