मेरा नाती विहान, जिसे हम सब प्यार से विहू कह कर बुलाते हैं, अभी 2 साल का नहीं हुआ है लेकिन बहुत बोलने लग गया है. उस की एक मजेदार आदत है, यदि उस को कोई भी चीज दिखा कर पूछो, विहान, यह किस का है? तो फौरन 2 बार बोलेगा, ‘विहू का है, विहू का है.’
एक दिन मेरी दीदी का बेटा विहान के लिए एक गेंद ले कर आया, जिस से दिनभर वह खेलता रहा. शाम को जब उस के पापा आए तो उन्होंने पूछा, ‘‘यह गेंद कौन लाया?’’
मैं ने उन्हें बताया कि दीदी का बेटा आया था, वह ही लाया था. उन्होंने शायद ठीक से सुना नहीं पलट कर फिर से पूछा, ‘‘किस का बेटा?’’
विहान ने बस इतना सा सुना और बोलना शुरू कर दिया, ‘‘विहू का बेटा, विहू का बेटा.’’
उस का इतना कहना था कि हम सब खिलखिला कर हंस दिए. अनीता सक्सेना, भोपाल (म.प्र.)
मेरा पोता मानिक साढ़े 3 साल का है. वह हाजिरजवाब है. वह जब भी मौल घूमने जाता तो खिलौनों की दुकान पर जिद कर के कुछ न कुछ ले लेता. एक दिन उस की मम्मी ने कहा, ‘‘बेटा, हर बार खिलौने के लिए जिद नहीं करते, जब भी तुम खिलौने की दुकान देखो, अपनी आंखें बंद कर लिया करो.’’
हम सब मौल घूमने गए. मेरी बहू को एक नैकलैस पसंद आ गया और उसे खरीदने के लिए वह मेरे बेटे से बारबार कहने लगी. बेटे ने कहा, ‘‘इस बार नहीं, फिर कभी खरीद लेना.’’ इतने में मेरा पोता झट से बोला, ‘‘मम्मा, आप भी ज्वैलरी की दुकान आने पर अपनी आंखें बंद कर लिया करो, जिद मत किया करो.’’ उस की बात सुनते ही हम सब की हंसी छूट गई. परमजीत कौर, मोहाली (पंजाब)
मैं ने अपने 4 साल के बेटे राजू को अपने दोस्त को ‘उल्लू का पट्ठा’ बोलते सुना, तो मैं अचंभित हो गई. घर में तो ऐसे कोई बोलता नहीं, यह कहां से सीख आया? मैं ने उस से पूछा, ‘‘राजू, तू ने यह बोलना कहां से सीखा?’’
उस ने कहा, ‘‘बंटी रोज मुझे कहता है.’’
मैं ने उसे समझाया, ‘‘बेटा, उल्लू डरावना और गंदा दिखने वाला पक्षी है, इसलिए ‘उल्लू का पट्ठा’ बोल कर चिढ़ाने से दूसरों को बुरा लगता है.’’
‘‘तो फिर मैं क्या बोलूं, मिट्ठू का पट्ठा बोल सकता हूं क्या?’’ सुन कर मैं चकित हो गई. मैं ने उसे बांहों में भर कर कहा, ‘‘हां बेटा, जरूर कहना. मिट्ठू तो सब का प्यारा पक्षी है न.’’ शालिनी व्यास, उदयपुर (राज.)