नोएडा के 22 साल के हर्षित चावला ने 2 साल पहले अपनी मां को खो दिया.मां के जाने के बाद घर में वह और उस की बड़ी बहन ही पिता के पास रह गए थे.जल्द ही बड़ी बहन की शादी हो गई और वह अपने परिवार में व्यस्त हो गई. घरमें बचे हर्षित और उस के पिता ने अकेले जो समय गुजारा वह बहुत कठिन था.

हर्षित सुबह उठने से लेकर रात तक कई बार महसूस करता था कि उस के पिता मांको कितना मिस कर रहे हैं. यहां तक कि वे कभी भी रात को अचानक उठ जाते औरअपनी पत्नी को पुकारने लगते. कभी उन की फोटो घंटों निहारते रहते.

इस बीच हर्षित की नौकरी दूसरे शहर बेंगलुरु में लग गई. वह जानता था किपापा अपनी नौकरी छोड़ कर उस के साथ नहीं आ सकते. तब हर्षित ने पिता कीदूसरी शादी कराने का फैसला किया. इस के लिए उस ने मैट्रिमोनियल साइट पर एकअकाउंट खोला. कई से बातचीत की और अंत में एक महिला पिता की जीवनसंगिनीके रूप में पसंद आ गई. वह महिला उसे काफी समझदार और केयरिंग लगी.

इस के बाद जब उस ने पिता से इस बाबत बात की तो उन्होंने पहले तो बिलकुल इनकार कर दिया. तब हर्षित ने अपने पिता को समझाया कि किसी भी व्यक्ति केजाने के बाद जिंदगी नहीं रुकती. उन की याद में लगातार खोए रह कर खुद कोकष्ट देना सही नहीं है.

जीवन अकेले नहीं बिताया जा सकता, इसलिए लोगों कीपरवा किए बिना जिंदगी को एक मौका फिर से देना चाहिए. तभी इंसान बीते समयसे निकल कर एक नया जीवन जी सकता है. काफी समझाने पर वे राजी हुए. शादी केबाद उन की मुसकराहट वापस लौट आई और हर्षित भी निश्चिंत हो कर नौकरी केलिए बेंगलुरु चला गया.

सच है कि जिंदगी में कभीकभी ऐसा कुछ घट जाता है जिस की हम कल्पना भीनहीं करते.  ऐसा ही एक कठिन समय है एक पति का अपनी पत्नी को खो बैठना.कभी कोई हादसा या बीमारी की वजह से पत्नी हमेशा के लिए दूर जा सकती है याफिर तलाक भी उन्हें दूर कर सकता है.

ऐसे में अपने पिता के प्रति बच्चोंका दायित्व बढ़ जाता है. अपने पिता को उस गम को भूलने और मां कीयादों से आजाद कराने में बच्चे काफी सहयोग दे सकते हैं. बच्चे छोटे हैं तबवे बिना कुछ कहे या किए भी पिता के नजदीक रह कर उन के दिल को दिलासा देसकते हैं. बड़े और समझदार बच्चे और भी कई तरीकों से और बहुत सी बातों का खयाल रख कर पिता को मां की कमी का एहसास होने से रोक सकते हैं.

अगर मां की मौत हो जाए तो बच्चे क्या करें

बच्चे अपना ख़याल रख कर और खानानाश्ता आदि बनाने में मदद कर पिता कीमुश्किलें आसान कर सकते हैं. आप के पिता आ कर कभी नहीं कहेंगे कि उन्हेंआप के साथ या सहयोग की जरूरत है. मां की कमी दूर करने और उन को मां कीयाद न आए, इस के लिए आप को पहल करनी होगी. पति को पत्नी की याद सब सेज्यादा बच्चों को तैयार करते समय और किचन में खाना बनाते समय आती है.

ऐसेमें अगर बच्चे पिता का सहयोग करें, शांति और प्यार से पिता ने जो बनायाहै वह खा लें और ज्यादा नखरे न करें तो वे पत्नी को उतना मिस नहीं करेंगे और उन का ध्यान बच्चों में ही रहेगा.

उन्हें व्यस्त रखें

सिर्फ चंद दिनों के लिए दोस्त और रिश्तेदार मौजूद रहते हैं. इस के बादइंसान को अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त होना होता है. आप इस बात काध्यान रखें कि वे हर दिन शाम के वक्त औफिस से आ कर कहीं न कहीं व्यस्तरहें ताकि उन्हें ज्यादा देर तक घर पर अकेले न रहना पड़े.

मां के जानेके बाद अपने पिता को घर में काम करने की आदत डालने दें. आप उन की बेटीहैं, तो भी उन्हें रोकते हुए खुद काम करने की कोशिश न करें. उलटा, अगर वे कुछ काम करते हैं तो उन्हें प्रोत्साहित करते हुए कहें कि पापा, आप नेखाना तो बहुत अच्छा बनाया या फिर क्लीनिंग वर्क अच्छे से किया है. इस सेआप के पिता घर के कामों में व्यस्त रहेंगे और उन्हें पत्नी की याद कमआएगी.

आप उन्हें किसी हौबी को आगे बढ़ाने, किसी तरह के क्लासेज अटेंड करने याकिसी क्लब का सदस्य बनने की सलाह भी दे सकते हैं. इस से उन्हें अपनाखालीपन भरने में मदद मिलेगी. जब किसी करीबी की मौत हो जाती है तो कईसालों तक उस की सालगिरह की, एनिवर्सरी या मौत के दिन उन्हें भारी दुख होसकता है. इसलिए अपने कैलेंडर पर ऐसी तारीखों को नोट कर लीजिए ताकि जैसेजैसे ये दिन करीब आएं, आप उन्हें व्यस्त रहने मदद कर सकते हैं या अगरजरूरत पड़े तो उन्हें तसल्ली दे सकते हैं.

दिल्ली के बीटैक स्टूडेंट अमन सिंह कहते हैं, “मेरी मां के जाने के बादपापा बिलकुल अकेले रह गए थे. किसी काम में उन का मन नहीं लगता था. तबमैंने एक दिन उन की पुरानी डायरी देखी जिस में उन्होंने बहुत अच्छीकविताएं और गजलें लिख रखी थीं. शादी के बाद उन्हें अपनी इस हौबी के लिएसमय निकालना कठिन हो गया था. तब मैंने उन्हें फिर से इस हौबी को जिंदाकरने को प्रोत्साहित किया.

“उन की लिखी रचनाओं को ध्यान से सुनता और तारीफकरता. उन्हें कई कवि और लेखकों के ग्रुप से भी जोड़ दिया. फिर क्या था, उनकी जिंदगी ही बदल गई. मां की यादों में गुमसुम रहने के बदले वे कविसम्मेलनों में नजर आने लगे. आज उन्हें खुश देख कर मुझे सुकून मिलता है.”

साथ समय बिताएं

जिंदगी में जब किसी का कोई अजीज हमेशा के लिए दूर चला जाता है तो ऐसेमौकों पर शुरुआत में तो दोस्त और रिश्तेदार बहुत प्यार व हमदर्दी जतातेहैं लेकिन कुछ ही समय बाद वे अपनेअपने काम में लग जाते हैं और भूल जातेहैं और तब इंसान अपने उस अजीज को और भी ज्यादा मिस करने लगता है. इसलिएसब के जाने के बाद बच्चों का फर्ज बनता है कि अपने पिता को हिम्मत दें.उन से बातचीत कर अपने साथ पिता का भी मन हलका करें.

सोचिए आप के पिता नेअपने जीवनसाथी को खो दिया जिन के साथ इतने साल गुजारे थे. ऐसे में उन्हेंअपना समय दे कर आप उन्हें पत्नी की कमी महसूस होने से बचा सकते हैं. आपअपने पिता से मां के बारे में बात कर सकते हैं. उन के कुछ अच्छे गुणोंके बारे में या उनके साथ बिताए खुशी के कुछ पलों के बारे में अपने अनुभवशेयर करें. इस तरह की बातें करने से पिता के चेहरे पर मुसकान आ सकती है.मगर ऐसा कभीकभार कुछ खास मौकों पर ही करें. हर समय मां की ही बात करनेसे वे कभी इस गम से उबर नहीं पाएंगे.

बेहतर है कि आप पिता के साथ कभीकभी कहीं बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाएं, जैसे कभी पिकनिक पर, कभी सिनेमा देखने और कभी किसी खूबसूरत ऐतिहासिक जगहघूमने जाएं.  कभीकभी बाहर जा कर लंच या डिनर करें या बाहर से खाना और्डरकरें और मिल कर खाएं.

पिता की बातें सुनें

पिता का दर्द बांटने का एक बहुत ही बढ़िया तरीका है उन की बात ध्यान सेसुनना. वे जिन भावनाओं से गुजर रहे हैं उन के बारे में बात करना चाहतेहैं. इसलिए उन से पूछिए कि क्या आप इस बारे में बात करना चाहेंगे? उन्हेंफैसला करने दीजिए कि वे बात करना चाहेंगे या नहीं. शुरुआत में वे जो कुछकहना चाहते हैं उसे बस कहने दीजिए ताकि उन्हें महसूस हो कि पत्नी के जानेके बाद भी कोई उनकी बात सुनने वाला मौजूद है.

इस के अलावा पिता का ध्यान दूसरी बातों में लगाने के लिए उनके साथ कभीकभी जबरन राजनीतिक, सामाजिक मुद्दों पर बहस करें. उन को सामाजिक मुद्दोंपर बोलने को प्रोत्साहित करें. उन के साथ राजनीतिक गतिविधियों पर चर्चाकरें. उन के दोस्तों से भी कहें कि समय मिलने पर फोन पर उन से लंबीबातें करें. इस तरह उन का दिमाग डायवर्ट होगा.

मां की यादें दूर करें

समय के साथ घर में बदलाव लाएं. घर के हर कमरे का लेआउट बदलें. बिस्तर परसे चादर बदल दें और परदे भी नए लगाएं. लमारी से मां के कपड़े निकाल करकिसी को दे दें. जिन चीजों को देख कर आप के पिता को मां की याद आने कीसंभावना है उन्हें दूर कर दें. आप की मां जिस तरह पिता के घर आने पर चायनाश्ता देती थीं वैसा आप करें. पिता को उनके दोस्तों से मिलने या उन्हेंघर बुलाने को प्रोत्साहित करें ताकि उनका मन बदले. उन के दोस्तों कीमेहमाननवाजी वैसे ही करें जैसे आप की मां करती थीं.

खत लिखें

पिता को सांत्वना देने और उन्हें तनहा महसूस करने से रोकने में आप का एकप्यारा सा खत या कार्ड बहुत काम कर सकता है. आप उन्हें बहुत ही प्यारा साखत लिखें और फिर देखें कि इस से उन्हें कितनी हिम्मत मिलती है क्योंकि वेउसे बारबार पढ़ सकते हैं. इस तरह हौसला दिलाने के लिए आप जो खत या कार्डभेजते हैं उसमें चंद शब्द लिखना काफी हैं. मगर ये शब्द आप के दिल से होनेचाहिए.

यह हमेशा ध्यान रखें कि पिता को व्हाट्सऐप पर मैसेज करने के बजाय उन्हेंखत कागज पर लिख कर भेजें क्योंकि यह खत हमेशा उन के पास रहेगा. वे जबचाहें खोल कर उन्हें पढ़ सकते हैं जबकि मैसेज ऊपर चले जाते हैं और फिरखोज कर उन को पढ़ना मुश्किल हो जाता है. इसी तरह अगर आप दूर रहते हैं औरअपने बच्चों की तसवीरें उन्हें व्हाट्सऐप करते हैं तो भी उस से बेहतर हैकि आप उन को तसवीरें प्रिंट कर के भेजें इस से वे उन्हें हमेशा अपनेसामने रख सकेंगे. आप का खत या कार्ड यह सुबूत देगा कि आप उन की कितनीपरवा करते हैं.

दूसरी शादी – यदि पिता दूसरी शादी करना चाहते हैं तो बच्चों को चाहिए कि वे औब्जेक्शन न करें. आप को पिता की पसंद से प्रौब्लम हो या उन की नईपत्नी पसंद नहीं आ रही हो, आप इस पर ज्यादा न सोचें. जिंदगी आप केपिता की है. वे अगर किसी महिला के साथ नई जिंदगी शुरू करना चाह रहे हैंतो उसे सहर्ष स्वीकार कर लें क्योंकि उन के जीवन की कमी को दूर करने कायह एक बेहतर तरीका है. सही जीवनसाथी मिलने पर व्यक्ति के लिए जीवन मेंआगे बढ़ना और गुजरे हुए पलों को भूलना आसान हो जाता है. अपने पिता कोसमझाएं कि वे इस के लिए गंभीरता से सोचें.

बहुत से जानेमाने लोगों ने भी दूसरी शादियां की हैं. कांग्रेसी नेतादिग्विजय सिंह ने भी 2 बार शादी की है. पहली पत्नी आशा के निधन के बाददिग्विजय सिंह ने पत्रकार रहीं अमृता राय से शादी की. कांग्रेस के नेताशशि थरूर ने 3 बार शादी की. पहली पत्नी का नाम तिलोत्तमा मुखर्जी,दूसरी का नाम क्रिस्टा गिल और तीसरी पत्नी का नाम सुनंदा पुष्कर था.

फिल्मस्टार बोनी कपूर ने भी 2 शादियां कीं. दरअसल दूसरी शादी करना कोईअजीब बात नहीं. इंसान के लिए खुश और संतुष्ट रहना जरूरी है और यदि वहदूसरी शादी का फैसला लेता है तो कोई आफत नहीं आ जाती.

संपति का बंटवारा – आप यह न सोचें कि पिता कहीं सारी संपत्ति आप की नईमां या उन के बच्चों को न दे दें. यदि वे ऐसा करते हैं तो कहीं न कहींगलती आप की है. तभी वे ऐसा फैसला ले रहे हैं. वैसे भी पैसा आप के पिताका है. वे इसे किसी को भी दे सकते हैं. ऐसे में संपत्ति की चिंता छोड़कर आप को पिता की खुशी का खयाल करना चाहिए.

फ्लर्टिंग – यदि आप के पिता फ्लर्टिंग करते हैं तो आप उन्हें समाज का डरन दिखाएं. उन्हें ऐसा करने दें. आप उन की पत्नी बन कर उन्हें रोकनेटोकने का प्रयास न करें बल्कि पसंदीदा महिलाओं से बातें करने या हंसीमजाक करने को प्रोत्साहित करें. इस से वे एक नौर्मल जीवन की शुरुआत करसकते हैं. यह समझने की कोशिश करें कि यदि वे इस तरह के काम करने वालीमहिला के पास जाएंगे या उसे घर में बुलाते हैं तो उन का काफी पैसा बरबादहोगा. मन खुश करने के लिए यदि वे किसी से फ्लर्टिंग कर लेते हैं तोइसमें बुरा क्या है?

क्या नहीं करना चाहिए

– अपने पिता से इसलिए दूर मत रहिए क्योंकि आप नहीं जानते कि उन से क्याकहना है या उनके लिए क्या करना है. आप को लग सकता है कि कभीकभी वे मांकी यादों के साथ अकेले रहना चाहते हैं. आप इस डर से भी खुद को उन से दूररख रहे हैं कि कहीं आप की बातों या व्यवहार में कोई गलती न हो जाए. लेकिनयाद रखें अगर एक दुखी व्यक्ति के दोस्त, रिश्तेदार या बच्चे उससे दूर रहेंगे तो वह और भी अकेला महसूस करेगा. इस से उस का दुख और भीबढ़ जाएगा. इसलिए उन्हें अकेला मत छोड़िए.

– उन पर यह दबाव मत डालिए कि वे मां को याद करना छोड़ दें. एकदो बार खुलकर उन्हें रो भी लेने दें. खुद भी एकदो बार जीभर कर रो लीजिए. लेकिनसमय के साथ आप धीरेधीरे उन्हें वापस जिंदगी की तरफ मोड़िए.

– जब तक कि वे खुद से तैयार नहीं होते तब तक उन्हें यह सलाह मत दीजिए किवे आप की मां के कपड़े और उन की निजी चीजें अपने पास से निकाल दें. आपको शायद लगे कि अगर वे मां की याद दिलाने वाली चीजें अपने पास से दूर करदें तो बेहतर होगा वरना उन्हें मां को भूलने में देर लगेगी. लेकिन यादरखें अपनी पत्नी की याद भुलाने में एक व्यक्ति को समय लग सकता है. होसकता है उन की चीजें जबरन हटाए जाने पर वे और भी ज्यादा पत्नी को यादकरने लगें.

– मां का जिक्र करने से खुद को मत रोकिए. जब मां का ज़िक्र होता है तोआप बात मत बदलिए. इस के बजाय पिता से पूछिए कि क्या वे मां के बारे मेंकुछ बात करना चाहेंगे. जब आप बताएंगे कि मां के कौन से खास गुण आप कोबेहद पसंद थे तो यह सुन कर उन्हें अच्छा लगेगा.

– पिता को तसल्ली देने के लिए यह मत कहिए कि आप की मां को अभी कोई तकलीफनहीं या वे अब शांति में होंगी. ऐसी बातें करने का मतलब पिता से यह कहनाहै कि आप को अफसोस नहीं करना चाहिए या आप का कुछ खास नुकसान नहीं हुआ है.लेकिन सच तो यह है कि आप के पिता मन ही मन बहुत दुखी होंगे क्योंकि वेअपनी पत्नी की बहुत कमी महसूस करते हैं. बस, बेहतर होगा कि आप उन्हेंअकेला न छोड़ें. उनका साथ दें और उन्हें समझें.

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