सोशल मीडिया पर अपने बेबाक बयानों के लिए जानी जाने वाली व राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त अभिनेत्री कंगना रनौत की बतौर निर्माता ‘टीकू वेड्स शेरू’ जियो सिनेमा पर हाल ही में प्रदर्शित हुई. कंगना की पिछली हिट फिल्म ‘तनु वेड्स मनु’ की तर्ज पर बनी ‘टीकू वेड्स शेरू’ में शादी के माने अलग हैं. यहां पर अरेंज मैरिज की सफलता और खट्टीमीठी नोकझोक दिखाई गई है.

रनौत का जन्म हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के भांबला में हुआ था. उन का गांव, जिसे सूरजपुर के नाम से भी जाना जाता है, का नाम उन के परदादा सूरज सिंह रनौत के नाम पर है, जो कांग्रेस के पूर्व विधायक थे. रनौत की अपने स्कूल दिनों से ही मौडलिंग और फिल्मों में रुचि थी, जिस से उन के परिवार को काफी परेशानी थी. वे चाहते थे कि वह डाक्टर बने, लेकिन अभिनेत्री बनने का सफर उन्होंने चुना.

उन की शुरुआती फिल्मों में उन्हें उन की वर्साटाइल ऐक्ंिटग को ले कर खूब तारीफें मिलीं. साल 2006 में उन की पहली फिल्म ‘गैंगस्टर’ आई. इस फिल्म में उन की अदाकारी को सराहा गया. फिर ‘फैशन’, ‘क्वीन’, ‘तनु वेड्स मनु’ जैसी फिल्मों के जरिए उन्हें मेनस्ट्रीम पहचान मिली. लेकिन जैसेजैसे वे अपने फिल्मी कैरियर में आगे बढ़ती गईं, उन के भाजपा और भगवा कट्टरता के समर्थन में पौलिटिकल ?ाकाव ने आम लोगों को उन से दूर भी कर दिया. इस का परिणाम हुआ कि उन्हें एक विशेष खांचे में देखा जाता है. उन की बातों में पहली जैसी गंभीरता भी खत्म हो गई है. जैसे पहले उन के नैपोटिज्म की बहस को ले कर लोगों का समर्थन उन्हें हासिल होता था, वह धीरेधीरे गायब होने लगा है.

उन की फिल्मों में अतिराष्ट्रवाद और खास एजेंडे को धकेलने वाले कंटैंट से भी लोग उकता चुके हैं. यही कारण भी है कि उन की हालिया कई फिल्में फ्लौप होती गईं. हालांकि वे अपनी आगामी फिल्म के साथ फिर से दस्तक दे चुकी हैं, जिस में वे अभिनेत्री के तौर पर नहीं, बल्कि निर्माता के तौर पर हैं. इसी को ले कर उन से कई सवाल पूछे गए, जिन के अंश यहां हैं.

जब उन से पूछा गया कि फिल्म ‘टीकू वेड्स शेरू’ में क्या हीरोइन का किरदार निभाने का खयाल नहीं आया तो वे कहती हैं, ‘‘नहीं. फिलहाल तो मैं बतौर निर्माता ही इस फिल्म को बनाना चाह रही थी क्योंकि हीरोइन के किरदार के लिए अवनीत कौर ही सूटेबल थी. दरअसल यही फिल्म ‘डिवाइन लवर्स’ के नाम से करीबन 7-8 साल पहले लौंच हुई थी जिस में मैं और इरफान खान मुख्य भूमिका में थे, कुछ कारणों से फिल्म अटक गई और बाद में इरफान साहब हमारे बीच नहीं रहे.

‘‘लिहाजा, जब हम ने फिर से इस फिल्म को बनाने की सोची तो हीरोइन के किरदार के लिए हम ने नए चेहरे को फिल्म में लाने की सोची और हीरो के रोल में नवाजुद्दीन सिद्दीकी से बेहतर कोई हो ही नहीं सकता था. सो, हम ने उन को साइन किया.’’

कंगना बताती हैं कि नवाजुद्दीन के पास फिल्म के लिए डेट्स नहीं थीं. वे कहती हैं, ‘‘हां, जब मैं ने नवाज को फिल्म साइन करने के लिए सोचा तो मैं ने कुछ लोगों से बात की. मु?ो पता चला कि नवाज के पास अगले 5 सालों तक डेट नहीं हैं. फिर भी मैं ने उन को मैसेज किया और मिलने की बात की तो उन्होंने बताया, वे बेंगलुरु में शूटिंग कर रहे हैं. मैं बेंगलुरु पहुंच गई. मु?ो देख कर नवाज आश्चर्यचकित हो गए. नवाज ने भी फिल्म साइन करने में देरी नहीं लगाई.

‘‘जहां तक अवनीत का सवाल है तो मैं चाहती हूं कि इंडस्ट्री में अब और नए चेहरे भी आएं. लिहाजा, अवनीत मुझे इस रोल के लिए परफैक्ट लगी, इसलिए उस को मैं ने इस फिल्म के लिए साइन कर लिया.’’

कंगना पेशे से ऐक्ट्रैस हैं और अब निर्मात्री भी बन चुकी हैं. निर्माता और ऐक्ट्रैस के बीच अंतर के बारे में वे कहती हैं, ‘‘अब मैं निर्माताओं के दर्द को बहुत अच्छे से महसूस कर रही हूं. अब मुझे एहसास हो रहा है कि निर्माताओं को एक फिल्म बनाने के दौरान कितनी सारी परेशानियों को झेलना पड़ता है. कितने सारे टैंशन होते हैं लेकिन साथ ही, यह भी कहूंगी कि मुझे मेरी टीम ने पूरा सहयोग दिया.

‘‘मुझे परेशानी नहीं झेलनी पड़ी. साथ ही, मैं ने यह भी महसूस किया कि निर्माता बनने का अपना अलग मजा भी है. खुशी भी होती है बतौर निर्माता काम कर के. यही वजह है कि मु?ो निर्माता और निर्देशक के तौर पर काम करना पसंद है. मेरी नजर में कुछ ऐसे निर्माता भी हैं जिन्होंने अच्छा काम किया है, जैसे रौनी स्क्रूवाला. मेरी भी यही कोशिश रहेगी कि बतौर निर्मात्री, मैं अच्छी फिल्में बना सकूं और लोगों का मनोरंजन कर सकूं.’’

फिल्म की थीम शादी के बंधन पर है. आज शादी से ज्यादा तलाक के केस सामने आ रहे हैं. खासतौर पर फिल्म इंडस्ट्री में कई पुरानी शादियां भी टूट रही हैं और शादी से ज्यादा लिवइन रिलेशनशिप फलफूल रही है. ऐसे में अच्छी शादी को डिफाइन करते हुए कंगना कहती हैं, ‘‘जैसेजैसे वक्त बदलता है, हमारी अपेक्षाएं भी बदलने लगती हैं. लव मैरिज में अपेक्षाएं भी ज्यादा होती हैं. अरेंज मैरिज में सम?ाते की गुंजाइश ज्यादा होती है. शादी से पहले हर इंसान अलग होता है. उस का लाइफस्टाइल, उस की अपेक्षाएं और वह खुद. लेकिन शादी के बाद हमें अपने पार्टनर के हिसाब से अपनेआप को बनाना पड़ता है. यह तभी होता है जब हमारी शादी में प्यार और सम्मान व अपनापन हो.

‘‘आज शादी को ले कर लोग जो रोमांटिक इमेज बनाते हैं वह शादी के बाद जब पूरी नहीं होती तो बात तलाक तक पहुंच जाती है. यही वजह है कि जहां आज के समय में लव मैरिज में

90 फीसदी तलाक हो रहे हैं तो अरेंज मैरिज में 10 परसैंट ही तलाक हो रहे हैं. ‘टीकू वेड्स शेरू’ में हम ने इसी प्यार, सम्मान, समझाता और अपनेपन को दर्शाया है. कहने का मतलब यह है शादी भले ही एक सम?ाता है लेकिन उस में प्यार और सम्मान अगर न हो तो वह नहीं टिकती और अगर प्यार और सम्मान हो तो अरेंज मैरिज भी टिक जाती है.’’

जब उन से पूछा गया कि शादी को ले कर उन का क्या इरादा है तो वे कहती हैं, ‘‘सिंगल लोगों की तरह मुझे भी लगता है कि शादी रोमांटिक होती है और मेरी भी शादी करने की इच्छा है. लेकिन शादी मैं तभी करूंगी जब मुझे कोई ऐसा मिल जाएगा जो मेरे जीवन में कम से कम

5 परसैंट खुशियां ला सके. क्योंकि 95 फीसदी तो मैं सिंगल में खुश हूं.

शादी होने के बाद 5 परसैंट ही खुशी बढ़ेगी. अगर मेरा होने वाला हस्बैंड मेरी शादी को ?ांड करने वाला है और मेरी खुशनुमा जिंदगी को 95 फीसदी से बदल कर 40, 50 या 20 परसैंट बनाने वाला है तो ऐसे बंदे से मु?ो शादी नहीं करनी. मैं सिंगल ही खुश हूं. मैं शादी तभी करूंगी जब मु?ो ऐसा लगेगा कि सामने वाला बंदा मेरे लिए फिट है और वह मु?ो खुश रख सकेगा.’’

वे आगे कहती हैं, ‘‘मेरी मां तो मुझे से हर समय बोलती रहती थीं कि शादी कर लो. शादी कब करोगी. जब मैं

17-18 साल की थी तब से ही मेरी मां मेरी शादी के पीछे पड़ी हैं. मेरा तो बचपन से ही हाल बुरा है. उन को लग रहा था इस की मुश्किल ही है शादी होना. पहले मैं सोचती थी कि मनपसंद जीवनसाथी मिलना मुश्किल ही है. लेकिन अब मुझे लगता है कि इतना भी मुश्किल नहीं है. आप की कोई न कोई खूबी सामने वाले को पसंद आएगी ही.

‘‘अगर आप को मनपसंद जीवनसाथी नहीं भी मिलता तो भी कोई टैंशन की बात नहीं है. आप अपनी जिंदगी अकेले भी मजे से गुजार सकते हैं. लेकिन अगर आप ने गलत आदमी चुन लिया तो आप की जिंदगी नरक बन जाएगी. शादी को ले कर मेरा यही मानना है कि आप को उसी आदमी से शादी करनी चाहिए जो आप को खुश रख सके.’’

फिल्म ‘इमरजैंसी’ में कंगना ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका निभाई है. इस किरदार को निभाने के लिए की गई तैयारी को ले कर वे कहती हैं, ‘‘इंदिरा गांधीजी का किरदार निभाना मेरे लिए चैलेंज है क्योंकि वे भारत की सिर्फ प्रधानमंत्री ही नहीं थीं बल्कि सशक्त नारी का चेहरा भी थीं. ऐसे में इस किरदार को निभाने के लिए मु?ो बहुत सारी तैयारी करनी पड़ी.

‘?‘मानसिक तौर पर मु?ो उस किरदार को जीना था लेकिन इस फिल्म के बारे में फिलहाल हम बातचीत नहीं करेंगे. जब यह फिल्म रिलीज होने वाली होगी, तभी इस फिल्म के बारे में मैं ज्यादा बता पाऊंगी.’’

आप ने 17 साल के कैरियर में अभिनय से ले कर निर्मातानिर्देशक बनने तक का सफर तय किया. इस दौरान अपने अनुभवों को ले कर आप क्या कहती हैं, ‘‘हमारी सोसाइटी में सफलता को कुछ ज्यादा ही अहमियत दी जाती है और असफलता को दुखी दिखाया जाता है, जबकि ऐसा नहीं है. असफलता के चलते लंबे संघर्ष के बाद जब सफलता मिलती है तब एहसास होता है कि संघर्ष ही सफलता की मंजिल है. अगर कोई सफल नहीं है तो इस का मतलब यह नहीं कि वह बेकार है.

‘‘मेरा विश्वास समय पर भी बहुत है. मैं ने इस मैजिक को महसूस किया है. जब लाखों लड़कियों में से अनुराग बसु ने मुझे अपनी फिल्म के लिए चुना था उस वक्त मैं आश्चर्य के साथ खुश हुई थी. उस वक्त मुझे एहसास हुआ कि मेहनत के साथ समय का माफिक होना भी जरूरी है. मैं 7 सालों से संघर्ष कर रही थी, काफी कुछ कहनेसुनने को मिला. कुछ लोगों ने तो यहां तक कहा कि तुम अच्छी ऐक्ंिटग करती हो, इसीलिए तुम बाहर हो, क्या तुम को एक्सपैरिमैंटल फिल्मों की हीरोइन कहला कर घर बैठना है. तुम स्टार किड्स की तरह ठीकठीक ऐक्ंटिग करोगी तो ही इंडस्ट्री में टिक पाओगी. ऐसे ही कई सारे अनुभव मु?ो हुए और आज मैं आप के सामने हूं. यही मेरी सफलता है.’’

हाल की लगातार फ्लौप फिल्मों को छोड़ दिया जाए तो कंगना सफल अभिनेत्रियों में गिनी जाती हैं. जब उन से पूछा गया कि उन की नजर में सफलता क्या है तो वे कहती हैं, ‘‘जब हमें अपने किरदार, अपने मेकर अपनी मरजी के अनुसार चुनने का मौका मिले, जब आप अपने काम के लिए आजाद हों, जब आप को मन मार कर जबरदस्ती में काम न करना पड़े, अच्छे किरदारों के चुनाव के लिए आप को पूरी आजादी हो, तभी आप सही माने में सफल कहलाते हैं.’’

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