स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है अच्छी डाइट लेना और अच्छी डाइट को लेने के लिए जरूरी है हमारे मुँह का स्वस्थ होना यानि हमारी ओरल हेल्थ का स्वस्थ होना क्योंकि यदि हम अपने दांतों और मसूड़ों की देखभाल नहीं करेंगे तो यह हमें कई बिमारियों से ग्रस्त कर सकता है. आपके दाँत न सिर्फ आपको खाना चबाने और बात करने में मदद करते हैं बल्कि ये आपको अच्छा दिखने में भी मदद करते हैं. लेकिन यदि आप इनकी सही देखभाल नहीं करते हैं तो आपको इनकी वजह से शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है ,हमारे देश में बड़े पैमाने पर लोग ओरल हेल्थ की समस्या से परेशान हैं.

इसके बावजूद लोग अपने दांतों को लेकर लापरवाही बरतते हैं. इसलिए लोगों को ओरल हेल्थ के प्रति जागरूक करने के लिए 20 मार्च का दिन ‘वर्ल्ड ओरल हेल्थ डे’ के रूप में मनाया जाता है. 2021 -2023 तक के लिए ‘बी प्राउड ऑफ योर माउथ फॉर योर हैप्पिनेस एंड वेल-बीइंग ‘ की थीम के साथ मनाया जा रहा है. इसे पहली बार साल 2013 में मनाया गया था. यदि आप भी चाहते हैं खुद को स्वस्थ रखना तो अपनाएं ओरल हेल्थ से जुडी ये जरूरी बातें.
लक्षणों को पहचाने
ब्रशिंग और फ्लॉसिंग के दौरान आपके मसूड़ों में से ख़ून आना .
मुंह से बदबू आना व दांतों का पीला होना .
ठंडा या गर्म खाने पर दांतों में झनझनाहट होना .
मसूड़ों में सूजन होना .
मुँह में गांठ ,छाले या घाव होना.

प्रमुख कारण जो बिगाड़ते हैं ओरल हेल्थ
कैविटीज
यह दाँतों से जुडी एक आम समस्या है इसमें बैक्टीरिया, फूड और एसिड मिलकर दाँतों पर प्लाक की परत जमा कर देते हैं. जिससे धीरे-धीरे दांतो के इनैमल और कनेक्टिव टिशु डैमेज होने लगते हैं जिससे दांत परमानेंट खराब होने लगते हैं इसे कैरीस भी कहा जाता है.

सेंसिटिविटी
कुछ भी ठंडा या गर्म खाने पर दांतों में झनझनाहट होना, खट्टा या मीठा लगने पर सेंसेशन होना जैसी समस्याओं को ही दांतों की सेंसिटिविटी या डेंटिन हायपरसेंसटिविटी कहते हैं.
जिंजिवाइटिस
मसूढ़ों में सूजन, खून आना या फिर इनका लाल होना जिंजिवाइटिस रोग कहलाता है। यदि समस्या लगातार बनी रहे तो दांत जड़ से ढीले होकर गिरने लगते हैं। इस से पीरियडोंटाइटिस की समस्या भी हो सकती है। जिसकी वजह से पूरे शरीर में सूजन और दर्द की समस्या होती है.
उपचार
दाँतों की समस्या जानने के लिए डेंटल एक्स रे, एमआरआई स्कैन, सीटी स्कैन और एंडोस्कोपी की जाँच का सहारा लिया जाता है.

दांतों का ट्रीटमेंट करने के लिए क्लीनिंग से दांतों पर मौजूद प्लाक को हटाया जाता है. यदि दाँत में हल्का कीड़ा लगा है या दाँत में छेद हो गया है तो इसमें डेंटिस्ट दातों में ड्रिल करके टूथ फिलिंग की जाती है.दातों के इनैमल को मजबूत व बैक्टीरिया और एसिड से दूर रखने के लिए फ्लोराइड ट्रीटमेंट किया जाता है. जब कीड़ा दाँत को जड़ तक खराब कर देता है तब दांतों में मौजूद नर्व को या तो बदला जाता है या निकाल दिया जाता है।जिसे रूट कैनाल ट्रीटमेंट कहते हैं.
ओरल हेल्थ को बेहतर बनाने के तरिके
*दिन में दो बार ,दो मिनट तक दांतों पर ऊपर से नीचे व नीचे से ऊपर की दिशा में ब्रश करें। ऐसा करने से मसूड़ों के बीच में फसा खाना निकल जाता है.
*सोने से पहले फ्लॉस का इस्तेमाल करें.
*फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट और माउथवॉश का प्रयोग करें.
*दांतों में चिपकने वाली चीज़ खाने के बाद में अच्छे से कुल्ला या ब्रश अवश्य करें.
*रूटीन चेकअप अवश्य कराएं व 3 महीने के अंतराल पर अपना टूथ ब्रश अवश्य बदलें.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...