कुछ हिंदूत्योहार अब हिंदूमुसलिम झगड़ों व दंगों के नाम से पहचाने जाने चाहिए. रामनवमी को दंगानवमी कहना ज्यादा सही होगा क्योंकि चंदा उगाहने वाले इस दिन जम कर उगाही करते हैं और फिर जुलूस हर गलीमहल्ले में निकालते हैं. किसी न किसी मुसलिम महल्ले में या मसजिद के निकट से जुलूस को गुजारना शायद शास्त्रों का आदेश है.
हर बार की तरह इस बार देश में कितने ही राज्यों में रामनवमी जुलूसों को लेकर झगड़े, दंगे, आगजनी व पथराव की घटनाएं घटीं. कुछ का सोचना है कि यह बड़े पुण्य का काम है कि जिन लोगों ने देश पर लगभग 1,000 साल आराम से राज किया उन के धर्म के वंशजों से अब 1,000 साल का बदला लिया जा रहा है. वे यह सच न जानना चाहते हैं, न सुनना चाहते हैं कि भारत के बड़े भूभाग पर राज करने वाले मुसलिम शासक अगर थे तो उन के वशंज तो अब पाकिस्तान या बंगलादेश में बसे हुए हैं, वे 1947 के बाद भारत में क्यों रहते.
भारत में बचे मुसलमान वे हैं जिन्हें पाकिस्तान में कोई भविष्य नहीं दिख रहा था क्योंकि जो आम मुसलमान पाकिस्तान गए भी, उन्हें वहां मुहाजिर कहा जाता है जो एक तरह से अपमानजनक शब्द है. इन के ही धर्म वालों के खिलाफ भारत में मोरचा खोल कर हिंदू वोट तो बटोरे जा रहे है पर इस चक्कर में भारतीय हिंदुओं के साथ एक घिनौना खेल भी खेला जा रहा है.
यह खेल है हिंदू युवाओं को भगवा दुपट्टा या गमछा या फिर सिर पर पट्टा दे कर, हाथ में तलवार, कट्टा, माला, त्रिशूल दे कर उन्हें अपराध करने की ट्रेनिंग देना. हिंदू धर्म की रक्षा करने या हिंदू झंडा हर जगह, चाहे वह मुसलमान का मकान हो या हो मसजिद, फहराने को उक्सा कर हिंदू नौजवानों को कानून हाथ में लेने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. उन्हें बताया जा रहा है कि मुसलमानों को मारना, सिर मूंडना, दाढ़ी नोचना, घर जलाना, तलवार से घायल करना सब पुण्य व जायज है. अगर उद्देश्य हिंदू धर्म की रक्षा करना है तो अनुशासनहीन बन कर बिना किसी कमांडर के आदेश के किसी भी निहत्थे पर हमला करना शौर्य की बात है, सीमा पर तैनात सेना के जवानों से भी ज्यादा काबिलेतारीफ.
इन लोगों का बाद में जिस तरह स्वागत किया जाता है वह उन के मन में यह बैठा देता है कि यह काम गलत नहीं है. यह पट्टी/घुट्टी वोट की राजनीति करने वालों को तो लाभ देती है पर हर घर, जहां से ये युवा आते हैं,में एक परमानैंट उद्दंड, हत्यारा, क्रूर, मनमरजी करने वाला युवा बैठा दिया जाता है. फिर यह युवा अपनेबाप से भी झगड़ता है, चाचा से भीऔर पड़ोसी से भी. इसे चंदा मांगने की आदत होती है तो यह अपनी बाइक के पैट्रोल के लिए किसी को कभी भी धमकी देकर उस से पैसे वसूलना जानता है.यही लोग रंगदार बनते चले जाते हैं. इसीलिए तो आज घरघर में उपद्रवी मिल रहे हैं.
ये युवा न अच्छे कर्मचारी बन सकते हैं, न अच्छे पति, न अच्छे पिता क्योंकि इन्हें जबरदस्ती करने की c दी जा चुकी है. ये सब पानसिंह तोमर डकैत सा बन जाते हैं. डकैती चाहे छोटी ही हो, आफत तो घरवालों की भी होती है. भाजपा को न इन घरों की चिंता है, न पुलिस को.