इस्केमिक स्ट्रोक और हार्टअटैक दिल की वे बीमारियां हैं जो दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती हैं. सेरेब्रल हैमरेज यानी ब्रेन ब्लीडिंग यानी दिमाग में रक्तस्राव से इस्केमिक स्ट्रोक या हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है. सेरेब्रल हेमरेज एक प्रकार का स्ट्रोक है जिस में दिमाग को खून पहुंचाने वाली ब्लड वैसल फट जाती है, जिस से दिमाग के टिश्यूज के चारों ओर रक्तस्राव होने लगता है.
ऐसा ट्रौमा, हाई ब्लडप्रैशर, ब्रेन ट्यूमर या खून पतला करने वाली दवाओं की वजह से भी हो सकता है. जब दिमाग में इस तरह से रक्तस्राव होता है तो दिमाग के टिश्यूज को औक्सीजन की आपूर्ति ठीक से नहीं हो पाती, जिस की वजह से दिमाग को नुकसान पहुंचता है और मरीज की मृत्यु तक हो सकती है. सेरेब्रल हेमरेज या ब्रेन ब्लीडिंग की वजह से इस्केमिक स्ट्रोक या हार्ट अटैक होना गंभीर समस्या है. इस का जोखिम खासतौर पर उन लोगों में अधिक होता है जो पहले से दिल की बीमारियों, जैसे हाई ब्लडप्रैशर, डायबिटीज या हाई कोलैस्ट्रौल से पीडि़त होते हैं.
एक अध्ययन में पाया गया कि सेरेब्रल हेमरेज के मरीजों में इस्केमिक स्ट्रोक या हार्ट अटैक की संभावना अन्य लोगों की तुलना में अधिक होती है. इस अध्ययन में यह भी पता चला कि सेरेब्रल हेमरेज होने के बाद पहले कुछ महीनों में इन स्थितियों का जोखिम अधिक था. एक और अध्ययन में पाया गया कि सेरेब्रल हेमरेज के मरीजों में हाई ब्लडप्रैशर, हाई कोलैस्ट्रौल और डायबिटीज की संभावना भी उन लोगों की तुलना में अधिक होती है जिन में सेरेब्रल हेमरेज नहीं हुआ है. इन कारकों की वजह से भी दिल की बीमारियों, जैसे इस्केमिक स्ट्रोक और हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है. यहां इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि सेरेब्रल हेमरेज या ब्रेनब्लीडिंग की वजह से इस्केमिक स्ट्रोक या हार्ट अटैक की संभावना सिर्फ उन्हीं लोगों तक सीमित नहीं है जिन में दिल की बीमारियों (कार्डियोवैस्कुलर रोगों) का इतिहास हो. ब्रेन ब्लीडिंग के बाद कोई भी व्यक्ति इन समस्याओं का शिकार हो सकता है खासतौर पर अगर ब्लीडिंग बहुत गंभीर हो.
सेरेब्रल हेमरेज या ब्रेन ब्लीडिंग के कारण इस्केमिक स्ट्रोक या हार्ट अटैक की संभावना को कम करने के कई तरीके हैं. एक तरीका यह है कि दिल की बीमारियों को पैदा करने वाले कारकों, जैसे हाई ब्लडप्रैशर, हाई कोलैस्ट्रौल और डायबिटीज से बचें. इस के लिए जीवनशैली में बदलाव लाएं, सेहतमंद आहार लें, नियमित रूप से व्यायाम करें, धूम्रपान न करें और शराब का सेवन सीमित मात्रा में करें. दूसरा तरीका यह है कि अगर इन में से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डाक्टर की सलाह लें. इस्केमिक स्ट्रोक के लक्षण अचानक कमजोरी महसूस करना, चेहरे, बाजू या टांगों का सुन्न होना, इस में भी खासतौर पर शरीर के एक साइड में सुन्नपन महसूस होना, अचानक भ्रमित महसूस करना, बोलने या सम?ाने में मुश्किल, एक या दोनों आंखों से देखने में परेशानी, अचानक चलने में परेशानी, चक्कर आना, संतुलन न बना पाना, बिना किसी वजह के अचानक से सिर में तेज दर्द होना. हार्ट अटैक के लक्षण छाती में दर्द या असहजता महसूस होना, शरीर के ऊपरी हिस्से, बाजू, पीठ, गरदन, जबड़े या पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द या असहजता महसूस होना,
सांस फूलना या सांस लेने में परेशानी, पसीना आना, मतली या उलटी, सिर चकराना या हलकी थकान महसूस होना. यहां इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि ऐसा जरूरी नहीं कि सेरेब्रल हेमरेज या ब्रेन ब्लीडिंग के हर मामले में इस्केमिक स्ट्रोक या हार्ट अटैक आए. हालांकि इस की संभावना के बारे में जागरूक होना और इस से बचने के लिए जरूरी कदम उठाना बहुत जरूरी है. कुल मिला कर सेरेब्रल हेमरेज या ब्रेनब् लीडिंग के कारण इस्केमिक स्ट्रोक या हार्ट अटैक होना बहुत से लोगों के लिए गंभीर समस्या है. यह जोखिम खासतौर पर उन लोगों में अधिक होता है जिन में दिल की बीमारियों का इतिहास हो. लेकिन ब्रेन ब्लीडिंग से पीडि़त किसी भी व्यक्ति में ऐसा हो सकता है.
इसलिए जरूरी है कि उन कारकों से बचें जिन की वजह से दिल की बीमारियां होती हैं. साथ ही, इस्केमिक स्ट्रोक या हार्ट अटैक के लक्षण दिखते ही तुरंत डाक्टर से संपर्क करें. कई तरह से एहतियात बरत कर सेरेब्रल हेमरेज या ब्रेन ब्लीडिंग के कारण हार्ट अटैक या इस्केमिक स्ट्रोक की संभावना को कम किया जा सकता है. एंटीप्लेटलेट थेरैपी इस में मरीज को वे दवाएं दी जाती हैं जो ब्लड क्लौट बनने से रोकती हैं. एंटीप्लेटलेट थेरैपी से उन लोगों में दोबारा स्ट्रोक या दिल की बीमारियों की संभावना कम हो जाती है जिन में पहले से सेरेब्रल हेमरेज हो चुका है. एंटीकोग्युलेशन थेरैपी इस में मरीज को वे दवाएं दी जाती हैं जो ब्लड क्लौट को बनने या बड़ा होने से रोकती हैं.
इस थेरैपी का उपचार ब्लड क्लौट के जोखिम को कम करने, एट्रियल फाइब्रिलेशन के लिए किया जाता है. कुछ मामलों में सेरेब्रल हेमरेज के इलाज के लिए भी इस थेरैपी का उपयोग किया जाता है. सेरेब्रल हेमरेज या ब्रे नब्लीडिंग के कुछ मामलों में सर्जरी की जरूरत भी पड़ सकती है. इस में फट चुकी ब्लड वैसल की मरम्मत की जाती है. कई बार ब्रेन ट्यूमर को निकालने और ब्लीडिंग की वजह से दिमाग पर बन रहे दबाव को कम करने के लिए भी सर्जरी की जाती है. सेरेब्रल हेमरेज या ब्रेन ब्लीडिंग के ठीक होने के बाद रीहैबिलिटेशन भी जरूरी है. दिमाग को कितना नुकसान पहुंचा है, इसे ध्यान में रखते हुए मरीज को फिजिकल थेरैपी, औक्युपेशनल थेरैपी, स्पीच थेरैपी या जरूरत के अनुसार कोई अन्य थेरैपी दी जाती है ताकि मरीज के फंक्शंस फिर से सामान्य हो जाएं और उस के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके.
यहां इस बात पर ध्यान देना भी जरूरी है कि सेरेब्रल हेमरेज या ब्रेन ब्लीडिंग का उपचार और प्रबंधन मुश्किल हो सकता है. यह मरीज की व्यक्तिगत जरूरत के अनुसार तय किया जाता है. इसलिए मरीज को डाक्टर से संपर्क करना चाहिए. इस्केमिक स्ट्रोक या हार्टअटैक की संभावना को कम करने के लिए सेरेब्रल हेमरेज या ब्रेन ब्लीडिंग के जोखिम से बचना चाहिए. हाई ब्लडप्रैशर, धूम्रपान, शराब का अधिक सेवन और खून पतला करने की दवाएं आदि ऐसे कुछ कारक हैं जिन की वजह से सेरेब्रल हेमरेज या ब्रेन ब्लीडिंग की संभावना बढ़ती है. जीवनशैली में बदलाव ला कर और कुछ दवाओं की मदद से सेरेब्रल हेमरेज या ब्रेन ब्लीडिंग की संभावना को कम किया जा सकता है.
उदाहरण के लिए, धूम्रपान छोड़ने, शराब का सेवन कम करने, वजन पर नियंत्रण रखने से हाई ब्लडप्रैशर को कम करने में मदद मिलती है, जो सेरेब्रल हेमरेज या ब्रेन ब्लीडिंग का मुख्य कारण है. नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम द्वारा भी सेरेब्रल हेमरेज या ब्रेन ब्लीडिंग की संभावना को कम किया जा सकता है और दिल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है. इस से डायबिटीज, हाई कोलैस्ट्रौल और दिल की बीमारियों से भी बचाव होता है. द्य (लेखक इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, दिल्ली में वरिष्ठ न्यूरोलौजी सलाहकार हैं.) दिल बड़े काम का दिल हमारे शरीर के सब से जरूरी अंगों में से एक है. दिल का वजन सामान्यतया 299 ग्राम होता है. हार्ट के दोनों चैंबर्स को एट्रिया कहा जाता है वहीं निचले हिस्से की बात करें तो इसे वैंट्रिकल कहा जाता है. एट्रिया और वैंट्रिकल एकसाथ काम करते हैं जो हार्ट से ब्लड को पंप करते हुए शरीर में भेजते हैं और फिर ब्लड को वापस लाने का काम करते हैं.
हार्ट हमारे पूरे शरीर में ब्लड को सप्लाई करने का काम करता है. ब्लड की मदद से शरीर में औक्सीजन और पोषक तत्त्वों को भेजा जाता है और कार्बन डाइऔक्साइड व अन्य अपशिष्ट पदार्थों को शरीर के बाहर निकालने का काम होता है. हार्ट को हमारे कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम का सब से जरूरी अंग माना जाता है. दिल औसतन एक मिनट में 75 बार धड़कता है. जैसेजैसे दिल धड़कता है, यह प्रैशर बनाता है ताकि धमनियों के माध्यम से पूरे शरीर में ऊतकों को औक्सीजन और महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व पहुंचाने के लिए रक्त प्रवाहित हो सके और नसों के माध्यम से रक्तप्रवाह वापस हो सके. दिल हर मिनट में लगभग 5 लिटर खून को फिल्टर करता है.
लेखक- डा. पी एन रेनजेन